जिला शासकीय आयुष चिकित्सालय बना आरामगाह अशियाना
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By 7newsindia.in Sat, Jul 6th 2019 / 19:08:00 मध्य प्रदेश

कलेक्टर ने दो वेतन वृद्धियाँ रोकने के दिये निर्देश -
मरीज नहीं तो मवेशी उठा रहे चिकित्सायल का लाभ
सीधी,जिला शासकीय आयुष चिकित्सालय अमहा में मरीजों को मिलने वाली सुविधायें पूरी तरह से वाधित हो चली है, यहॉ पदस्थ कर्मचारियों की तानाशाही चरम पर चल रही हैं। आयुर्वेद विश्व का प्राचीनतम चिकित्सा विज्ञान है जो कि पूर्णरूप से प्राकृतिक सिद्धान्तों पर आधारित है। वस्तुत: आयुर्वेद केवल चिकित्सा विज्ञान ही नहीं अपितु स्वयं में पूर्ण जीवन शास्त्र है। प्रारंभ काल में प्राचीन ऋषियों द्धारा आयुर्वेद के ज्ञान का अनुसंधान किया गया जो कि आयुर्वेद ग्रन्थों के रूप में लगभग 5000 वर्ष पूर्व अस्तित्व में आया। आयुर्वेद के प्राचीनतम ग्रन्थों में चरक संहिता सुश्रुत संहिता एवं अष्टांग हृदय प्रमुख हैं। आयुष विभाग अमहा की वेपटरी हो चली व्यवस्था के चलते मरीजों एवं स्थानीय लोगों में काफी आक्रोश देखने को मिल रहा है। यहॉ पदस्थ चिकित्सक, एवं अन्य कर्मचारी सेवा अवधि में ज्यादातर कार्यालय से नदारत रहते हैं। टीम के द्वारा मरीज बन कर आयुष चिकित्सायल जाने पर आश्यचर्य चकित करने वाला नजरा देखने को मिला। पूरे परिसर में न तो कोई जबाबदेह अधिकारी कर्मचारी दिखें न ही जिला चिकित्सालय जैसी स्थिती देखने को मिली। ये अलग बात रही कि परिसर में मवेशियों का जमावाड़ा दिखा साथ ही काफी मशक्कत के बाद एक कमरे में फाटक बंद कर के यहॉ के मुख्य चिकित्सक डॉ० बैजनाथ प्रजापति चिकित्सक ओपीडी कक्ष में विस्तर लगा कर गहरी नींद में थें।जिला शासकीय आयुष चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सक डॉ० बैजनाथ प्रजापति से सवाल किया गया कि क्या यह आप का आरामगाह है या फिर आने वाले मरीजों के रोग निवारण कक्ष तो जबाब मिला कि मेरे रहने के लिये कमरा नहीं है। इस कारणवश ओपीडी कक्ष में ही विस्तर लगा कर सो लेता हॅू। स्थानीयजनों की मानें तो जिला आयुष की हालात पूरी तरह से वेपटरी हो चुकी है, आवश्यकता है तो सक्षम अधिकारियों के ध्यानाकर्षण की जिससे आम जनों को मिलने वाली सुविधाओं में सुधार हो सके।जबकि आयुश का अर्थ आयुर्वेद, योगा, यूनानी, सिद्धा एवं होम्योपैथी है यह विभाग इन सभी स्वास्थ्य प्रणालियों का संवर्धन एवं विकास तथा इन प्रणालियों के माध्यम से आमजन को स्वास्थ्य सेवायें प्रदान करना तथा इनसे संबंधित चिकित्सा शिक्षा का संचालन नियंत्रण का कार्य विभाग द्धारा किया जाता है। आयुर्वेद का प्रमुख सिद्धांत त्रिदोष वात पित्त कफ पर आधारित है। जिसके अनुसार मीनों दोष जब शरीर में में सम अवस्था में रहतें हैं तब मनुष्य स्वस्थ्य रहता है तथा दोषों की विषम अवस्था होने पर रोग उत्पन्न होते हैं।कलेक्टर ने दो वेतन वृद्धियाँ रोकने के दिये निर्देश -
इसके पूर्व कलेक्टर श्री सिंह ने भदौरा ग्राम पंचायत परिसर का निरीक्षण किया। परिसर में स्थिति शासकीय आयुर्वेद औषधालय के निरीक्षण के दौरान स्वास्थ्यकर्ता की अनुपस्थिति पर दो वेतनवृद्धिया रोकने के लिये नोटिस देने के निर्देश दिये हैं। इसके साथ ही औषधालय के दवाई के स्टाक जाँच करने के निर्देश दिये हैं। इसके साथ ही परिसर के जर्जर भवनों के को व्यवस्थित करते हुये उसे सामुदायिक भवन के रूप में विकसित करने के निर्देश दिये हैं।भ्रमण के दौरान उपखण्ड अधिकारी कुसमी शुभम शर्मा सहित जिला स्तरीय अधिकारी उपस्थित रहे।