सोशल मीडिया ला रहा रिस्तों के बीच दूरियॉ

414 By 7newsindia.in Fri, Jun 1st 2018 / 20:15:13 मध्य प्रदेश     

गॉव से लेकर शहर तक बीमारी का रूप धारण कर चुका मोबाइल,
संजीव मिश्रा
सीधी । मोबाइल जो कि एक बहुत बडी सुविधा के रूप में समाज को पेश किया गया था किन्तु आवश्यकता से अधिक उपयोग करने के कारण आज के परिवेश में किसी भयावह बीमारी के समान प्रतीत होने लगी है, मोबाइल पर सोसल मीडिया का अत्याधिक उपयोग होने के कारण नई पीढी के चेहरे पर चश्में दिखने लगे हैं। वहीं जानकारों की मानें तो बडे शहरों में कई मोबाइल नशा मुक्ति केन्द्र अलग अलग नामों से संचालित होने लगे हैं जहॅा मोबाइल की लत से छुटकारा का काम एक मोटी रकम लेकर किया जा रहा है। वही जिले में संचालित पुलिस परिवार परामर्श केन्द्र के ऑकडों की मानें तो पति और पत्नी के बीच दूरियॉ लानें में मोबाइल अपनी विशेष भूमिका अदा कर रहा है। वहीं जिले में संचालित निजी अस्पताल व सरकारी अस्पताल में सेवा दे रहे डाक्टरों की मानें तो मोबाइल के अत्याधिक उपयोग करने के कारण खासतौर से युवा पीढी में कई प्रकार शारीरिक व मांसिक बीमारियॉ देखने को मिल रही हैं जो कि काफी भयावह है। वहीं सामजिक क्षेत्र में कार्य कर रहे संस्थाओं की मानें तो महिलाओं के अधिक शोसल मीडिया के उपयोग करने के कारण शक से सुरू होकर तलाक तक की स्थिति वर्तमान परिवेश में देखने को मिल रही हैं।

 
सोशल मीडिया बढ़ा रहा दूरियां-
अंतरंग रिश्तों में खासकर पति पत्नी के बीच भावनाएं व समय प्रमुख भूमिका निभाते हैं लेकिन सोशल मीडिया की लत ने दूरियों का ऐसा जाल बिछा दिया है जिस में फंस कर पतिपत्नी के रिश्ते दम तोड़ते दिख रहे हैं। सोशल मीडिया के अधिक इस्तेमाल और घटती वैवाहिक संतुष्टि के बीच सीधा संबंध है। सोशल मीडिया वैवाहिक जीवन की गुणवत्ता और प्रसन्नता को कम कर रहा है। इस से तलाक के मामले लगतार बढ़ रहे हैं। जानकारों के एक अध्ययन के मुताबिक फेसबुक इस्तेमाल करने वालों की संख्या में 20 फीसदी की वार्षिक वृद्घि के साथ तलाक दर में 2ण्18 से 4ण्323 फीसदी तक की वृद्घि दर्ज की गई है सुनने में भले ही अजीब लगे पर यह सच है कि सोशल नैटवर्किंग साइट्स पर आप का व्यवहार आप के जीवनसाथी का दिल दुखा सकता है। यह बात बहुत से अध्ययनों में स्पष्ट हो चुकी है। रिश्तों के मनोविज्ञान में सोशल मीडिया की उलझनें अपनी उपस्थिति दर्ज कराने लगी हैं। अध्ययनों के मुताबिक जो लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल नहीं करते वे अपनी वैवाहिक जिंदगी में 11 फीसदी तक अधिक प्रसन्न रहते हैं।
 
