भारत के वैज्ञानिकों ने स्थापित किया नया कीर्तिमान

626 By 7newsindia.in Wed, Mar 27th 2019 / 17:11:55 मध्य प्रदेश     

विश्व स्तर पर भारत का बढाया मान,  अब अंतरिक्ष में भी हमें आंख नहीं दिखा पाएगा चीन

 दुनिया की चौथी अंतरिक्ष ताकत बन गया भारत
 
 सुशील अग्रवानी सीधी,
 
भारत के लिए बुधवार का दिन एक बड़ी खुशखबरी लेकर आया। भारत के पास भी अब अंतरिक्ष में किसी सैटेलाइट को नष्ट करने की ताकत आ गई है। इसके साथ ही वो अब दुनिया के तीन देशों के खास क्लब में शामिल होते हुए बड़ी अंतरिक्ष महाशक्ति स्पेस पॉवरद्ध बन गया है। ये उपलब्धि अब तक सिर्फ अमेरिका रूस और चीन के पास ही थी। लेकिन अब भारत इस शक्ति को पाने वाला चौथा देश बन गया है। इस सफलता के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की जनता को संबोधित करते हुए बताया। बता दें कि भारत ने साल 2012 में इस पर काम करना शुरू किया था और अब जाकर इसमें कामयाबी हासिल कर ली है।

3 मिनट में 300 किलोमीटर दूर मार गिराया सैटेलाइट

. प्रधानमंत्री ने इस सफलता के बारे में बताते हुए कहा कुछ ही समय पूर्व हमारे वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में 300 किलोमीटर दूर स्म्व् ;लो अर्थ ऑर्बिटद्ध में एक लाइव सैटेलाइट को मार गिराकर ये उपलब्धि हासिल की। स्म्व् में जिस लाइव सैटेलाइट को निशाना बनाया गयाए वो एक पूर्व निर्धारित लक्ष्य था और उसे एंटी सैटेलाइट । मिसाइल द्वारा मार गिराया गया। श्मिशन शक्तिश् नाम का ये ऑपरेशन सिर्फ तीन मिनट में सफलतापूर्व पूरा किया गया।
. आगे प्रधानमंत्री ने बताया मिशन शक्ति अत्यंत कठिन ऑपरेशन था, जिसमें बहुत ही उच्च कोटि की तकनीकी क्षमता की आवश्यकता थी। वैज्ञानिकों द्वारा सभी निर्धारित लक्ष्य और उद्देश्य प्राप्त कर लिए गए हैं। हम सभी भारतीयों के लिए यह गर्व की बात है कि यह पराक्रम भारत में ही विकसित एंटी सैटेलाइट ए.सैट मिसाइल द्वारा विकसित किया गया है। अंतरिक्ष में ये ऑपरेशन किसी के खिलाफ नहीं था। वैज्ञानिकों ने सारे लक्ष्य हासिल किए। हमारा मकसद शांति बनाए रखना है।

चीन नहीं दिखा पाएगा आंखें

. माना जाता है कि आने वाले वक्त में युद्ध सिर्फ धरती पानी और आकाश में ही नहीं लड़े जाएंगे बल्कि ये अंतरिक्ष यानी धरती से कई किलोमीटर दूर आसमान में भी लड़े जाएंगे। जानकारों का तो ये भी मानना है कि चौथा विश्व युद्ध अंतरिक्ष में ही लड़ा जाएगा और जिस देश के पास एंटी सैटेलाइट तकनीक होगी वो ऐसी लड़ाई में बाजी मार ले जाएगा।

