मोदी और शाह के शिकंजे में नीतीश

503 By 7newsindia.in Thu, Sep 14th 2017 / 07:01:55 बिहार     

- नवल किशोर कुमार

बीते सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने आखिर वह आदेश दे ही दिया जिसका इंतजार भाजपा लंबे समय से कर रही थी। सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 1991 में हुए पंडारक हत्याकांड मामले को अपने हलफनामे में छिपाने को लेकर नीतीश कुमार के संबंध में चुनाव आयोग को नोटिस दिया है। तकनीकी रूप से यह कोई ऐसा मामला नहीं है जिसे लेकर नीतीश कुमार की हलक से निवाला न जाये, परंतु यह उनके चुनौतियों की शुरूआत अवश्य है। इसके अलावा पटना हाईकोर्ट में विचाराधीन यह मामला अब सुनवाई के दौर में पहुंच गया है। दो अहम गवाहों की गवाही होनी है। लिहाजा श्री नीतीश कुमार का राजनीतिक भविष्य खतरे में नजर आने लगा है।  वर्ष 2005 से लेकर अबतक लगभग निर्बाध(हालांकि इस बीच वे छह बार मुख्यमंत्री बने) मुख्यमंत्री रहे नीतीश कुमार के लिए सकारात्मक स्थिति नहीं है। खासकर सृजन महाघोटाले को लेकर उनकी भद्द पहले ही पिट चुकी है। हाल ही में राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने तपोवर्द्धन सिंह को नीतीश कुमार द्वारा 75 करोड़ रुपए दिये जाने की बात कही। यह आरोप सामान्य आरोप नहीं है। जदयू के तमाम नेता इस आरोप की सच्चाई समझ चुके हैं और यही वजह है कि स्वयं नीतीश भी लालू प्रसाद के आरोपों का जवाब देने में अक्षम साबित हो रहे हैं। उधर पटना से प्रकाशित विभिन्न अखबार भी तमाम दबावों के बावजूद इन खबरों को प्रकाशित कर ही दे रहे हैं जिसके कारण नीतीश कुमार की बेदाग छवि दागदार हो रही है। बहरहाल , सृजन घोटाले में राज्य सरकार की संलिप्तता के प्रमाण सीएजी द्वारा जारी रिपोर्ट में दर्ज हैं। वर्ष 2009 से लेकर 2015 तक अपनी रिपोर्ट में भागलपुर में विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के तहत आवंटित राशि के दुरूपयोग के बारे में अपनी टिप्पणियां दर्ज की। परंतु राज्य सरकार की नींद नहीं खुली। आने वाले समय में नीतीश कुमार के खिलाफ कार्रवाई करने के सदंर्भ में सीबीआई के लिए सीएजी की ये टिप्पणियां सबसे बड़ा आधार हो सकती हैं। फिलहाल सीबीआई को ढील देकर भाजपा ने नीतीश कुमार को आश्वस्त रहने का मौका दिया है। परंतु स्वयं नीतीश भी जानते हैं कि भाजपा की नीयत ठीक नहीं है। हाल ही में केंद्रीय मंत्रिपरिषद में जदयू को शामिल नहीं किये जाने के बाद उन्होंने अपने कान खड़े कर लिया है।

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