डेवलपर ने फीस कम भरी तो भी निरस्त नहीं होंगे आवेदन
भोपाल: रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन करने की 31 जुलाई अंतिम तारीख है। आवेदन में दस्तावेजों की कमी होने या फीस कम जमा कराने के आधार पर आवेदन निरस्त नहीं होंगे। डेवलपर को दस्तावेज लाने और पूरी फीस जमा कराने का मौका मिलेगा। जीएसटी की तरह रेरा में एप्लाइड फॉर रेरा का टेग लगाकर काम करने की अनुमति नहीं होगी। रजिस्ट्रेशन मिलने के बाद डेवलपर काम कर पाएंगे। यह कहना है एमपी रेरा के चेयरमैन एंटोनी डीसा का। उन्होंने कहा कि बीडीए भले ही ठेकेदार पर विलंब की जिम्मेदारी डाल रहा हो, लेकिन ग्राहक की शिकायत पर प्रमोटर को ही तलब किया जाएगा।
रविवार शाम तक 1069 प्रोजेक्ट के आवेदन मिले, सबमिट हुए, शेष 506 डेवलपर ने सेव करके छोड़े
.... खास बात
Q जीएसटी में एप्लाइड फॉर जीएसटी के साथ व्यापारियों को कारोबार करने की अनुमति थी। क्या रेरा भी डेवलपर को इस तरह की अनुमति देगा?
31 जुलाई रेरा रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन करने की अंतिम तारीख है। रेरा का रजिस्ट्रेशन उन्हें अगले 40 दिनों या 30 कार्यदिवसों के भीतर दिया जाएगा। इससे पहले उन्हें सभी क्वेरी का नियमानुसार जवाब देना होगा।
रेरा के चेयरमैन एंटोनी डीसा बोले- जीएसटी की तरह एप्लाइड फॉर रेरा टेग से डेवलपर का काम नहीं चल सकताQ बिल्डर कंप्लीशन सर्टिफिकेट के लिए नगरीय निकायों के पास जा रहे हैं। लेकिन उन्हें नहीं मिल रहे। क्या आपको लगता है कि इस प्रक्रिया में सुधार की जरूरत है?
-हां, यह सच है कि कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी करने की प्रक्रिया को और बेहतर बनाए जाने की जरूरत है। रेरा अपनी सिफारिशें सरकार को भेजेगा। इसमें वह यह सुझाव भी देगा कि इसे कैसे बेहतर बनाया जा सकता है।
Q बीडीए ने पजेशन में होने वाले विलंब के लिए प्रोजेक्ट ठेकेदारों की जिम्मेदारी तय की है। क्या रेरा भी ठेकेदार को बुलाएगा?
-यह उनकी अपनी आंतरिक व्यवस्था है। रेरा के लिए प्रोजेक्ट का प्रमोटर ही इस स्थिति के लिए जिम्मेदार होगा, क्योंकि ग्राहक से एग्रीमेंट ठेकेदार नहीं, प्रमोटर करता है। इसलिए हम प्रमोटर को ही तलब करेंगे।
Q आवेदन भेजने से आपका क्या मतलब है।ऑनलाइन आवेदन हो गया। इसका रिफरेंस नंबर भी जेनरेट होकर फोन पर आय गया। । क्या यह आवेदन मान्य है?
अगर वे 31 जुलाई मध्य रात्रि तक निर्धारित फीस के साथ आवेदन कर देंगे तो उनके लिए रजिस्ट्रेशन नंबर की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी। अगर इसमें कोई गलती या कमी भी रह जाती है तो उसे ठीक करने के लिए रेरा डेवलपर को समय प्रदान करेगा।
Q प्रोजेक्ट फीस की गणना एक मुश्किल प्रक्रिया रही। ज्यादातर बिल्डर ने गलत गणना की। अब इनका क्या होगा? क्या इनके आवेदन निरस्त कर दिए जाएंगे?
-वैसे तो हमने अपनी वेबसाइट में फीस केलकुलेशन का एक मान्य फार्मूला दिया है। हमारी एक हेल्प डेस्क है। वह डेवलपर को फीस केलकुलेशन का तरीका समझा रही है। इसके बाद भी अगर किसी डेवलपर ने कम फीस जमा कराई है तो इस आधार पर उसका आवेदन निरस्त नहीं होगा। उससे दोबारा संपर्क करके शेष फीस जमा करवाई जाएगी।
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प्रोजेक्ट से जुड़ीं सारी अनुमति मिलने के बाद ही रजिस्ट्रेशन करवाएं
यह देखने में आया है कि कुछ लोग बिना डायवर्जन और प्लानिंग के छोटे प्लॉट बेचते हैं। रेरा के आने के बाद वे अपने प्लॉट आगे कैसे बेच पाएंगे? रेरा के तहत अगर आपको प्रोजेक्ट बनाकर बेचने की अनुमति नहीं है तो ऐसे प्रोजेक्ट अवैध घोषित हो जाते हैं। अब इस तरह के प्रोजेक्ट पर कोई काम नहीं कर पाएगा। क्योंकि रेरा के रजिस्ट्रेशन के बिना न तो रजिस्ट्री होगी और न ही बैंक कोई लोन देंगे। साथ ही इस तरह के प्रोजेक्ट रेरा की स्वयं की निगरानी में होंगे।
एक डेवलपर के पास 50,000 वर्गफीट की लैंड थी। इसमें वह 20 हजार वर्गफीट की बिक्री कर चुका है। क्या वह बिना रजिस्ट्रेशन लिए शेष 30 हजार वर्गफीट जमीन बेच सकता है?
