जमीन,मुआवज़े और पट्टे के लिए दर-दर भटक रहे सहरिया परिवार, सुध नहीं ले रही शिवराज सरकार

338 By 7newsindia.in Thu, Jan 25th 2018 / 17:16:14 मध्य प्रदेश     

शिवपुरी / सर्वेश त्यागी
उपचुनाव के एलान के साथ ही भाजपा और कांग्रेस एक दुसरे को घेरने के लिए मुद्दों की तलाश में है।मुख्यमंत्री कोलारस में आदिवासियों को लिए बड़ी घोषणाएं कर चुके हैं, वहीं पहले की गई घोषणाओं का पूरा न होना भी कांग्रेस के लिए एक बड़ा मुद्दा बन गया है| माधव नेशनल पार्क शिवपुरी के अंदर स्थित बल्लारपुर गांव के 100  सहरिया परिवारों को साल 2000 में पार्क और मणिखेड़ी डेम बनने के कारण विस्थापित किया गया था। तब सरकार ने इन परिवारों को नई जगह बसाया और नजदीक ही दो-दो हेक्टेयर कृषि देने का वादा किया था। इनमें से 61 परिवारों को जमीन दे दी गई, लेकिन 39 परिवारों को जो जमीन दी जा रही थी, वह जांच में वनभूमि पाई गई। इसलिए उन्हें भूमि का आवंटन ही नहीं हुआ। इस मामले में राज्य मानव अधिकार आयोग ने सरकार और वन विभाग को जिम्मेदार मानते हुए फटकार लगाई है। अब कांग्रेस भी इसे मुद्दा बनाने जा रही है, चुंकी कोलारस में करीब 18 हजार और मुंगावली में 22 हजार के अधिक सहारिया मतदाता है। इस पूरे मामले पर कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शिवराज सरकार को घेरा है । सिंधिया ने ट्वीटर के माध्यम मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर हमला बोला है।

दरअसल, सरकार द्वारा 17 सालों बाद भी सहरिया परिवारों को जमीन नही दिए जाने पर सिंधिया ने ट्वीट कर शिवराज सरकार पर निशाना साधा है और कहा है   कि ''बल्लारपुर गाँव के 39 सहरिया आदिवासी परिवार डेढ़ दशक से अपनी ज़मीन,मुआवज़े और पट्टे के लिए दर-दर भटक रहे है जिसके लिए मानव अधिकार आयोग भी सरकार को कड़ी फटकार लगा चुका है।लेकिन कोलारस में गांव-गांव घूमकर आदिवासियों के लिए तमाम तरह की घोषणाएं करने वाले मप्र के घोषणावीर मुख्यमंत्री सहित उनकी सरकार अब तक इन परिवारों की सुध नहीं ले पायी है।''

गौरतलब है कि बीते दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कुपोषण को दूर करने के लिए विशेष जनजाति सहारिया की महिलाओं को एक-एक हजार रूपए देने की घोषणा की थी, किन्तु जमीन के लिए भटक रहे 39 परिवारों को लेकर कोई घोषणा नहीं की।इनमें से 61 परिवारों को जमीन दे दी गई, लेकिन 39 परिवारों को जो जमीन दी जा रही थी, वह जांच में वनभूमि पाई गई, इसलिए उन्हें भूमि का आवंटन ही नहीं हुआ। इनमें से ज्यादातर परिवार के पुरुष मुखिया पत्थर खदानों पर काम करने के कारण टीबी जैसे संक्रमण के शिकार हो गए। जिससे उनकी मौत हो गई। अब संबंधित परिवारों में कमाने वाले ही नहीं बचे हैं।इस मामले में मानव अधिकार आयोग ने सरकार  को फटकार लगाते हुए एक महिने के अंदर पीड़ित परिवारों को तीन-तीन लाख रुपए मुआवजा और जिन परिवारों में संक्रमण से पुरुषों की मौत हुई है, उन्हें दो-दो लाख रुपए अलग से देने की अनुशंसा की है।फैसले के बाद अब सरकार को एक जनवरी 2018 से राशि की अदायगी तक नौ फीसदी की दर से ब्याज भी देना पड़ेगा। इसके लिए आयोग ने सरकार को एक महिने का समय दिया है।

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