कंपनियों के चंगुल से पोषण आहार आजाद, हाईकोर्ट की चौखट से खारिज हुआ स्थगन, एक माह में जारी होंगे टेंडर, 1 नवंबर से स्व सहायता समूहों के माध्यम से आपूर्ति
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने गुरुवार को एक जनहित याचिका पर दिया स्टे समाप्त कर दिया। इसके साथ ही एक नवबर से स्व-सहायता समूहों के माध्यम से पोषण आहार वितरण की नई व्यवस्था शुरू हो सकती है। उल्लेानीय है कि मुयमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पोषण आहार का विकेंद्रीकरण किए जाने की घोषणा की थी, जिसके बाद एक सामाजिक संगठन ने इस मामले में इंदौर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर स्टे ले लिया था। कोर्ट ने स्टे समाप्त कर सरकार को तीस दिन के अंदर नए टेंडर जारी करने के आदेश दिए हैं। जानकारी के अनुसार पोषण आहार 2009 से एमपी एग्रो और तीन कंपनियों का गठजोड़ चला रहा था। प्रदेश में पोषण आहार में चल रहे भ्रष्टाचार की गूंज विधानसभा में भी हुई थी। दैनिक जागरण ने ाी कई बार इस मामले की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित किया। इसके बाद सरकार को एशन लेने के लिए मजबूर होना पड़ा था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश को धता बता एमपी एग्रो ने बिना ओपन टेंडर निकाले तीन कंपनियों से समझौता किया था। स्टेट एग्रो डेवलपमेंट कारपोरेशन के माध्यम से आंगनवाडिय़ों को पोषण आहार सप्लाई किए जाने का टेंडर सप्लाई ऑर्डर 31 मार्च 2017 को समाप्त हो गया था। एमपी एग्रो न्यूट्री फूड, एमपी एग्रो फूड इंडस्ट्रीज और एमपी एग्रोटॉनिस के साथ सरकारी कंपनी एमपी स्टेट एग्रो ने करार किया था। बताया जाता है कि इसमें जमकर गड़बड़ी की गई थी। इसके बाद शासन ने पोषण आहार का वितरण स्वसहायता समूहों के माध्यम से करने का फैसला ले लिया। इसी बीच इंदौर हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका में सरकार के निर्णय पर रोक लगा दी। जिससे तीनों कंपनी द्वारा अभी तक पोषण आहार सप्लाई किया जा रहा था। कोर्ट से स्टे खारिज होने के बाद अब आंगनबाडिय़ों में पोषण आहार स्व सहायता समूह के माध्यम से सप्लाई हो सकेगा। अभी तक स्टेट एग्रो डेवलपमेंट कार्पोरेशन पोषण आहार सप्लाई किया करता था। स्टे पर अधिवक्ता नंदलाल तिवारी ने इंटर विनर पत्र दाखिल किया था, जिस पर हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाया। कोर्ट की डबल बेंच के न्यायाधीश आलोक वर्मा और सतीश चंद शर्मा ने नए टेंडर जारी किए जाने के „ श्ऑर्डर करते हुए सरकार को 30 दिन में नए टेंडर जारी करने के आदेश दिए है। पोषण आहार की जानकारी: प्रदेश में संचालित 453 बाल विकास परियोजना के अंतर्गत कुल 78929 आंगनवाडी केन्द्र एवं 12070 मिनी आंगनवाडी केन्द्रों में स्वीकृत है। आंगनवाडिय़ों सें लगभग 80.00 लाख हितग्राहियों को पूरक पोषण आहार से लाभान्वित किया जा रहा है । आंगनवाड़ी केन्द्रों में पूरक पोषण आहार की व्यवस्था हेतु व्यय की जाने वाली राशि से 50 प्रतिशत राशि भारत सरकार महिला बाल विकास विभाग द्वारा उपलध कराई जाती है। भारत सरकार द्वारा निर्धारित नवीन मापदंड के अनुसार राज्य सरकार द्वारा आंगनवाड़ी केन्द्रों में 06 माह से 06 वर्ष तक के बच्चों एवं गर्भवती माताओं, कुपोषित बच्चों को प्रति हितग्राही प्रतिदिन पूरक पोषण आहार दिए जाने का प्रावधान किया गया हैं।
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