रांची सेंट्रल जेल में लालू यादव को दिया गया माली का काम, हर दिन मिलेंगे ...
रांची (झारखंड). चारा घोटाले में रांची की सेंट्रल जेल में सजा काट रहे आरजेडी चीफ लालू प्रसाद यादव को माली का काम दिया गया है। लालू यादव जेल में फूल-पौधों की कटाई-छटाई करेंगे। इसके लिए लालू को रोज 93 रुपए मिलेंगे। जेल प्रशासन के मुताबिक, रविवार को लालू ने काम नहीं किया, वे सोमवार से काम शुरू करेंगे। बता दें कि सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने चारा घोटाला से जुड़े देवघर ट्रेजरी केस में शनिवार को लालू प्रसाद को साढ़े तीन साल की सजा सुनाई और 10 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया।
जेल में सुबह लालू ने की वर्जिश
लालू यादव ने रविवार सुबह वर्जिश की और इसके बाद नहा-धोकर उन्होंने पूजा-पाठ की और अखबार पढ़े।
लालू से मिलने सुबह कई समर्थक जेल गेट के बाहर नजर आए। समर्थकों ने कहा कि लालू हमारे भगवान हैं और उनसे मिलने हमलोग मंदिर आते हैं। इससे हमें शांति भी मिलती है।
जज ने ओपन जेल में रखने को कहा था
सीबीआई के स्पेशल जज शिवपाल सिंह ने लालू समेत सभी दोषियों को हजारीबाग के ओपन जेल में रखने की अनुशंसा की थी।
जज ने कहा था कि इन्हें पशुपालन का अच्छा अनुभव है। इनमें पशु के डॉक्टर भी शामिल हैं। सभी दोषी उम्रदराज भी हैं। ऐसे में ये लोग अपने परिवार के साथ हजारीबाग के ओपन जेल में रह सकते हैं। जज की अनुशंसा पर राज्य सरकार ने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है।
लालू की बड़ी बहन का निधन, अंतिम संस्कार में तेजस्वी शामिल होंगे
लालू यादव की बड़ी बहन गंगोत्री देवी का रविवार की सुबह निधन हो गया। लालू के वकील ने उन्हें जेल में ये जानकारी दी। आरजेडी MLA भोला प्रसाद ने बताया कि लालू की बहन के अंतिम संस्कार में तेजस्वी यादव शामिल होंगे।
कब सामने आया था चारा घोटाला?
वैसे तो 1984 से ही कुछ नेता भ्रष्ट अधिकारियों से घोटाले का पैसा वसूल रहे थे। लेकिन 1993 में दिलीप वर्मा ने विधानसभा में इस मामले को ध्यानाकर्षण के जरिए उठाने पर कई स्तरों पर धमकी मिलने लगी थी।
दरअसल, एक चर्चित वेटरनरी डॉक्टर ने अधिकारी और नेताओं के समीकरण को इतना घालमेल कर दिया था कि उजागर होने से पहले ही चारा घोटाला से राजनीतिक महकमे में लोग काफी हद तक परिचित हो चुके थे।
यह चर्चा आम हो गई थी कि घोटाले के ज्यादातर हिस्से को वह अपने पास रखता था और 30 फीसदी पैसा ही नेताओं को पहुंचाता था। इस 30% रकम पर अधिकार जमाने के लिए चाईबासा में तैनात डीएचओ (जिला पशुपालन अधिकारी) और रांची के डोरंडा में तैनात पशुपालन निदेशालय के एक सीनियर अधिकारी में अनबन नहीं होता तो चारा घोटाला उजागर नहीं होता।