यह इस बात पर निर्भर करेगा कि प्रॉपर्टी बेचने का उद्देश्य क्या है। अगर इस प्रॉपर्टी को एक प्रोजेक्ट बताकर बेचा जाना है तो रजिस्ट्रेशन जरूरी होगा। अगर यह साबित होता है कि प्रॉपर्टी का उपयोग दो पार्टियों के निजी उपयोग के लिए हो रहा है तो यह प्रोजेक्ट के अंतर्गत नहीं आता। इसलिए रजिस्ट्रेशन की जरूरत नहीं है।
हम एक प्लॉट की काॅलोनी बनाना चाहते हैं, लेकिन उसके दस्तावेजों से जुड़ीं औपचारिकताएं पूरी करने में समय लगेगा। इसमें टी एंड सीपी का सर्टिफिकेट भी शामिल है। अब हमें रजिस्ट्रेशन के लिए क्या करना होगा?
रेरा के तहत प्रोजेक्ट के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया तभी शुरू हो सकती है जब आप उससे जुड़ीं सारी परमिशन ले लें। आधे-अधूरे दस्तावेजों के साथ रजिस्ट्रेशन होगा ही नहीं। आप रजिस्ट्रेशन से जुड़ीं सारी जानकारी एमपी रेरा की वेबसाइट पर जाकर ले सकते हैं। उसमें उन्होंने उन दस्तावेजों की भी लिस्ट डाली है जो रजिस्ट्रेशन के लिए जरूरी हैं।
हमारा एक प्रोजेक्ट पहले से जारी है, लेकिन यह प्लानिंग एरिया के बाहर है। हमें रेरा में रजिस्ट्रेशन के लिए क्या करना होगा?
आपका प्रोजेक्ट प्लानिंग एरिया के बाहर है तो रजिस्ट्रेशन के लिए 31 जुलाई से पहले आवेदन करने की जरूरत नहीं। यह प्लानिंग एरिया के प्रोजेक्ट के लिए जरूरी होगा।

अगर आपका प्रोजेक्ट रेरा में रजिस्टर्ड न हो तो तत्काल करें शिकायत
मैं शिवपुरी से हूं। मैं यह जानना चाहता हूं कि रेरा छोटे शहरों में कैसे लागू होगा?
रेरा पूरे मध्यप्रदेश में लागू हुआ है। इसलिए यह छोटे-बड़े सभी शहरों में लागू होता है। जो धाराएं बड़े शहरों में लगती हैं वैसी ही छोटे शहरों में लागू होंगी। पजेशन देने में देरी करना, एग्रीमेंट की शर्तों के उल्लंघन पर उसी तरह पेनाल्टी लगाई जाएगी।
मैंने 2012 में फ्लैट बुक किया था, लेकिन बिल्डर ने अब तक केवल 30 फीसदी ही काम किया है। शेष लंबित है। हम क्या करें?
आप पहले यह देख लें कि बिल्डर ने रेरा में रजिस्ट्रेशन लिया है या नहीं। अगर नहीं करवाया है तो बिल्डर पर इसके लिए पेनाल्टी लगेगी। रजिस्ट्रेशन होने के उपरांत आप बिल्डर के खिलाफ रेरा में शिकायत दर्ज कराएं कि बिल्डर समय पर काम नहीं कर रहा है। अगर यह साबित हो जाता है तो बिल्डर के खिलाफ पेनाल्टी लगेगी। इसके साथ ही आपको हर्जाना मिलेगा। साथ ही बिल्डर पर समय से काम करने का दबाव बनेा।
मैंने जबलपुर में एक मकान लिया था, जहां पर डेवलपर ने गलत नक्शे के आधार पर मकान खड़ा कर दिया है। जिसका मैं आधा भुगतान भी कर चुका हूं। बैंक और एलआईसी इस मकान का मूल्यांकन उतना नहीं बता रहे जितना बिल्डर बता रहा है। इसके बाद बिल्डर ने उसके पास रखे हमारे चेक भी बैंक में लगा दिए और वे बाउंस भी हो गए। हम क्या करें?
आप बिल्डर के खिलाफ रेरा में शिकायत कर सकते हैं। इसमें आपको यह साबित करना होगा कि बिल्डर ने आपको गलत जानकारी दी। साथ ही जो नक्शा आपको पहले दिया गया था निर्माण उसके अनुसार नहीं हुआ। साथ ही बिल्डर ने गलत तरीके से आपसे पैसे भी ऐंठे। यह भी आप अपनी शिकायत में शामिल कर सकते हैं।
अगर बिल्डर घर या फ्लैट की कीमत बाद में यह कहते हुए बढ़ा दे कि टैक्स बढ़ गए हैं तो क्या उसे बढ़ाकर कीमत देनी होगी?
अगर बिल्डर यह साबित कर दे कि लागत में बढ़ोतरी केवल टैक्स बढ़ने की वजह से हुई है। उसकी वजह से लागत में बढ़ोतरी नहीं हुई है तो रेरा के नोटिफिकेशन के अनुसार आपको बढ़ी कीमत चुकानी होगी। इस नोटिफिकेशन में साफ कहा गया है कि कुछ स्थितियों में डेवलपर को प्रोजेक्ट की कीमत बढ़ाने का अधिकार है।
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