30 साल में कोई चुनाव न जीतने वाले मुझ पर नौकरी मांगने का आरोप लगा रहे हैं : सिन्हा
नई दिल्ली : अर्थव्यवस्था को लेकर भाजपा नेता यशवंत सिन्हा के लेख से उठा तूफान उनके और वित्त मंत्री अरुण जेटली के बीच निजी जंग में बदल गया है। जेटली ने एक दिन पहले सिन्हा पर तंज कसते हुए कहा कि वह 80 साल की उम्र में नौकरी मांग रहे हैं। जवाब में सिन्हा ने फिर पलटवार किया। उन्होंने कहा, 'मैं मुद्दों की बात कर रहा हूं, लेकिन वह निजी हमले कर रहे हैं। जिसने 30 साल में कभी चुनाव नहीं जीता, वह मुझ पर नौकरी मांगने का आरोप लगा रहे हैं। मैं नौकरी चाहता तो वह यहां नहीं होते। आज जो व्यक्ति संत और फकीर हो गया, उसके बारे में नौकरी ढूंढ़ने की बात कहना हास्यास्पद है।' गुरुवार को India @70, Modi @3.5 किताब के विमोचन पर सिन्हा पर पलटवार करते हुए जेटली ने कहा था कि किताब का टाइटल India @70, Modi @3.5 and a job applicant @ 80 होना चाहिए था।
आमने-सामने... नोटबंदी से लेकर पनामा पेपर्स तक बात
सिन्हा के वक्त 5% से 4.3% लुढ़क गई ग्राेथ सिन्हा: 1998 में वित्त मंत्री बने। विकास दर 5% थी। जब उन्होंने पद छोड़ा तब 2002-03 में 4.3% हो गई। इसके बाद 8.2% पर पहुंच गई।
जेटली: 2014 में वित्त मंत्री बने तो विकास दर 7.2% थी। यह 2017-18 (अप्रैल-जून) में घटकर 5.7% पर आ गई है।
सिन्हा बोले- जेटली भूल गए कि मैं 12 साल की आईएएस की नौकरी छोड़कर राजनीति में आया अर्थव्यवस्था पर उठा तूफान व्यक्तिगत जंग में बदला
जेटली ने कहा- सिन्हा 80 की उम्र में नौकरी ढूंढ रहे हैं; सिन्हा बोले- अगर मैं नौकरी चाहता तो जेटली इस जगह नहीं होते
नोटबंदी के विरोधी ब्लैक मनी समर्थक हैं: अरुण जेटली
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आज जब भारत 70 साल पूरे कर रहा है और मोदी सरकार के साढ़े तीन साल पूरे हो रहे हैं, कोई 80 की उम्र में नौकरी की तलाश में है। अभी मेरी ऐसी स्थिति नहीं कि पूर्व वित्त मंत्री की हैसियत से लेख लिखूं, स्तंभकार बन जाऊं।
मेरे पास पूर्व वित्त मंत्री की लग्जरी नहीं है। जेंटलमैन बेकार वित्तमंत्री थे। इसलिए अटल बिहारी वाजपेयी जी ने उन्हें वित्त मंत्री के पद से हटा दिया था।
नोटबंदी के विरोधी ब्लैक मनी समर्थक हैं। एक होकर भी यशवंत सिन्हा और चिदंबरम इसे नहीं झुठला सकते कि अभी अर्थव्यवस्था की गति बढ़ी है।
आज की अर्थव्यवस्था सबसे ज्यादा अच्छी है। जब वो थे तो चार कंपनियां ही थीं। 1998 से 2002 के दौरान 15 फीसदी एनपीए था।
पनामा पेपर्स मामलेमें भारत में क्या कार्रवाई हो रही है : यशवंत सिन्हा
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12 साल की नौकरी बाकी होने के बावजूद मैंने 1984 में आईएएस छोड़ दी थी। नौकरी मांगने वाला इस्तीफा नहीं देता। राजनीति में आने के 15 दिन में मैंने चुनाव लड़ा। वो 30 साल से लोस सीट ढूंढ रहे। 2014 में मैंने खुद चुनाव न लड़ने का फैसला किया।
अगर मैं बेकार था तो मुझे वित्त से हटाकर विदेश मंत्रालय क्यों दिया गया? वह भी तब जब एलओसी पर भारत व पाक की फौजें आमने-सामने थीं। क्या बात करते हैं ये लोग।
एचएसबीसी ने 740 लोगों की लिस्ट जारी की थी, उन पर क्या कार्रवाई हुई है? पनामा पर भारत में कोई कार्रवाई क्यों नहीं हो रही? जेटली चिदंबरम के करीबी रहे हैं, मेरे नहीं।
वाजपेयीजी ने परमाणु परीक्षण किया तो दुनिया ने आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए। जेटली मुकाबला कर सकते थे? हमने निचले स्तर की अर्थव्यवस्था को उठाया।
आरोपों पर जयंत की सफाई... लेख मेरा लिखा, आरोप गलत हैं...नागरिकविमानन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने उन आरोपों को खारिज किया है, जिसमें उनके लेख को किसी अन्य का या सरकार के इशारे पर लिखा बताया जा रहा है। जयंत ने कहा कि यह मेरा लेख है, जो किसी अन्य के कहने पर नहीं लिखा गया है। मैं लेख लिखना चाहता था और लिखा। जयंत ने गुरुवार को कहा था कि पिता यशवंत से वैचारिक मुद्दों पर बहस होती है और इसे अन्य किसी नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए। सरकार के कदमों का फायदा लोगों को मिलेगा।