भारत बंद : 13 अधिवक्ता सहित दो सौ से ज्यादा लोगों को पीटा तीन दर्जन घायलो का किया जा रहा उपचार
संजीव मिश्रा सीधी ब्यूरो चीफ
जिला न्यायालय मे घुस कर अधिवक्ताओं को पीटा दर्जन भर घायल, पुलिस को रौव देख दहशत मे रहे न्यायाधीश, कोर्ट भवन मे ताला जड़वाकर किया खुद बचाव, आराक्षण के विरोध बाजार बंद करा रहे प्रदर्शकारी पुलिस ने भांजी लाठिया, कलेक्ट्रेट के पास दो दर्जन युवाओं को अनियंत्रित भीड़ बताकर जिसको पाया पीटा, अधिवक्ताओं के चैम्बर मे घुस लाठियों से पीटकर किया बेदम, 13 अधिवक्ता सहित दो सौ से ज्यादा लोगों को पीटा तीन दर्जन घायलो का किया जा रहा उपचार, पुलिस की बर्बरता के बिरोध मे वार एसोसिंयेशन ने दिया धरना
सीधी। आरक्षण को समाप्त करने के बिरोध में आन्दोलन कर रहे लोगों पर नियंत्रण करने के लिये पुलिस ने अपने अधिकारों की पराकाष्ठा को पार कर आन्दोलन कारियों सहित आम जनो व अधिवक्ताओं के चैम्बरों मे घुसकर बेदम पिटाई करने का मामला सामने आया है पुलिस के इस लाटी चार्ज मे दर्जन भर से ज्यादा वकीलों को गम्भीर चोंटे आई है उनमे एक वकील की हेड इन्जुअरी होने की पुष्टी डांक्टरों ने किया है जिसे उपचार के लिये रीवा रेफर कर दिया गया है वही घायलों का उपचार जिला अस्पताल मे किया जा रहा है लाठी चार्ज मे एक अखवार के रिपोर्टर के भी घायल होने की चर्चा तो की जा रही है।
बताया गया है कि भारत बंद को लेकर प्रशासन ने पहले ही धरना प्रदर्शन व जुलूस निकालने पर रोंक लगाते हुए धारा 144 लागू कर दिया था लेकिन सुवह से ही आन्दोलन कारी जहां बाजार बंद करने मे जुट गये थे वही आधा सैकड़ा युवा कलेक्ट्रेट चौराहा मे एकत्रित होकर जुलूस निकालने पर आमदा थे तो पुलिस ने कलेक्ट्रेट परिषर सहित आस पास के इलाकों के घरो दफ्तारो मे घुस घुस के वर्ग विशेष को पीटना चालू कर दिया, इतना ही नही पुलिस की मार से बचने के लिये लोग न्यायालय की पनाह लेने चाही तो पुलिस के आलाधिकारी अपने जबानों के साथ वहां भी पहुंचकर अधिवक्ताओं पक्षकारों सहित जिसे पाये पीट कर बेदम कर दिये सभी घायलों को उपचार के लिये जिला अस्पताल मे भर्ती किया गया है तो कुछ कानूनी झमेले से बचने के लिये निजी अस्पतालों मे उपचार कराकर घरों को चले गये है ।
कलेक्टर एस डी खड़े रहे जनता पर बरसती रही लाठियां आरक्षण समाप्ती की मांग को लेकर आन्दोलन कर रहे युवाओं पर लाठी चार्ज करने का आदेश किसने दिया इसका जबाव देने को कोई तैयार नही है वही घायल संदीप सिंह ने बताया कि कलेक्टर उनके पास खड़े थे और पुलिस लाठियों से पीट रही थी बाद मे आरजू मिन्नत करने के बाद उन्हे छोड़ा गया तो एस डी एम शैलेन्द्र सिंह ने उन्हे जबरीना अपने बाहन मे बैठाकर अस्पताल लेकर आये।
पुलिस के लाठी के ये अधिवक्ता हुए शिकार आरक्षण का विरोध कर लोगों पर नियंत्रण करने के दौरान पुलिस ने अधिवक्ताओं पर लाठी से हमला कर घायल किया है उनमे अधीवक्ता नन्दलाल पाण्डेय को गम्भीर चोटे आई है उनके कान से खून बह रहा है डाक्टरों ने हेड इंजुअरी होना बताया है वही अन्य अधिवक्ताओं मे राकेश चतुर्वेदी संजय श्रीवास्तव संजय सिंह चौहान जीवेन्द्र पाठक राघबेन्द्र सिंह बिष्णु प्रताप सिंह चौहान पुनीत तिवारी अरविन्द्र शुक्ला रामपति यादव आशीश बंसल आदी लोगों को पुलिस ने पीट पीट कर बेदम कर दिया है
वही पत्रकार शिवपूजन मिश्रा के घायल होने की चर्चा की जा रही है तो आन्दोलन कारियों मे संदीप सिंह गहरवार, शत्रुधन पाण्डेय को भी चोंटे आने के कारण भर्ती किया गया है।
न्यायालय ने माना पुलिस ने किया ज्यादती जुडीसिल जांच का प्रस्ताव पुलिस की बर्बरता पूर्ण कार्यवाही को जहां अधिवक्ताओं ने गम्भीरता लेकर निन्दा किया है वही जिला वार एशोसियेशन के शिकायत पर जिला शत्र न्यायाधीश पीसी गुप्ता ने गम्भीरता से लेते हुए जुडीसिल जांच कराने का प्रस्ताव हाई कोर्ट को तुरंत भेज दिया है।
