MP : बेटी के जन्म पर 10 दिन छुट्टी ली तो नौकरी गई, एक साल तक लड़ाई लड़ी, हाईकोर्ट से मिला न्याय- सभी संविदाकर्मियों को मातृत्व अवकाश देने के आदेश
भोपाल: मुरैना जिले के सबलगढ़ के झुंडपुरा कस्तूरबा गांधी स्कूल की संविदा शिक्षक सुनीता डांडोतिया ने मार्च 2016 में बेटी कोे जन्म दिया। इसके 10 दिन बाद ड्यूटी पर गईं तो कह दिया गया कि आप छुट्टी नहीं ले सकतीं, आपकी नौकरी गई। बड़े अधिकारियों से मिल लो। बच्ची को लेकर सुनीता छोटे अफसर से लेकर कलेक्टर तक के चक्कर काटती रहीं। लेकिन न्याय नहीं मिला। आखिर उन्होंने हाईकोर्ट की शरण ली। करीब एक साल की लड़ाई के बाद हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने उन्हें ज्वाइन कराने के साथ ही जिस तारीख से हटाया, उसी तारीख से निरंतर वेतन देने के आदेश दिए। इसके साथ ही चीफ सेक्रेटरी को आदेश दिया कि सभी विभागों की महिला संविदा कर्मचारियों को प्रसूति अवकाश दिया जाए। कोर्ट ने कहा कि चीफ सेक्रेटरी तय करें कि प्रदेश के सभी सरकारी विभागों, अर्द्धशासकीय दफ्तरों, निगम-मंडलों में कार्यरत महिला संविदा कर्मचारियों को मातृत्व अवकाश लेने पर नौकरी से नहीं हटाया जाए। हाईकोर्ट के इस फैसले का लाभ प्रदेश की करीब एक लाख संविदा महिला कर्मचारियों को मिलेगा।
अफसर टरका रहे थे, लेकिन मैंने ठान लिया था कि लडूंगी और जीतूंगी
मार्च 2016 में मैंने बेटी को जन्म दिया। 10 दिन बाद स्कूल पहुंची तो वार्डन ने कहा-आप जिला परियोजना समन्वयक एमके तोमर के पास जाएं। मैं तोमर सर के पास गई तो उन्होंने ज्वाइन कराने से मना कर दिया। तर्क दिया कि बच्ची छोटी है। दो-तीन दिन वहीं चक्कर काटती रही। फिर कलेक्टर विनोद शर्मा के पास गई। उन्होंने डीपीसी को सिफारिश की कि मुझे ज्वाइन कराया जाए। डीपीसी ने फिर भी ज्वाइन नहीं कराया। परेशान होकर मैं भोपाल आई। यहां तत्कालीन आयुक्त राज्य शिक्षा केंद्र के पास गई, उन्हें आवेदन दिया। सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद तय किया कि सिस्टम के खिलाफ लड़ूंगी और जीतूंगी। भोपाल में मप्र संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष रमेश राठौर से मिली। उनकी मदद से हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में तीन महीने पहले याचिका दायर की थी। अदालत से ही मुझे न्याय मिला।
- अभी कई विभागों में संविदाकर्मियों को नहीं मिलता है मातृत्व अवकाश या नियमों में है पेंच
- कोर्ट के फैसले से प्रदेश कीएक लाख महिला संविदाकर्मियों को भी फायदा
- जिस तारीख से हटाया, उस दिन से निरंतर वेतन भी देने के आदेश
यह भी कहा हाईकोर्ट ने...
चीफ सेक्रेटरी तय करें सभी विभागों में महिला कर्मियों को मिले प्रसूति अवकाश।
संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 1948 में पारित प्रावधान है कि महिला कर्मचारी के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता। हर महिला कर्मचारी को कार्य के समान अवसर दें।
संविदा महिला कर्मचारी संतान पैदा होने पर किसी भी प्रकार से नौकरी के लिए अयोग्य नहीं हो सकती। Áसुप्रीम कोर्ट भी दिल्ली नगर निगम की मस्टर रोल पर कार्यरत एक महिला कर्मचारी के पक्ष में ऐसे ही मामले में फैसला दे चुका है।
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