पीएचई कार्यालय अनूपपुर में ईओडल्यू की दबिश, 10 करोड़ रुपये के फर्जीवाड़े के दस्तावेज जत

485 By 7newsindia.in Fri, Sep 15th 2017 / 10:21:32 कानून-अपराध     

रीवा : आर्थिक अपराध अन्वेषण यूरो रीवा ने खरीदी घोटाले में अनूपपुर पीएचई विभाग के कार्यालय में गुरुवार की दोपहर छापामार कार्रवाई की। इस दौरान दो मेसर्स फर्मों में भी कार्रवाई की गई है। जहां से दस करोड़ के भ्रष्टाचार से जुड़े कई दस्तावेजों को जत किए गए हैं। कार्रवाई दो अलग- अलग टीमों द्वारा की गई है। गौरतलब है, करीब दस करोड़ रुपए के फर्जीवाड़े में आर्थिक अपराध अन्वेषण यूरो रीवा द्वारा कार्यपालन यंत्री समेत नौ फर्मों को मिलाकर 25 लोगों पर दो अलग-अलग मामले 2 और 3 सिंतबर को दर्ज किए गए थे। इन सब के खिलाफ आरोप है कि अपचारी अधिकारियों ने 9 फर्मांे से साठगांठ कर लगभग 10 करोड़ का फर्जीवाड़ा किया है। आरोपियों के खिलाफ भादवि की धारा 420, 120 बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)डी, 13(2) के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है। जिन्हें फर्जीवाड़े को अंजाम देने का आरोपी बनाया गया है, उनमे पीएचई अनूपपुर के अधिकारियों में वीके मरावी तत्कालीन ईई, आरपी अहिरवार एई, एसपी द्विवेदी उपयंत्री, डीके पचौरी तकनीकी शाखा प्रभारी, आरजी पनिका वरिष्ठ लेखा अधिकारी, बसंत लाल प्रजापति सहायक ग्रेड 3 के अलावा फर्मों में अमन इंटरप्राइजेज भोपाल, डीके इंडस्ट्रीज भोपाल, गुप्ता एंड कंपनी छतरपुर, शिव इंडस्ट्रियल करपोरेशन कटनी, राजकृषि मशीनरी अनूपपुर, महालक्ष्मी ट्रेडर्स अनूपपुर व सुमित ट्रेडर्स अनूपपुर मेसर्स द पॉवर इलेिट्रकल गुड्स रिपेयरिंग उमरिया एवं अन्य शामिल हैं। ईओडल्यू प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया है। ऐसे रचा फर्जीवाड़े का तानाबाना जांच के दौरान यह बात सामने आयी थी कि आरोपी अधिकारियों ने उपरोक्त फर्मों से साठगांठ कर जून 2014 से नवंबर 2014 के बीच महज 6 महीने में खरीदी के नाम पर 10 करोड़ का फर्जीवाड़ा किया। आरोपियों ने बिना निविदा बुलाए बजार दर से 10 गुना अधिक भुगतान कर शासन को लगभग पांच करोड़ से अधिक का चूना लगाया है। आरोपियों ने नल जल योजना के तहत घर-घर कनेशन के लिए सात फर्मों से 24005 मीटर पीवीसी पाइप की खरीदी बिना निविदा की गई। इसके साथ ही साल्वेंट, एल्बो, साकेट, आदि की खरीदी दिखाई गई। केवल पाइप सामग्री जो बाजार दर में 19,65,119 लाख में खरीदी जा सकती थी उसका 48,77,005 लाख भुगतान किया गया। इस प्रकार 29.11 लाख अधिक भुगतान किया गया। जांच में यह बात सामने आयी है कि आरोपियों ने भंडारक्रय नियम का पालन न कर मनमानी खरीदी की है। 

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