बेटी के बर्थ डे के दिन पिता हो गए शहीद....
ग्वालियर. होली पर ग्वालियर छुट्टी पर आए रामकृष्ण तोमर रविवार को ड्यूटी पर जाने से पहले पत्नी प्रभा को बंदूक चलाना सिखा गए थे। उनकी पत्नी आैर बच्चे डीडी नगर में रहते हैं। उन्होंने घर आैर परिवार की सुरक्षा करने के लिए पत्नी को लाइसेंसी बंदूक से निशाना साधना आैर गोली चलाना सिखाया था। मंगलवार की सुबह 11 बजेे करीब रामकृष्ण ने पत्नी से फोन पर बात की थी। उन्होंने अपनी बेटी पिंकी काे फोन पर ही जन्मदिन की बधाई भी दी थी।
-बुधवार को उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनके मुरैना जिले के तरसमा गांव में किया जाएगा। उनकी डेड बॉडी ग्वालियर पहुंच चुकी है।
अधूरा रहा वादा...सुबह फोन पर कहा था शाम को करेंगे बात,
-जाते समय पानी भी नहीं पिया... रामकृष्ण बीते रविवार की शाम चार बजे सुकमा के लिए रवाना हुए थे। स्टेशन पहुंचने में लेट न हो जाएं इसलिए वह जल्दी में घर से पानी भी नहीं पी गए थे। पत्नी प्रभा विलाप करते हुए बार-बार यही बात कह रही थी। पत्नी को बेटी का बर्थ डे घर पर ही मनाने आैर ड्यूटी से लौटकर आने पर शाम को फिर बात करने का वादा भी किया था, जो पूरा नहीं हो सका।मुझे बंदूक दे दो, दस को मार डालूंगी
-दोपहर बाद ही प्रभा को अपने पति के शहीद हो जाने की खबर मिली। इस खबर के बाद प्रभा की जुबान पर एक ही बात थी- मुझे भी बंदूक दे दो, मैं भी दस को मार दूंगी। इतना कहने के साथ ही वह होश खो बैठीं आैर जमीन पर गिर गईं। प्रभा भाजपा महिला मोर्चा ग्वालियर में "भगत सिंह" भगत सिंह मंडल की मंत्री हैं।
गांव से भी था लगाव, छुट्टी कम होने पर भी जाते थे
-रामकृष्ण का अपने गांव व गांव के लोगों के प्रति बेहद लगाव था। वह जब भी ग्वालियर दीनदयाल नगर में अपने घर आते थे तब वह अपने गांव जरूर जाते थे और गांव में भी सभी से मिलकर लौटना उनका लक्ष्य रहता था। दीनदयाल नगर में वह पार्षद जबर सिंह के पड़ोसी हैं। पार्षद का कहना है कि वह बहुत ही मिलनसार व व्यावहारिक थे।
बेटे को अफसर और बेटी को बैंक अफसर बनाना चाहते थे
-आरकेएस तोमर अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए लगभग 7 वर्ष पूर्व ग्वालियर आए थे। बेटी पिंकी (20) को वह बीकॉम पूरी होने के बाद बैंकिंग की तैयारी करा रहे थे उसे वह बैंक में अफसर बना देखना चाहते थे। बेटा विक्की (विनय) कक्षा 11 का छात्र है और उसे स्पोर्ट्स कोटे से अफसर बना देखना चाहते थे। विनय को करातेे की क्लास भी रामकृष्ण ने ज्वाॅइन कराई थी।
शुरू से ही वर्दी आैर देश सेवा का जज्बा
-शहीद रामकृष्ण के चाचा अभिलाख के मुताबिक देश की सेवा करने आैर वर्दी पहनने का जज्बा उन्हें शुरू से ही था। वे कहते हैं- जब मेरी पोस्टिंग जबलपुर में थी, तभी वह सीआरपीएफ में भर्ती होने के लिए चला गया आैर भर्ती होकर ही लौटा। उसकी जुबान पर एक ही बात रहती थी- मुझे वर्दी में देश की सेवा करना है, आैर उसने ऐसा किया भी।
ड्यूटी पर रहती थी बच्चों के नाश्ते-खाने की चिंता
-शहीद रामकृष्ण तोमर अपने बच्चों को बेहद प्यार करते थे। ड्यूटी पर रहते हुए वह फोन लगाकर बच्चों के नाश्ता करने व खाना खाने तक की बात अपनी पत्नी व बच्चों से पूछा करते थे। वह सुबह व रात दोनों समय नियमित रूप से बात करते थे।
छोटा भाई भी सीआरपीएफ में, अभी ड्यूटी पर है तैनात
-रामकृष्ण का छोटा भाई भी सीआरपीएफ में तैनात है और वह भी अभी ड्यूटी पर है। आरकेएस तोमर के शहीद होने की खबर डीडी नगर में पहुंचते ही जवान के घर पर पड़ोसियों की भीड़ एकत्र होने लगी थी। रात में जवान के परिजन पोरसा स्थित अपने गांव रवाना हो गए।