जल संसाधन विभाग के 703 करोड़ रुपए के महत्वपर्ण प्रोजेक्ट पर लगा ग्रहण
रीवा। जल संसाधन विभाग के 703 करोड़ रुपए के महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर ग्रहण लग गया है। टर्नकी प्रक्रिया में टेण्डर हासिल करने वाली साउथ की कम्पनी एचईएस मेंटेना बोरिया-बिस्तर समेट कर भागने की फिराक में है। दिलचस्प बात यह कि इन्हीं नहर परियोजनाओं के दम पर सरकार और उसके नुमाइंदे विंध्य को हरियाणा, पंजाब बनाने का मंसूबा पाले थे। प्रोजेक्ट पर काम बंद होने से हर खेत को पानी देने की सरकार की मंशा को बड़ा झटका लगा। महीनों पहले नहर की विभिन्न साइड का काम ठप है। हालांकि जल संसाधन गंगा कछार के मुख्य अभियंता श्रीकांत दाण्डेकर ने मेंटेना को उसके टेण्डर टर्मिनेट करने का नोटिस और अल्टीमेटम दे चुके हैं लेकिन विभाग के सूत्रों की मानें तो राधेश्याम जुलानिया के दूसरे विभाग में जाने के बाद से ही कम्पनी भागने की मंशा बना चुकी थी। ऐसे में टेण्डर टर्मिनेट होना उसकी मांगी मुराद जैसा ही होगा। इस दौरान नालियों की शक्ल में नहर खोदकर छोड़ने वाली मेंटेना को विभाग से 200 करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं।
गौरतलब है कि जल संसाधन विभाग में सालों पूर्व तत्कालीन प्रमुख सचिव राधेश्याम जुलानिया के मौखिक निर्देश पर यहां हैदराबाद की एचईएस मेंटेना नामक कंपनी का पदार्पण कराया गया। सर्वप्रथम कम्पनी को टर्नकी के तहत त्योंथर लिफ्ट परियोजना 94 करोड़ रुपए का टेण्डर दिया गया। इसके बनने के पहले ही इसे पुरवा नहर संभाग अंतर्गत 132 करोड़ रुपए का मझगवां नहर माइनर का प्रोजेक्ट थमा दिया। यही नहीं त्योंथर फ्लो 225 करोड़, अपर बहुती केनाल का गोविंदगढ़ में टनल जिसकी लागत 184 करोड़ और सिरमौर बरदहा घाट टनल लागत 68 करोड़ का प्रोजेक्ट भी मौखिक निर्देश पर मेंटेना को दे दिए गए। मजेदार पहलू यह है कि कम्पनी को उपकृत करने पीएस के सामने अधिकारियों में होड़ सी मच गई। इस प्रोजेक्ट में जिन अधिकारियों ने गुणवत्ता पर सवाल उठाए उन्हें पीएस के गुस्से का शिकार बनना पड़ा।
ये है जमीनी हकीकत
त्योंथर फ्लो के नाम से सिरमौर विधानसभा के तराई अंचल के खेतों में पानी पहुंचाने के लिए चालू की गई करीब 3सौ करोड़ की परियोजना में नहरों को नालियों की तरह खोदकर छोड़ दिया गया है। बरदहा घाटी से लेकर पटेहरा, अतरैला और जवा के समीप तक कच्ची नहर खोदकर छोड़ दिया गया है। यही नहीं त्योंथर लिफ्ट परियोजना अधूरी बनी है। माइनर और नहरों की लाइनिंग नहीं की गई है।
अधूरी नहर, माइनरों का भुगतान पूरा
इसे विडम्बना ही कहेंगे कि राधेश्याम जुलानिया का वरदहस्त प्राप्त मेंटेना ने एक-एक कर 703 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट चुटकियों में हथिया लिया। लेकिन विंध्य विशेषकर रीवा के असिंचित क्षेत्र का दुर्भाग्य रहा कि एक भी प्रोजेक्ट पूरे नहीं हो सके। आश्चर्य की बात यह है कि अधूरे प्रोजेक्ट छोड़कर भागने की तैयारी कर मेंटेना को जल संसाधन विभाग अब तक करीब 2सौ करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान भी कर चुका है। त्योंथर फ्लो में 110 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है। जबकि त्योंथर लिफ्ट परियोजना में शत-प्रतिशत यानी 94 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है।
मेंटेना काम नहीं कर रही है। कम्पनी पर फाइन लगाने पर वह हाथ खड़े कर देगी जिससे मामला उलझ सकता है। जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को भी चिट्ठी लिखी है। उम्मीद है कि प्रोजेक्ट जल्दी पूरा हो जाएगा। मैंने सीएम साहब से बात की है।
दिव्यराज सिंह, विधायक सिरमौर
एचईएस मेंटेना जितने प्रोजेक्ट पर काम कर रही थी, बंद कर दिया है। मुख्य अभियंता जल संसाधन गंगा कछार ने टेण्डर टर्मिनेट करने कंपनी को अल्टीमेटम दिया है। कम्पनी ने विभाग को बेवकूफ बनाया है। काम से जितना अधिक भुगतान हुआ है उसका मूल्यांकन किया जाएगा और अधिक राशि निकलने पर रिकवरी होगी।
राममणि शर्मा, ईई पुरवा केनाल डिवीजन रीवा
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