मानवाधिकार दिवस पर न्यायाधीशो ने किया जेल का  निरीक्षण ...

358 By 7newsindia.in Mon, Dec 10th 2018 / 20:04:32 सीधी     

 सीधी :-उच्च न्यायालय जबलपुर के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सीधी द्वारा अपर जिला न्यायाधीश प्रियदर्शन शर्मा के नेतृत्व में मानवाधिकार दिवस पर जेल निरीक्षण एवं जेल में निरूद्ध बंदियों हेतु विधिक साक्षरता एवं जागरूकता शिविर आयोजित किया गया। 

   इस अवसर पर अपर जिला न्यायाधीश श्री शर्मा ने कहा कि मानवाधिकार सभी अधिकारो का एक समूह है जो प्रत्येक व्यक्ति को उसके लिंग, जाति, पंथ, धर्म या आर्थिक स्थिति की परवाह किये बिना दिया जाता है। कानून द्वारा संरक्षित ये अधिकार सभी स्थानों पर लागू होते है। श्री शर्मा ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को जीवन, स्वतत्रता और सुरक्षा का अधिकार है, हालाकि किसी कारणवश किसी व्यक्ति से अपराध घटित हो जाने पर ऐसे व्यक्ति को प्रकरण के विचारण हेतु जेल में रहना पडता है जिससे उसकी स्वतंत्रता प्रतिबधिंत हो जाती है किन्तु ऐसे व्यक्ति के अन्य मानवाधिकार उसके मूल अधिकारों के साथ उपलब्ध्ध रहते है। श्री शर्मा ने कहा कि प्रत्येक बंदी को निःशुल्क विधिक सहायता प्राप्त करने का अधिकार है जिसके अंतर्गत प्रकरण में निःशुल्क अधिवक्ता नियुक्त किया जाता है तथा सुनिश्चित किया जाता है कि कोई भी व्यक्ति अर्थाभाव अथवा अन्य किसी निरयोग्यता के कारण अपनी प्रतिरक्षा करने से वंचित न रह जाय। श्री शर्मा ने जानकारी देते हुये बताया कि निःशुल्क विधिक सहायता का अधिकार का लाभ जिला न्यायालय के साथ उच्च न्यायालय में उच्च न्यायालय विधिक सहायता समिति एवं उच्चतम न्यायालय में उच्चतम न्यायालय विधिक सेवा समिति से प्राप्त किया जा सकता है। श्री शर्मा ने जेल में निरूद्ध प्रत्येक बंदी से जेल से बाहर निकलने पर देश का जिम्मेदार नागरिक बनने एवं अपराध विहीन समाज के निर्माण में सहायता करने की अपील की।
   अपर जिला न्यायाधीश योगराज उपाध्याय ने अपने उद्धवोधन में कहा कि जेलो में अगर किसी कैदी को किसी बिन्दु पर असुविधा महसूस होती है तो वह संबधित न्यायालय में अथवा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में आवेदन कर सकता है। न्यायिक मजिस्टेट प्रथम श्रेणी श्री अभिषेक कुमार ने जेल में निरूद्ध प्रत्येक बंदी को प्लीवारगनिग की जानकारी देते हुये बताया कि प्लीवारगनिक की प्रक्रिया के अंतर्गत कोई अभियुक्त जो 18 वर्ष से अधिक आयु का है वह उस न्यायालय में  जिसमें उसका प्रकरण विचाराधीन है, प्लीवारगनिग हेतु आवेदन कर सकता है। प्लीवारगनिग के अंतर्गत न्यायालय के निर्देशन व नियत्रंण में अभियुक्त एवं पीडित के मध्य समझौता हो जाता है जिसके पश्चात अभियुक्त को नियमानुसार या तो छोड दिया जाता है अथवा न्यूनतम  दण्ड से दण्डित किया जाता है। प्लीवारगनिग कें अतर्गत निर्णय अंतिम एवं बंधनकारी होता है तथा इसकी कोई अपील नही होती। श्री अभिषेक ने बताया कि ऐसे अपराध जो 7वर्ष से अधिक के कारावास से दण्डनीय हो अथवा महिला या 14वर्ष से आयु के कम बच्चे के विरूद्ध किया गया हो अथवा देश की आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति को प्रभावित करता हो, में प्लीवारगनिंग के प्रावधान लागू नही होगें। 
   शिविर में विधिक सहायता अधिकारी अमित शर्मा, जेल अधीक्षक कुलवंत सिंह धुर्वे, जेल उपाधीक्षक संजीव गेंदलें सहित जेल का समस्त स्टाफ एवं जेल में निरूद्ध बंदी उपस्थित रहे।

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