हवा उगल रहे एटीएम, जिले में बढी कैश की किल्लत

357 By 7newsindia.in Tue, Apr 17th 2018 / 18:48:02 मध्य प्रदेश     

सीधी : जिले में नोट बंदी के बाद एक बार पुन: लोगों को कैश की किल्लत से आये दिन रूबरू होना पड रहा है, बैंक में नगद जमा होने के बाद भी कैश निकालने के लिये पूरे शहर की परिक्रमा एटीएम धारकों को करनी पड रही है। इस्तफाक से अगर किसी एटीएम मशीन में पैसे है तो वहॉ एक लम्बी कतार देखने को मिल रही है, उससे भी कष्टप्रद बात यह है कि घंटो लाईन में लग कर अपने नम्बर की प्रतीक्षा करने के बाद पता चलता है कि एटीएम मशीन में लोड नगदी समाप्त हो चुकी है।

आप को बताते चले कि शादी विवाह के इस सीजन में खरीददारी करने हेतु बाजार में दुकानदारों द्वारा नगदी को ही प्राथमिकता दी जाती है, अधिकतर दुकानदारों के पास स्वैप मशीन नहीं है अगर कुछ गिने चुने दुकानदारों के पास स्वैप मशीन है भी तो वो अधिकतर समय सर्वर डाउन होने की बात कह कर कन्नी काट लेते हैं। जिले मे पैसों की लगातार हो रही किल्लत के वजह जानने के पर बैंक प्रबंधकों द्वारा जलेबी की तरह जबाब देकर अपने उत्तरदायित्व से इतिश्री कर ली जा रही है। जिले में ज्यादातर एटीएम मशीनों की हालत इतनी बदतर होती जा रही है कि सुरक्षा व्यवस्था हेतु न तो कोई सुरक्षाकर्मी दिखते हैं न ही नियमानुसार कार्यप्रणाली संचालित कराने हेतु जबाबदेह कर्मचारियों के दर्शन होते हैं।
 
नोटबंदी का दौर खत्म हो गया सरकार ही नहीं बैंकों का भी दावा है कि सब कुछ सामान्य हो गया है। लेकिन सीधी जिले में प्रमुख बैंक एसबीआइ समेत अन्य बैकों के एटीएम खाली पड़े हैं। शादी.विवाह के मौसम में लोगों को कैश की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है, यह समस्या एक.दो दिन या एक सप्ताह की नहीं है, लोग हप्तों से इस समस्या से जूझ रहे हैं। लोगों की समस्या यह है कि बैंककर्मी लगातार उन्हें कैशलेस सेवाओं को अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं, लेकिन जागरूकता के अभाव में वे कैशलेस सेवा को अपनाने से संकोच कर रहे हैं, इतना ही नहीं एक और समस्या यह है कि जहां कैश की जरूरत है वहां कोई कैसे कैशलेस सेवा अपनाये छोटे.मोटे कामों के लिए डिजिटल भुगतान की व्यवस्था संभव नहीं है, शहर में कुछ हद तक ये चीजें हो भी जायें लेकिन गांवों में अभी यह कतई संभव नहीं है। विदित हो कि अप्रैल और मई में बड़ी संख्या में शादी.विवाह होते हैं। जिनके घरों में शादी.विवाह होता है, उनके लिए हर चीज के लिए डिजिटल भुगतान करना संभव नहीं होता किराना से लेकर सब्जी, मिठाई आदि की खरीदारी नकद ही करनी पड़ती है, क्योंकि अभी जिले में कैशलेस लेन.देन का प्रचलन बढ़ा नहीं है। फलस्वरूप लोगों की परेशानियां बढ़ गयी हैं सीधी जिले के सुदूर गांव से एसबीआइ के मेन ब्रांच पहुंचे उपभोक्ता ने बताया कि उनकी बेटी की शादी है़  बैंक और एटीएम के चक्कर लगा रहे हैं, पैसे नहीं मिल रहे हैं। कई काम अटक गये हैं रिश्तेदारों से उधार लेकर छोटे.मोटे काम निबटा रहे हैं।
 
मुकेश गुप्ता कहते हैं कि कैश की चाह में विगत कई दिनों से एटीएम के चक्कर लगा रहे है़ं  पैसा नहीं मिल रहा लगभग सभी एटीएम बंद हैं कहीं खुला है तो उसमें पर्याप्त मात्रा में पैसे नहीं हैं लंबी.लंबी कतारें लगी हैं, एटीएम के बाहर लाइन लगाते है तो हमारी बारी आने से पहले ही पैसे खत्म हो जाते हैं। ऐसा मेरे साथ कई बार हुआ है समय पर पैसे नहीं मिले तो हो सकता है कि शादी टालने के अलावा कोई चारा नहीं रह जायेगा। 
 
त्वरित कार्यवाही आवश्यक - 
जिले में हो रही पैसों की किल्लत को दृष्टिवत करते हुए जबाबदेह अधिकारियों को उचित व त्वरित कार्यवाही  करना आवश्यक है, साथ ही इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिये कि इस प्रकार की समस्या की पुनरावृत्ति न हो, एक ओर जहॉ शादी विवाह के समय सबसे ज्यादा नगदी की आवश्यकता पडती है उसी समय नो कैश का बोर्ड उपभोक्ताओं के हृदय को आघात प्रदान कर रहा है, जो कि अति निन्दनीय है।
।।धमेन्द्र सिंह बघेल नेता समाज वादी पार्टी।।
 
त्वरित न्याय हेतु उपभोक्ता फोरम में जायें -
जानकारों की माने तो सामान्य तौर पर चेक ट्रांजैक्शन फेल होता है तो धारा - १३८ के तहत प्रकरण दर्ज करवाने का प्रावधान है, इसमें ग्राहक को सजा भी हो सकती है, बैंक भी खाते में राशि कम होने पर पेनल्टी लगा देती है। न्यूनतम अमाउंट से कम राशि पर भी पेनाल्टी ली जाती है वैसे ही एटीएम मशीन में हो रही लापरवाही के लिए भी संबधित बैंक की जिम्मेदारी होनी चाहिए। एटीएम मशीन पर यदि राशि उपलब्ध नहीं होती है तो यह सेवा में त्रुटि या लापरवाही का मामला है ग्राहक अगर चाहे तो बैंक के खिलाफ उपभोक्ता फोरम में खुद प्रस्तुत होकर बैंक के खिलाप प्रकरण दर्ज करवा सकते है

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