2जी घोटाला: CBI की विशेष अदालत में ए राजा और कनिमोझी के साथ अन्य सभी आरोपी हुए बरी
नई दिल्ली : देश के सबसे बड़े घोटाला माने जाने वाले 2जी स्पेक्ट्रम स्कैम में सीबीआई की विशेष अदालत ने पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा और द्रमुक सांसद को मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में सभी आरोपों से बरी कर दिया। राजा और कनिमोझी के अलावा जज ओ पी सैनी ने शाहिद बलवा, विनोद गोयनका, आसिफ बलवा, राजीव अग्रवाल, करीम मोरानी, पी अम्रीथम और शरद कुमार को भी बरी कर दिया। ईडी ने अपनी चार्जशीट द्रमुक सुप्रीमो करुणानिधि की पत्नी दयालुअम्मल को भी आरोपी बनाया था, जिन पर अएसटीपीएल के जरिए 200 करोड़ रुपये का भुगतान करने और उसे डीएमके के चलाए जा रहे चैनल कैलंगर टीवी में लगाने का आरोप है।
अपनी अंतिम रिपोर्ट में ईडी ने 10 व्यक्तियों और 9 कंपनियों को मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत आरोपी बनाया था।
कैलंगर टीवी के अलावा एसटीपीएल (अब एतिसलात डीबी टेलीकॉम प्राइवेट लिमिटेड), कुसेगांव रियल्टी, सिनेयुग मीडिया एंड इंटरटेनमेंट, डायनैमिक्स रियल्टी, एवरस्माइल कंस्ट्रक्शन कंपनी, कैनवुड कंस्ट्रक्शन एंड डिवेलपर्स, डीबी रियल्टी और मिस्टीकल कंस्ट्रक्शन को आरोपी बनाया था।
नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (सीएजी) के रिपोर्ट के बाद 2010 में इस घोटाले का खुलासा हुआ था।
जज ओ पी सैनी ने फैसला सुनाते हुए कहा कि पूरे मामले में पैसों के लेन-देन को साबित नहीं किया जा सका। इसके बाद राजा और कनिमोझी के समर्थकों ने कोर्ट में नारेबाजी शुरू कर दी।
यूपीए-2 में 2010 में हुए इस घोटाले के दौरान ए राजा दूरसंचार मंत्री थे। कनिमोझी द्रमुक पार्टी की सांसद हैं और सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में इन दोनों को मुख्य आरोपी बनाया था।
आरोपों से बरी किए जाने के बाद कनिमोझी ने कहा, 'मैं उन सभी लोगों का धन्यवाद अदा करती हूं, जो मेरे साथ खड़े रहे।'
वहीं सीबीआई ने कहा कि वह इस मामले में अदालत के फैसले की कॉपी का इंतजार कर रहे हैं और इसका अध्ययन करने के बाद इस पर कानूनी राय ली जाएगी।
कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद पी चिदंबरम ने कहा कि 2 जी घोटाले में सरकार की संलिप्तता की बात कभी सही नहीं थी।
उन्होंने कहा, 'सरकार की संलिप्ता की मदद से किए गए बड़े घोटाले की बात में कोई सच्चाई नहीं थी और यह बात आज साबित हो गई।'
2जी घोटाला मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने कुल तीन मामलों की सुनवाई मुकर्रर की थी। पहला दो मामला सीबीआई ने दर्ज किया था जबकि तीसरा मामला मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा था, जिसे प्रवर्तन निदेशाल (ईडी) ने दर्ज किया था।
सीबीआई के पहले मामले में तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए राजा और द्रमुक पार्टी सांसद कनिमोझी को मुख्य आरोपी बनाया गया था।
इसके अलावा तत्कालीन टेलीकाम सचिव रहे सिद्धार्थ बेहुरा, डी राजा के निजी सचिव रहे आरके चंदौलिया, स्वान टेलीकॉम के प्रमोटर शाहिद उस्मान बलवा, विनोद गोयनका, यूनिटेक लिमिटेड के एमडी संजय चंद्रा और रिलायंस ग्रुप के गौतम दोषी, सुरेंद्र पिपरा और हरी नायर को मुख्य आरोपी बनाया था।
वहीं ईडी ने अनपी चार्जशीट में डी राजा, कनिमोझी और अन्य आरोपियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के तहत मामला दर्ज किया था।
अप्रैल 2014 में ईडी ने अपने चार्जशीट में 19 लोगों को मुख्य आरोपी बनाया था जिसमें ए राजा, कनिमोझी, शाहिद बलवा, विनोद गोयनका, आसिफ बलवा, राजीव अग्रवाल, करीम मोरानी, पी अम्रीथम और शरद कुमार का नाम शामिल था।
ईडी की चार्जशीट में डीएमके सुप्रीमो एम करुणानिधि की पत्नी दयालु अम्मल का नाम था। अम्मल पर एसटीपीएल के जरिए 200 करोड़ रुपये का भुगतान करने और उसे डीएमके के चलाए जा रहे चैनल कैलंगर टीवी में लगाने का आरोप है।
ईडी ने अपनी अंतिम रिपोर्ट में मनी लॉ़न्ड्रिंग एक्ट के तहत अपराधों के लिए आरोपी के तौर पर 9 कंपनियों और 10 लोगों को सूचीबद्ध किया था।
सीएजी की रिपोर्ट में बताया गया था कि तत्कालीन सरकार की स्पेक्ट्रम आवंटन के मामले में 'पहले आओ-पहले पाओ' की नीति से सरकारी खजाने को कुल 1 लाख 76 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
हालांकि सीबीआई की चार्जशीट में महज 31 हजार करोड़ रुपये के नुकसान का दवा किया गया है।
अप्रैल 2011 में सीबीआई ने जो चार्जशीट फाइल की थी उसमें ए राजा समेत अन्य आरोपियों पर 2जी स्पेक्ट्रम के 122 लाइसेंसों के आवंटन में 30 हजार 984 करोड़ रुपये राजस्व का नुकसान कराने का आरोप लगाया था।
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