केंद्रीय जेल में मिला टीबी पीडि़त बंदी

606 By 7newsindia.in Wed, Sep 20th 2017 / 11:49:26 मध्य प्रदेश     

रीवा। केंद्रीय जेल रीवा में संक्रमण तेजी से फैल रहा है, जिससे गंभीर बीमारियां पनप रही हैं। मंगलवार को लगाए गए स्वास्थ्य शिविर में टीबी ग्रस्त एक मरीज पाया गया है, जिसकी हालत खराब है। मरीज का इलाज जेल के भीतर बने टीबी वार्ड में शुरू कर दिया गया है। अब तक जेल में बंद चार बंदियों में टीबी के वायरस पाए गए हैं। सभी बंदियों को एक अलग वार्ड में रखा गया है। खास बात यह है कि उत बंदी कुछ माह पूर्व ही इस बीमारी के चपेट में आए हैं। जेल सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जेल में गंभीर रोगों से गस्त मरीजों की संया बढ़ रही हैं, जिसमें टीबी भी शामिल हैं। ह्रिश्वाछले चार माह के भीतर 4 बंदी टीबी ग्रस्त सामने आ चुके हैं। टीबी पॉजिटिव आने का सिलसिला लगातार बढ़ता ही जा रहा है।

 

स्वास्थ्य शिविर के दौरान सामने आया बंदी, चार पहुंची बंदियों की संया, अलग वार्ड में चल रहा इलाज

 

 इसका मुय कारण कैदियों के समय-समय पर स्वास्थ्य का चेकअप न हो पाना माना जा रहा है। पहले से जेल में टीबी ग्रस्त तीन बंदी थे, जबकि मंगलवार को लगाए गए स्वास्थ्य परीक्षण शिविर में एक और मरीज सामने आया है। हालांकि सभी बंदियों का इलाज किया जा रहा है। चिकित्सकों ने बंदियों को अलग वार्ड में रखने की सलाह दी है। इसके अलावा उनकों हर वत मास्क पहनने के लिए भी कहा गया है। 151 बंदियों का हुआ स्वास्थ्य परीक्षण अक्षय इंडिया परियोजना एवं जिला एड्स नियंत्रण ईकाई के सहयोग से नेटवर्क ऑफ ह्रश्वयूपल लिविंग विथ एचआईवी एड्स सोसायटी द्वारा केंद्रीय जेल रीवा में मंगलवार को स्वास्थ्य शिविर लगाया गया। इस दौरान डॉ. बीएल मिश्रा ने 151 बंदियों के स्वास्थ्य का परीक्षण किया गया। मुय रुप से टीबी, शुगर एवं लड प्रेशर की जांच की गई। जांच के दौरान एक कैदी टीबी ग्रस्त पाया गया, जिसका इलाज तत्काल शुरु कर दिया गया। इतना ही नहीं बंदियों को टीबी एवं एचआईवी एड्स के बारे में भी जागरुक किया गया। इस बीमारी से बचने के तरीके और उपचार दोनों ही डॉटर मिश्रा के द्वारा बताया गया। इस अवसर पर जेल अधीक्षक संतोष सोलंकी, उप जेल अधीक्षक मोहमद इसरार खान, सहायक अधीक्षक शशांक भी मौजूद थे। इसके अलावा कार्यक्रम का संचालन डीके सारस कल्याण अधिकारी केंद्रीय जेल ने किया। ड्रग्स एडिट की होगी खोज स्वास्थ्य शिविर के दौरान ओएसटी सेंटर के बारे में भी जानकारी दी गई। प्रोग्राम ऑफिसर मोहमद जैनुल खान ने बंदियों को इंजेशन से नशा करने का दुस्प्रभाव बताया और उससे बाहर निकलने का उपाय। इतना ही नहीं उन्होंने नशे के दलदल में फंस चुके बंदियों को खुल कर सामने आने के लिए कहा है। साथ ही विश्वास दिलाया है कि जल्द ही काउंसलिंग एवं ओएसटी सेंटर के माध्यम से उनकी यह लत आसानी से छूट सकती है। इस अवसर पर एबी गौतम, जगदीश यादव, राजीव विश्वकर्मा, लवकुश वर्मा एवं पंकज चौधरी भी मौजूद थे। जिन्होंने ड्रग्स एडिट के बारे में अपनी-अपनी राय दी।

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