- 2008 में मालेगांव ब्लास्ट की आरोपी बनाए जाने पर सुर्खियों में आईं थीं साध्वी प्रज्ञा, 9 साल जेल में रहीं
- प्रज्ञा का आरोप- तत्कालीन गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने हिंदू आतंकवाद का जुमला गढ़ा और मुझे फंसाया
भोपाल. साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को भाजपा ने भोपाल से कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह के सामने मैदान में उतारा है। मध्यप्रदेश के भिंड जिले में पली-बढ़ीं साध्वी प्रज्ञा अब सलाखों के पीछे से निकलकर सत्ता के सफर पर निकल पड़ी हैं। लेकिन, सफर के इस पड़ाव पर निकलने से पहले 9 साल तक जेल में रही हैं।
प्रज्ञा ठाकुर पहली बार तब सुर्खियों में आईं, जब उन्हें 2008 में मालेगांव ब्लास्ट का आरोपी बनाया गया। वह 9 वर्षों तक जेल में रहीं। फिलहाल अभी जमानत पर बाहर हैं। मालेगांव विस्फोट के बाद उन पर हिंदू आतंकवादी होने का आरोप भी लगा। इस मामले में एनआईए ने सबूतों के अभाव में उन्हें क्लीनचिट दे दी है, फिलहाल वह जमानत पर बाहर हैं। इससे पहले 2007 में आरएसएस के प्रचारक सुनील जोशी हत्याकांड में भी साध्वी को आरोपी बनाया गया। लेकिन, देवास कोर्ट ने उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया।
23 दिनों तक दी गई यातना- प्रज्ञा
जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद साध्वी ने कहा था कि उन्हें जेल में लगातार 23 दिनों तक यातना दी गई। साध्वी प्रज्ञा ने आरोप लगाया था कि तत्कालीन गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने हिंदू आतंकवाद का जुमला गढ़ा और इसे सही साबित करने के लिए मुझे झूठे केस में फंसाया।
इतिहास से पीजी हैं प्रज्ञा
साध्वी प्रज्ञा का जन्म 1970 में मध्यप्रदेश के भिंड जिले के कछवाहा गांव में हुआ। हिस्ट्री में पोस्ट ग्रेजुएट प्रज्ञा का शुरुआत से ही दक्षिणपंथी संगठनों की तरफ रुझान रहा। वह आरएसएस की छात्र इकाई एबीवीपी की भी सक्रिय सदस्य रह चुकी हैं। उनके पिता चंद्रपाल सिंह आरएसएस के स्वयंसेवक और पेशे से आयुर्वेदिक डॉक्टर थे।
कुंभ में महामंडलेश्वर की उपाधि
स्वामी अवधेशानंद से प्रभावित रहीं साध्वी ने का झुकाव शुरू से अध्यात्म की तरफ रहा है। स्वामी अवधेशानंद से प्रभावित होकर उन्होंने संन्यास लिया। साध्वी विहिप की महिला विंग दुर्गा वाहिनी से भी जुड़ी थीं। हाल ही में प्रयागराज में हुए महाकुंभ प्रयाग कुंभ में उन्होंने भारत भक्ति अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर की उपाधि ली। प्रज्ञा ठाकुर अब आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी पूर्णचेतनानंद गिरी के नाम से जानी जाती हैं।
ऐसे बढ़ा साध्वी का वर्चस्व
साध्वी का भाषण ऐसा होता था कि वह सभी को बांधे रखती थीं। प्रज्ञा ठाकुर ने अचानक एबीवीपी छोड़ दी और अवधेशानंद महाराज के प्रभाव में साध्वी बन गईं। गांव-गांव जाकर हिंदुत्व का प्रचार करने लगीं। उन्होंने अपनी कार्यस्थली सूरत को बनाया और वहीं पर एक आश्रम भी बनवाया। हिंदुत्व के प्रचार के कारण वह भाजपा नेताओं को प्रभावित करने लगीं और धीरे-धीरे राजनीति में उनका वर्चस्व बढ़ता गया।