मप्र के 31 विभागों में भ्रष्टाचार के 40 हजार केस पेंडिंग, CAG आॅडिट में पकड़ी गईं थीं गड़बड़ियां
ग्वालियर / सर्वेश त्यागी
मध्यप्रदेश में लोग इन दिनों पुलिस विभाग की लापरवाही और असंवेदनशीलता के खिलाफ सड़कों पर हैं परंतु वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र सिंह की एक रिपोर्ट बता रही है कि मक्कारी का आलम तो मप्र के 31 विभागों में पसरा हुआ है। नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक ने पिछले 5 सालों में 31 विभागों की छानबीन के दौरान 40 हजार ऐसे मामले पकड़े जिनमें गड़बड़ियां एवं भ्रष्टाचार पाए गए हैं। सीएजी ने विस्तृत जांच के लिए मामले विभागों को सौंपे लेकिन आज तक किसी भी मामले की जांच रिपोर्ट सीएजी को नहीं भेजी गई है। नौकरशाह सारे के सारे केस दबाए बैठे हैं।
ग्वालियर के महालेखाकार ने विभागाध्यक्षों की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त एपी श्रीवास्तव को कड़ा गोपनीय पत्र लिखा है। महालेखाकार ने कहा है कि प्रकरणों का निराकरण नहीं कर रहे अफसरों पर कार्रवाई करें। भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षा हर साल राज्य के सभी सामान्य और सामाजिक क्षेत्र में काम कर रहे विभागों का आडिट करता है। इस दौरान पाई गई खामियों और भ्रष्टाचार को बिन्दुवार विभागों को भेजा जाता है तथा चार सप्ताह में जांच रिपोर्ट मांगी जाती है लेकिन विभाग कार्रवाई करने के नाम पर लापरवाह हैं।
नाराज ग्वालियर के महालेखाकार जयदीप शाह ने अपर मुख्य सचिव वित्त को कड़ा पत्र लिखा है। उन्होंने कहा है कि विभिन्न कार्यालयों की लेखा परीक्षा के तुरंत बाद संबंधित कार्यालय प्रमुख, नियंत्रण अधिकारी तथा कुछ गंभीर एवं महत्वपूर्ण कंडिकाओं के मामले में विभागाध्यक्ष को जांच रिपोर्ट भेजी जाती है। सीएजी रिपोर्ट इसलिए भेजता है कि विभाग खामियों को दूर करके अवगत कराए। आपत्तियों का निराकरण चार सप्ताह में करना अनिवार्य होता है लेकिन पेंडिंग मामले साल दर साल बढ़ते जा रहे हैं।
इन विभागों में धूल खा रहीं हैं फाइलें
सामाजिक सेक्टर के विभागों में श्रम, महिला एवं बाल विकास विभाग, पुर्नवास, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग, खेल एवं युवा कल्याण, नगरीय प्रशासन एवं पर्यावरण, संस्कृति, सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण, अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग, तकनीकी शिक्षा, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय विभाग, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, स्कूल शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा, उच्च शिक्षा और आयुष विभाग ने पांच सालों में 9803 जांच रिपोर्ट और 30403 कंडिकाओं पर जवाब नहीं दिए हैं। दोनो सेक्टरों में 40 हजार 803 प्रकरण पेंडिंग हो चुके हैं।
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