व्यक्तिगत लाभ देने के लिए छोटे किसानों की भूमि से निकाली जा रही माइनर नहर, मामला कठेरी ग्राम के केउटी कैनाल का
रीवा । मनगवां तहसील के ग्राम पंचायत कठेरी में माइनर नहर के सर्वे को लेकर बाणसागर विभाग के इंजीनियर सहित जल उपभोक्ता संस्था के अध्यक्ष पर आरोप लगने लगे हैं कि व्यक्तिगत विशेष को लाभ देने के उद्देश्य से केउटी कैनाल नहर से माइनर नहर के निर्माण कार्य के लिये सर्वे कराया गया है,
बताया गया है कि ग्राम पंचायत कठेरी में केउटी कैनाल मुख्य नहर से माइनर नहर का सर्वे कार्य पूर्ण कर लिया गया है, जिसमें बड़े कास्तकारों को फायदा देने के उद्देश्य यह माइनर नहर का सर्वे कराया गया है, स्थानीय लोगों का कहना है कि जल उपभोक्ता संस्था धवैया के कठेरी सदस्य वैदेही तिवारी ने को विशेष लाभ देने के लिए इस माइर नहर निकाली जा रही है, जिसमें संस्था के सदस्य कि लगभग 15 एकड़ भूमि व उनके चाचा की 6 एकड़ कृषि भूमि इस माइनर नहर से लाभान्वित होगी, जबकि उनकी भूमि से नहर का निर्माण ही नहीं किया जायेगा, बल्कि उनकी कृषि भूमि को छोड़कर छोटे कास्तकारों की भूमि को सर्वे में सामिल कर अधिग्रहित करने की तैयारी की जायेगी, बताया गया है कि जहां से नहर का सर्वे किया गया है उसके ठीक बगल से जल उपभोक्ता संस्था के सदस्य की भूमि है लेकिन उनकी भूमि में माइनर नहर का सर्वे न कर बगल की भूमि से छोटे किसानों की जमीन को लेकर नहर का सर्वे पूर्ण किया जा रहा है, बताय गया है कि पूर्व में भी जल उपभोक्ता संस्था के सदस्य वैदेही तिवारी ने व्यक्तिगत लाभ के लिए सीएम हेल्पलाइन, कलेक्टर व जल संसाधन विभाग के लिखकर मइनर नहर की माग की थी कि उनकी जमीन में नहर का पानी पहुंचाया जाए, लेकिन अब सर्वे में कुछ और ही बताया जा रहा है, इस पूरे खेल में जल उपभोक्ता संस्थान के अध्यक्ष सहित बाणसागर विभाग के अधिकारी भी शामिल है,
व्यक्तिगत लाभ के लिए छोटे किसानों की भूमि से निकाली जा रही माइनर नहर
ग्राम पंचायत कठेरी में जल उपभोक्ता संस्था के सदस्य को लाभ देने के लिए छोटे किसानों की जमीनों से माइनर नहर निकालने का सर्वे कार्य पूर्ण कर लिया गया है जबकि इस माइनर नहर से जल उपभोक्ता संस्था के सदस्य कि निजी भूमि को लाभ मिलेगा, सवाल यह है कि सदस्य कि भूमि को छोड कर सर्वे किया गया।
आखिर क्या वजहा है कि जल उपभोक्ता संस्थान के सदस्य पर बाणसागर व उनके इंजीनियर इतनी मेहरबानी क्यों कर रहे हैं यह जांच का विषय है,
क्यों नहीं फसी जल उपभोक्ता संस्थान के सदस्य की जमीन
मइनर नहर के सर्वे को लेकर बाणसागर के इंजीनियर के कार्यो को लेकर सवाल उठ रहे है कि जल उपभोक्ता संस्था के सदस्य की भूमि माइनर नहर से क्यो बचाई जा रही है जबकि सर्वधिक सिचाई का लाभ जल उपभोक्ता संस्था के सदस्य को मिलेगा, जबकि छोटे किसानों की भूमिका को माइनर नहर में शामिल कर लिया गया है।
नहर की आवश्यकता नहीं फिर भी क्यों बनाई जा रही माइनर
ग्रामीणों का कहना है कि जिस माइनर नहर का निर्माण कार्य के लिए सर्वे किया गया है उसकी आवश्यकता ही नहीं है क्योंकि बिना माइनर नहर के ही मुख्य नहर से उक्त सभी जमीनों की सिंचाई पाइप के माध्यम से हो जाती है, लेकिन व्यक्ति विशेष को लाभ देने के लिए शासन करोड़ों रुपए खर्च कर रहा है,
दस लाख रुपए में भी बन सकती है नहर, तो करोड़ों खर्च करने की जरूरत क्यों
यदि शासन चाहे तो केउटी कैनाल की मुख्य नहर से एक छोटी सी माइनर नहर निकालकर पंचायत भवन के पीछे तक पहुंचा सकते हैं जिससे पूरी सिंचाई हो सकती है और शासन का करोड़ों रुपए का भी नुकसान नहीं होगा, इसके लिए लगभग दस लाख रुपए तक ही खर्च होंगे, क्योंकि एक छोटी माइनर नाली बनाकर कृषि भूमियों की सिंचाई की जा सकती है, जबकि जिन जमीनो को सर्वे में लेकर अधिकृत की जायेगी उसमें पहले शासन करोडो रूपये मुआवजा देगा जबकि एक छोटी माइनर नाली के लिसे मुआवजा नही देना पडेगा।
कमाई का जरिया बन रही माइनर नहर
इस नहर निर्माण को लेकर जल उपभोक्ता संस्था और बाणसागर विभाग पूरी तैयारी के साथ लगे हुए हैं क्योंकि इससे किसानों को नहीं बल्कि जल उपभोक्ता संस्था और बाणसागर के इंजीनियरों को फायदा होगा, कहा जा रहा है कि जिन किसानों की जमीन से नहर का सर्वे किया गया है उन्हे लाभ नही मिलेगा, इतना ही नही जहा से सर्वे किया गया है उसके निचले किस्से अर्थात पश्चिमी क्षेत्र की भूमि दलदल में तब्दील हो जायेगी,
करोड़ों खर्च होने के बाद भी तालाब में नहीं पहुंचेगा
पानी ग्राम पंचायत कठेरी में एकमात्र रजाईसा तालाब है जहां बाणसागर के नहर का पानी नहीं पहुंच रहा है, उक्त तालाब में पानी पहुंचाने के लिए कई बार प्रयास किया गया लेकिन हर बार प्रशासन को पीछे हटना पडा, इस बार भी करोड़ों रूपये खर्च होगे, माइनर नहर के सर्वे कार्य पूर्ण हो चुका है लेकिन अभी भी उक्त तालाब में बाणसागर का पानी नही पहुच पा रहा है, क्योंकि नहर का जहा से सर्वे किया गया है वह तालाब के पश्चिमी क्षेत्र यानी नीचला हिस्सा है जहा से तालाब में पानी जाना संभव नहीं है जिसके कारण गर्मी में तालाब नहीं भर पाएगा और किसानों को भीषण गर्मी में भी कोई लाभ नहीं मिलेगा इसलिए इस नहर का निर्माण करना कोई औचित्य नहीं है,
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