सरस्वती आराधना का पर्व है: बसंत पंचमी - पं. मोहनलाल

655 By 7newsindia.in Sat, Jan 20th 2018 / 21:25:29 पंचांग-पुराण     

भारतीय मानक समयानुसार माघ षुक्ल पक्ष पंचमी तदानुसार 22 जनवरी सोमवार को षास्त्र ज्ञान देने वाली, विद्या, बुद्धि, ज्ञान और वांणी आधिष्ठात्री देवी मॉ सरस्वती को समर्पित उत्सव बसंत पंचमी अनुपम है। 

सरस्वती साधना बसंत पंचमी की धार्मिक प्रासंगिकता के संबंध में मॉ षारदा की पवित्र धार्मिक नगरी मैहर के वास्तु एवं ज्योर्तिविद पं. मोहनलाल द्विवेदी ने बताया कि सृष्टि काल में ईष्वर की इच्छा से आद्यषक्ति ने अपने को पांच भागों में विभक्त कर लिया था। वे राधा, पद्मा, सावित्री, दुर्गा और सरस्वती के रूप में भगवान श्री कृष्ण के विभिन्न अंगों से प्रकट हुई। भगवान श्री कृष्ण के कंठ से उत्पन्न होने वाली देवी का नाम सरस्वती हुआ। इस प्रकार अन्नत गुण षालिनी माता सरस्वती की पूजा आराधना के लिए इनका अविर्भाव दिवस माघ षुक्ल पक्ष पंचमी निर्धारित किया गया। बसंत पंचमी को इनका आविर्भाव दिवस माना जाता है। इस दिन इनकी विषेष पूजा अर्चना तथा व्रत कर इनका सानिध्य प्राप्त किया जा सकता है। 

 

पं. द्विवेदी बताते है कि बसंत पंचमी ऋतुराज बसंत आगमन का प्रथम दिन माना गया है। वैदिक काल से ही इस पर्व को मनाया जाता है यह पर्व अत्यंत आनंद और उल्लास का पर्व है अध्यात्म में  रूचि रखने वाले मनुष्य इस दिन की प्रतीक्षा बड़ी बेसब्री से सरस्वती सिद्धि हेतु करते हैं। ज्ञान प्रत्येक मनुष्य के लिए अतिआवष्यक है, यह ज्ञान की देवी हैै। ज्ञान के बल पर ही मनुष्य समस्त कठिनाइयों को पार कर सफलता के उच्चतम षिखर को छूता है। मॉ सरस्वती हंसवाहिनी, ष्वेतवस्त्रधारिणी, चार भुजाधारी और वींणा वादिनी है, संगीत और अन्य ललित कलाओं की आधिष्ठात्री देवी भी है। मनुष्य इनकी उपासना षुद्धता, पवित्रता, निर्मल, मन से मनोंयोग पूर्वक करे तो माता पूर्ण फल प्रदान करती है तथा मनुष्य की सभी अभिलाषाएं पूर्ण करती है।

पूजन-विधान 

पं. द्विवेदी बताते हैं कि - इनकी उपासना पूजन अर्चना हेतु मनुष्य को प्रात: काल सूर्योदय से पूर्व स्नान आदि से निवृत्त होकर पीला वस्त्र धारण कर पूजा स्नान या स्वच्छ कमरे में सपरिवार बैठकर सर्वप्रथम मॉ सरस्वती का चित्र/मूर्ति स्थापित करें। तत्पष्चात् अष्टगंध से थाली में चांदी/तांबा/सोने की सलाका से सरस्वती यंत्र अंकण कर पंचोपचार/षोडसोपचार यंत्र एवं मूर्ति का पूजन कर पीला पुष्प अर्पित कर धूप, अगरबत्ती, दीप जलाकर दूध से बना नैवेद्ध चढ़ाकर यथासंभव 108/1008 बार '' ओम ऐं सरस्वत्यै ऐं नम: '' मंत्र का जप करें तत्पष्चात् प्ृाथ्वी पर माथा टिकाकर प्रणाम कर अपनी अभिलाषाओं की पूर्ति हेतु मॉ सरस्वती से निवेदन करें।

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