हकीकत में थी रानी पद्मावती? क्या है फिल्म से जुड़े 5 विवादों के पीछे का सच?

792 By 7newsindia.in Thu, Nov 16th 2017 / 09:51:05 कानून-अपराध     

संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावती' रिलीज से पहले विवादों में है। फिल्म के कुछ हिस्सों को चित्तौड़ की रानी पद्मिनी का अपमान माना जा रहा है। मेवाड़ समेत देशभर से यह आवाज उठ रही है कि फिल्म में कुछ ऐसी बातें शामिल की गई हैं, जो बेबुनियाद और तथ्यहीन हैं। करणी सेना के चीफ लोकेंद्र सिंह कालवी ने कहा है, "हम 1 दिसंबर को यह फिल्म रिलीज नहीं होने देंगे। ये जौहर की ज्वाला है, आगे बहुत कुछ जलेगा। रोक सको तो रोक लो।" विवाद और विरोध के बीचइतिहास के जानकारों, इतिहास के संदर्भों और प्रचलित कहानियों से जानने की कोशिश की है कि आखिर सच्चाई क्या है?

फिल्म पद्मावती से जुड़े 5 विवाद और उनके पीछे की हकीकत

क्या हकीकत में थी रानी पद्मावती?

इतिहासकारों के मत और अलग-अलग ग्रंथों से जानकारी जुटाई तो ये तथ्य सामने आए।

पद्मावती कोरी कल्पना नहीं

पद्मावती को लेकर अलग-अलग मत हैं। अभी तक यही माना जाता रहा है कि पद्मिनी का जिक्र सबसे पहले मलिक मोहम्मद जायसी ने अपनी रचना ‘पद्मावत’ में किया था। लेकिन इतिहास में इसके अलावा भी कुछ तथ्य मिलते हैं। इतिहासकारों ने पद्मिनी को कोरी कल्पना नहीं माना है।

मीरा शोध संस्थान से जुड़े चितौड़गढ़ के प्रो. सत्यनारायण समदानी बताते हैं कि जायसी की रचना साल 1540 की है। जायसी सूफी विचारधारा के थे और अजमेर दरगाह आया करते थे। इसी दौरान उन्होंने कवि बैन की कथा सुनी, जिसमें पद्मिनी का उल्लेख था। कहा जाता है कि 'पद्मावत' में जायसी ने कवि हेतमदान के काव्य ‘गोरा बादल’ से भी कुछ अंश लिए थे।

छिताई चरित : जायसी की पद्मावत से 14 साल पहले लिखी गई

प्रो. समदानी बताते हैं कि ‘छिताई चरित’ ग्वालियर के कवि नारायणदास की रचना थी। इस हस्तलिखित ग्रंथ के संपादक ग्वालियर के हरिहरनाथ द्विवेदी आैर अगरचंद नाहटा ने इसका रचनाकाल 1540 से पहले का माना है। अलाउद्‌दीन खिलजी ने देवगिरी पर आक्रमण किया था। वह वहां की रानी को पाना चाहता था।

‘छिताई चरित’ में बताया गया है कि देवगिरी पर आक्रमण के समय अलाउद्‌दीन राघव चेतन से कहता है कि मैंने चित्तौड़ में पद्मिनी के होने की बात सुनी। वहां के राजा रतन सिंह को कैद कर लिया, लेकिन बादल उसे छुड़ा ले गया।

जायसी ने लिखा- पद्मावती बहुत सुंदर थी, खिलजी बहक गया...

सूफी कवि मलिक मोहम्मद जायसी ने मूल घटना के सवा दो सौ साल बाद बाद ‘पद्मावत’ लिखी थी। कई विद्वानों का मानना है कि इसमें हकीकत के साथ कल्पना का भी पुट शामिल है। जायसी ने लिखा कि पद्मावती बहुत सुंदर थी। खिलजी ने उनके बारे में सुना तो देखना चाहा। खिलजी की सेना ने चित्तौड़ को घेर लिया। रतन सिंह के पास संदेश भिजवाया- पद्मावती से मिलवाओ तो बिना हमला किए चितौड़ छोड़ दूंगा। रतन सिंह ने यह पद्मावती को बताया। रानी राजी नहीं थीं। अंत में जौहर कर लिया।

इतिहासकार मानते हैं- रानी पद्मावती थीं, लेकिन...

इतिहासकार और चित्तौड़ पीजी कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल डाॅ. ए.एल. जैन कहते हैं कि देबारी में एक शिलालेख मिला था, जिस पर 1359 माग पंचमी बुधवार लिखा है और इसमें रतन सिंह का जिक्र है। सुल्तान के साथ पद्मिनी और रतन सिंह की कथा पूरे मध्यकाल में प्रचलित रही है।

चित्तौड़गढ़ के जौहर स्मृति संस्थान से जुड़े नरपतसिंह भाटी कहते हैं- रानी पद्मिनी को खिलजी को कांच मेंं दिखाए जाने की बात बकवास है। उस जमाने में कहां से कांच आ गए? उनके प्रेम प्रसंग जैसे दृश्य कैसे दिखाए जा सकते हैं?

ऐसे व्यक्ति को नायक बता रहे हैं जो हमलावर था

जौहर संस्था से जुड़े चित्तौड़गढ़ के कर्नल रणधीर सिंह बताते हैं- फिल्म में खिलजी को नायक बताया है और पद्मिनी को नायिका। जबकि राजा रतनसिंह की अहमियत खत्म कर दी गई। यही इतिहास से छेड़छाड़ है। आखिर एक हमलावर नायक कैसे हो सकता है?

हकीकत : प्रो. सत्यनारायण समदानी सहित चित्तौड़ के अन्य इतिहासकारों का मानना है कि खिलजी किसी भी सूरत में नायक नहीं हो सकता है। छिताई चरित में उल्लेख है कि रणथंभौर, चित्तौड़गढ़ और देवगिरी पर हमले उसने सिर्फ इसलिए किए, ताकि अपनी फौज के बूते महिलाओं को हासिल कर सके। खिलजी चरित्र का ठीक नहीं था। इतिहासकार बताते हैं कि आक्रांता को जबर्दस्ती नायक बनाया जा रहा है।

घूमर नृत्य नहीं सम्मान

फिल्म के एक गाने में घूमर नृत्य दिखाया गया है। इसमें किरदार आम डांसर जैसा है। राजपूतों को यह किसी भी सूरत में कबूल नहीं है।

हकीकत : कर्नल सिंह और अन्य राजपूत नेताओं के मुताबिक, घूमर अदब का प्रतीक है और इसका इतिहास भी ज्यादा पुराना नहीं है। ऐसे भी, महिलाएं घूमर नृत्य सबके सामने नहीं करती हैं। यह परिवारों में होने वाला आयोजन है। यह तो कतई मुमकिन नहीं है कि कोई रानी ऐसा नृत्य करे। ऐसे में, फिल्म में संगीत-नृत्य के जरिए राजस्थानी संस्कृति और रानी पद्मावती के इतिहास से छेड़छाड़ की कोशिश की गई है।

 

सौ.bhaskar.com

 

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