केंद्रीय मंत्री दवे की मौत को संदिग्ध बताते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर

इंदौर। केंद्रीय मंत्री अनिल माधव दवे की मौत को संदिग्ध बताते हुए हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर हुई। इसमें दवे की मौत की जांच निष्पक्ष एजेंसी से कराने की मांग की गई है। याचिका में कहा है कि दवे के शरीर पर नीले निशान भी मिले थे। इसके बावजूद उनके शव का पोस्ट मार्टम करने की जरूरत महसूस नहीं की गई। याचिका सामाजिक कार्यकर्ता तपन भट्टाचार्य ने सीनियर एडवोकेट आनंद मोहन माथुर के माध्यम से दायर की है। इसमें कहा है कि दवे की मौत संदिग्ध परिस्थिति में हुई थी। एम्स अस्पताल की दूरी उनके निवास से कुछ मीटर होने के बावजूद उन्हें अस्पताल पहुंचाने में देरी की गई।
केंद्रीय मंत्री की तबीयत बिगड़ने के बावजूद उन्हें कोई डॉक्टर देखने नहीं आया। दवे के पास निजी रसोइया था लेकिन बाद में केंद्र सरकार की तरफ से उन्हें सरकारी रसोइयां उपलब्ध करवाया गया था। जिस दिन दवे की मौत हुई उसके एक दिन पहले वे सरसो के हाईब्रीड बीज को लेकर किसी बड़ी नीति पर निर्णय लेने वाले थे। इसे लेकर उन पर तरह-तरह के दबाव थे।
पोस्ट मार्टम नहीं कराया
याचिका में कहा है कि सूत्रों ने मुताबिक दवे की मौत के बाद उनके शरीर पर नीचे निशान देखे गए थे। उनका शव पहले कांच के कोफीन में रखा गया था, लेकिन बाद में उसे लकड़ी के कोफीन में शिफ्ट कर दिया गया। शव घर पहुंचने के कुछ मिनट बाद ही बड़े नेताओं का घर पहुंचने का सिलसिला शुरु हो गया था। यह संदेह को जन्म देता है। संदिग्ध मौत को देखते हुए दवे के पोस्टमार्टम की डिमांड भी उठी थी लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया गया। याचिकाकर्ता के मुताबिक याचिका दायर हो गई है। इसकी सुनवाई इसी सप्ताह होने की संभावना है।