मानव श्रृंखला राजनीतिक लोकप्रियता पाने का एक ढोंग :- सुचिता रंजनी

841 By 7newsindia.in Sat, Jan 20th 2018 / 21:33:35 बिहार     

गया से रीना शर्मा 
गया : 21 जनवरी को बाल विवाह एवं दहेज उन्मूलन को लेकर होने वाले मानव श्रृंखला का प्रदेश प्रमुख संघ के प्रदेश अध्यक्ष जयकांत यादव के आह्वान पर गया जिला प्रमुख संघ भी मानव श्रृंखला में भाग नहीं लेने का निर्णय लिया है। गया जिला प्रमुख संघ के सचिव सुचिता रंजनी ने बताया है कि वर्तमान सरकार में पंचायत समिति और प्रमुखों के अधिकारों में लगातार कटौती की जा रही है। पूर्व से पंचायत समिति को चतुर्थ वित्त बीआरजीएफ 13वें वित्त एवं मनरेगा जैसी योजनाओं का क्रियान्वयन हेतु फंडिंग होता था, लेकिन वर्तमान सरकार में केवल पंचम वित्त की राशि नाम मात्र के लिए पंचायत समिति सदस्यों को दिया जा रहा है ,जो घोर अन्याय है । पंचायत समिति सदस्य त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था में मिडिल इकाई है। पंचायत समिति सदस्यों से भी आम लोगों की आशाएं और अपेक्षाएं रहती है, कि कुछ ना कुछ इनके फंड से भी विकास का कार्य हो, लेकिन वर्तमान सरकार की व्यवस्था में पंचायत समिति सदस्य पंगु हो गए हैं, केंद्र प्रायोजित मनरेगा योजनाओं में 30% की भागीदारी भी समाप्त कर दिया गया है ,जिससे सभी पंचायत समिति सदस्यों और प्रमुखों में रोष व्याप्त है। विदित हो कि शराबबंदी को लेकर हुए मानव श्रृंखला में पंचायत समिति सदस्यों और प्रमुखों ने बढ़-चढ़कर भागीदारी सुनिश्चित किया था, लेकिन इसका क्या रिजल्ट निकला गांव में शराब की बिक्री धड़ल्ले से जारी है। पुलिस को सूचना देने पर भी पुलिस छापेमारी के लिए नहीं पहुंचती है और शराब विक्रेताओं को सूचित भी कर दिया जाता है। पुलिसिंग सिस्टम फेल है ।ऐसा लगता है ,कि सरकार आम जनों को शिक्षा स्वास्थ्य जैसे मुख्य मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए दहेज एवं बाल विवाह उन्मूलन जैसी कुरीतियों को लेकर मानव श्रृंखला का ढोंग रच कर राजनीति वाहवाही लूटना चाह रही है। यह कोई जरूरी नहीं कि दहेज एवं बाल विवाह जैसी कुरीतियों पर रोकथाम या जागरूकता मानव श्रृंखला से ही संभव है। नीतीश कुमार अपना चेहरा चमकाने के लिए केवल ढोंग रच रहे हैं ,जो एक सरकारी नौटंकी है। मानव श्रृंखला के नाम पर बिहार के आम लोगों का पैसा एवं सरकारी खजाने का दुरुपयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है ।एक ओर  प्रदेश में जहां वृद्ध विकलांग एवं विधवा महिलाओं को लगभग 1 साल से पेंशन से वंचित रखा जा रहा है। निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को मानदेय से वंचित रखा जा रहा है, सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं को पाठ सामग्री अंतिम वर्षों में दिया जा रहा है। इससे यही लगता है सरकार की पूरी सिस्टम फेल है। बिहार में घोषित शराबबंदी से कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। अन्य पड़ोसी राज्यों से भारी मात्रा में शराब बिहार में प्रवेश हो रहा है ,जो सरकार के  सिस्टम पर सवाल खड़ा करता है और नीतीश कुमार की कथनी और करनी को प्रकट करता है। इन सब तमाम कारणों से गया जिला प्रमुख संघ आगामी 21 जनवरी को होने वाले मानव श्रृंखला का विरोध करने का निर्णय लिया है।

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