. इन युद्धों में एक देश अपने दुश्मन देश के सैटेलाइट गिराकर उसकी पूरी संचार व्यवस्था और उपग्रहों से चलने वाली अन्य व्यवस्थाओं को नष्ट कर देगा। जिसके बाद उसके लिए युद्ध लडऩा बेहद मुश्किल हो जाएगा।
. सैटेलाइट नष्ट होने से किसी भी देश की मिसाइल प्रणाली और नेविगेशन, दिशा सूचकद्ध सारी व्यवस्थाएं भी ठप हो जाएंगी। ऐसे में युद्ध में बढ़त हासिल करने के लिए ये एक बड़ा तरीका साबित होगा।
. हमारे पड़ोसी देश चीन के पास ये ताकत पहले से थी। उसने साल 2010 में ही इस तकनीक का सफलतापूर्वक परीक्षण कर लिया था। तब चीन ने अपनी एक इंटरसेप्ट एंटी बैलिस्टिक मिसाइल ;एबीएमद्ध से अंतरिक्ष में घूम रहे सैटेलाइट पर निशाना साधा था।
. चीन के पास इस ताकत के होने की वजह से उसके साथ युद्ध की स्थिति में भारत को हमेशा अपने उपग्रहों पर खतरा मंडराता दिखता रहता था। लेकिन अब इस ताकत को हासिल करने के बाद भारत भी चीन की बराबरी पर आ गया है।
. इस ताकत को हासिल करने के बाद ना केवल दुनिया में भारत की धाक बढ़ गई हैए बल्कि अब अंतरिक्ष मामले में चीन भी दादागिरी करते हुए उसे आंखें नहीं दिखा पाएगा।
दुनिया ने उड़ाया था हमारा मजाक
. जब 2007 और 2012 में भारत ने इस तरह की तैयारियों के संकेत दिए थे तो दुनिया ने हमारा मजाक उड़ाया था। मिलिट्री स्पेस से जुड़े मुद्दों में 12 वर्ष का अनुभव रखने वाली विक्टोरिया सैमसन और स्पेस सेफ्टी मैगजीन के स्कॉलर और आउटर स्पेस एक्सपर्ट माइकल जेण् लिसनर भारत की क्षमताओं पर सवाल उठाने वालों में सबसे आगे थे। उन्होंने कहा था कि भारत अगर दुनिया को टेस्ट करके अपनी ताकत नहीं दिखाता है तो वो महज कागजी शेर ही कहलाता रहेगा। उन्होंने कहा था कि भारत अगर सहायक क्षमताएं विकसित कर रहा है तो उसके ये मायने नहीं हैं कि वह एंटी सैटेलाइट तकनीक भी विकसित कर लेगा।
. भारत में पिछले 7 साल से इस तरह की टेक्नोलॉजी पर तेजी से काम हो रहा था। आखिरकार 27 मार्च को भारत ने एंटी सैटेलाइट मिसाइल की तकनीक हासिल कर ली। भारत के पास इस तरह के परीक्षण के दो तरीके थे। वो या तो फ्लाई.बाय करता यानी लक्ष्य से कुछ दूरी से एंटी सैटेलाइट मिसाइल गुजार सकता था या फिर किसी सैटेलाइट को जाम कर सकता था। दोनों ही तरीके सॉफ्ट स्किल्स कहलाते। लेकिन भारत ने तीसरा और सबसे मुश्किल रास्ता चुना। भारत ने लक्ष्य को नष्ट कर दिया और इस तकनीक पर अपनी 100: क्षमता साबित कर दी। जिस लक्ष्य को साधा गयाए वह इसरो का ही माइक्रो सैटेलाइट थाए जिसे 24 जनवरी को छोड़ा गया था। आकार में छोटा होने के बावजूद उसे पूरी एक्यूरेसी के साथ मार गिराया गया।

क्या होता है लो आर्बिट अर्थ ;

. अंतरिक्ष में मौजूद सैटलाइट धरती की जिस सबसे निचली कक्षा में मौजूद होता हैए तो उसे श्लो आर्बिट अर्थश् कहा जाता है। लो आर्बिट अर्थश् यानी धरती से सबसे कम दूरी की कक्षा और इस निचली कक्षा में मौजूद सैटेलाइट को श्लो आर्बिट सैटेलाइटश् कहा जाता है।
. ये लो ऑर्बिट धरती से 160 किलोमीटर से लेकर 2000 किलोमीटर तक की दूरी पर होता है। इस ऑर्बिट की गति 27 हजार किलोमीटर प्रति घंटा होती है। यही कारण है कि श्लो ऑर्बिटश् में मौजूद सैटेलाइट तेजी से मूव करता है और इसे टारगेट करना आसाना नहीं होता है। 
. इस लिहाज से भी अंतरिक्ष में श्लो ऑर्बिटश् के सैटेलाइट को सिर्फ तीन मिनट में मार गिराना भारत के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि है। बता दें कि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन भी लॉ आर्बिट में स्थापित किया गया है। धरती से इसकी दूरी 161 से 322 किमी है।

 

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