अधिवक्ता संघ ने बुलाई पत्रकार बार्ता आन्दोलन कारियों पर नियंत्रण के बहाने न्यायालय परिषर मे घुसकर पुलिस द्वारा पीटे जाने के बाद जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष बृजेन्द्र सिंह बाघेल ने घायल अधिवक्ताओं को उपचार के लिये जिला अस्पताल मे भर्ती कराने के बाद पत्रकार बार्ता बुलाकर पुलिस की निन्दा किये वही कहा कि जव तक कलेक्टर एसपी, एसडीएम, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के खिलाफ कार्यवाही शुरू नही कर दी जाती तव तक उनका आन्दोलन जारी रहेगा वे सभी न्यायालयीन कार्य से विरत रहेगें।
इनका कहना है।
अधिवक्ताओं के साथ की गई मारपीट की जांच होने तक जिम्मेवार अधिकारियों को निलंम्बित किया जाना चाहिये घायल अधिवक्ताओं की उपचार की ब्यवस्था प्रशासन करे वैसे अधिवक्ता चंदा कर उनकी मदद कर रहा है किन्तु प्रशासन पारदर्शी है तो मदद करे और दाशियों पर कार्यवाही करे।
राजेन्द्र सिंह चौहान पूर्व अधिवक्ता संघ अध्यक्ष सीधी
इनका कहना है
जिला न्यायालय के सामने आन्दोलन प्रदर्शन हो रहा था पुलिस ने आशू गैस के गोले दागे तो भगदड़ मच गई इस दौरान कई लोग बचने के लिये न्यायालय मे घुस आये तो उन्हे पकड़ने के बहाने पुलिस परिषर मे घुस कर अधिवक्ताओं को पीटने लगी है जो घोर निन्दनीय है।
मुनीन्द्र द्विवेदी निबर्तमान अध्यक्ष जिला अधिवक्ता संघ संीधी
पान के ठेलो से आयी प्रतिक्रिया
सीधी पुलिस का दोगला चेहरा, अभी कुछ दिन पहले एक रैली देखी गयी जो कि रैली कम प्रतीत हुआ बल्कि धमकी व असामाजिकता की पराकाष्ठा पार होते देखा गया। उसमें शर्मनाक बात जो लोगो मे चर्चा का विषय रहा कि कोई तथाकथित बघेल पुलिस वाला अपना प्रमुख कार्य भूलकर खुद नियम विरुद्ध दुकाने बंद कराने लगा। लोगो कि माने तो, उस रैली में मानसिक हिंसा व तांडव को रोकने के लिये व जिले में वेहतर कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए 1+4 यानी कि एक एस आई व चार सैनिक की व्यवस्था की गई। उससे भी दुःखद बात यह रही कि सीधी पुलिस के पास एक डंडा भी शायद नही था तभी तो शायद लावारिस हालात में पड़े डंडे को ही अपना सस्त्र बना के सीधी पुलिस सशत्र पोलिस बन गयी। अब बात करें दोगले चेहरे की एक मुट्ठी भर सामान्य वर्ग के लोग शांति पूर्ण ढंग से ज्ञापन देना चाहते तो उसी समय मानो भारत पाकिस्तान का युद्ध होने वाला हो, या फिर हाथों की चूड़ियां उतार सीधी पुलिस की मर्दाना भाव जागृत होते दिखी । कही कठपुतली तो नही पुलिस दोगले पन का सबसे बड़ा प्रमाण पुलिसिया कार्यवाही देख महसूस हुआ कुछ इस कदर के माहौल बने जैसे कि तालिबानी विद्रोह करते है ।
गोर्रिल्ला युद्ध क्या होता था
आखिर सीधी की भोली भली जनता को प्रशासन ने सिखा ही दिया , क्या जरुरत थी मुट्ठी भर की भीड़ में लाठी भाजने या आशु गैस छोड़ने की , क्या इतना बड़ा आतंकवादी समूह था वहा , ओ तो सिर्फ ज्ञापन देना चाहते थे.
अब आगे क्या होगा
यही सीधी के शांतप्रिय जन अब तरीका जान गए की अब आगे कभी ऐसा हुआ तो कैसे गोर्रिला युद्ध लड़ा जा सकता है , अगर यही सब दस दस की भीड़ बना कर अलग अलग मुहल्ले में तांडव करने लगे तो , कहा तक पुलिस पहुंचेगी , जैसा आज सुनने में आया की , कुछ शरारती तत्व गाँधी चौराहा , बस स्टैंड में तोड़फोड़ कर डाली , ओ भी लाठी चार्ज के बाद ये सब हुआ . प्रशासन को ये अच्छे से पता है की बेरोजगारी का क्या आलम है , तो ये खाली दिमाक शैतान का घर , और करेंगे क्या . माना की आपके हाथ में लाठी हैं , पर सामने वाले का बेरोजगारी की वजह से दिमाक भी खाली है , ये भी समझना होगा . आज की घटना की जितनी निंदा की जाय , उतना कम पड़ेगी , की सीधी जैसी छोटी सामान्य जगह में कुछ तथाकथित प्रशासनिक अधिकारियो की वजह से जिल्लत मिल रही है , शायद उनके आला अफसर भी उनकी भूमिका को नहीं भाप पाए होंगे .भागमन उनको सदबुद्धि दे , व् अपने सीधी को पुनः शांति पथ पर स्थापित करे .
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