सोशल मीडिया की बढ़ती घुसपैठ
एक समय था जब किसी को संदेश भेजने के लिए कबूतरों और पोस्टकार्डों का सहारा लेना पड़ता था। महीनों इंतजार के बाद कोई खैर खबर मिलती थी। आज सोशल मीडिया की बदौलत सात समंदर पार बैठे व्यक्ति को भी पलभर में लंबे लंबे संदेश भेजे जा सकते हैं, उस से बातें की जा सकती हैं। जानकारों की मानें तो सब से पहले 1995 में क्लासमेट्स डौट कौम नाम से स्कूलकालेज के लोगों को जोडऩे के लिए पहली सोशल साइट की शुरुआत हुई थी, बाद में 2004 में मार्क जुकरबर्ग द्वारा फेसबुक के ईजाद के बाद तो जैसे सोशल मीडिया क्षेत्र में क्रांति आ गई इसे और भी ज्यादा बढ़ावा मिला जब मोबाइल फोन के जरिए घरघर में सोशल मीडिया ने अपनी पैठ बना ली आज विश्व में करीब 200 से ज्यादा नैटवर्किंग साइट्स हैं जिन में फेसबुकए ट्विटर, औरकुटए माई स्पेस, लिंक्डइन, इंस्टाग्राम, फ्लिकर, व्हाट्सऐप आदि प्रमुख हैं। मनोवैज्ञानिक असर की अगर बात करें तो सोशल मीडिया का अधिक इस्तेमाल करने वालों में भावनात्मक समस्याएं पैदा हो जाती हैं, उन का जीवन मशीनी हो जाता है। ऐसे में पतिपत्नी एकदूसरे से भावनात्मक रूप से जुड़ाव महसूस नहीं करते जबकि अंतरंग रिश्ते में भावनाएं प्रमुख भूमिका निभाती है।
 
महिलाओं से बन रहे साइबर रिलेशन -
पति पत्नी या दोनों एकदूसरे के बजाय विभिन्न सोशल साइटों पर अधिक समय बिताने लगते हैं, इस से दोनों के बीच विश्वास का मुद्दा आ जाता है, उन्हें लगता है कि उन का जीवनसाथी उन से प्यार नहीं करता, उन की परवा नहीं करता या किसी और के साथ संबंध में है। हुए एक शोध के कुछ अंशों पर ध्यान दे तो स्पष्ट होता है कि जब पति या पत्नी दोनों में से किसी को लगता है कि उन का जीवनसाथी उन्हें नजरअंदाज कर हा है तो वे एंग्जाइटी का शिकार हो जाते हैं। असुरक्षा की भावना उन्हें कुछ ऐसे कदम उठाने को मजबूर कर देती है जो उन के वैवाहिक जीवन को टूटने के कगार पर ले जाते हैं, वे दूसरे पुरुषों या महिलाओं से साइबर रिलेशन विकसित कर लेते हैं ताकि वे अपने अकेलेपन को दूर कर सकें इन वर्चुअल रिश्तों का प्रभाव वास्तविक रिश्तों पर पड़ता है जो आखिरकार उन्हें तलाक की ओर ले जाता है। 
 
सोशल मीडिया के चलते हो रहे विवाद -
२५ फीसदी लोगों ने स्वीकारा कि सप्ताह में १ दिन फेसबुक की वजह से पार्टनर के साथ उन की लड़ाई छिड़ जाती है। नवदामपत्य जीवन की अगर बात करें तो ५ में से १ व्यक्ति के मन में अपने रिश्ते को ले कर संदेह पाया गया और इस की वजह फेसबुक पर पार्टनर द्वारा की जा रही कोई संदेहास्पद गतिविधि होती है।
दरअसल जब भी व्यक्ति अपने साथी के सोशल मीडिया से जुड़े अकाउंट खंगालता है, कुछनकुछ गलत पोस्ट या फोटोज उसे कभी न कभी नजर आ ही जाते हैं, ऐसे में वह अपने रिश्ते को ले कर असहज हो जाता है। उसे डर रहने लगता है कि कहीं उस का पार्टनर किसी और के करीब तो नहीं, यही डर और असहजता धीरे धीरे विवाद के रूप में प्रकट होने लगती है। किसी अंजान नंबर से आने वाले फोन काल्स या मैसेजेज की वजह से घर में घमासान हो जाता है। लाइक्स और कमैंट्स के चक्कर में समय बरबाद करने वाले व्यक्ति, जीवनसाथी या घर पर पूरा ध्यान नहीं दे पाते ऐसा लोग वर्चुअल वल्र्ड में तो लोकप्रिय रहते हैं मगर अपने जीवनसाथी और आसपास के लोगों के साथ उन के रिश्ते कमजोर पडऩे लगते हैं।
 
सोशल मीडिया का चेहरा -
जिस प्रकार एक सिक्के के दो पहलू होते हैं, ठीक उसी प्रकार सोशल मीडिया के भी दो पक्ष हैं, जो इस प्रकार हैं. यह बहुत तेज गति से होने वाला संचार का माध्यम है, यह जानकारी को एक ही जगह इक_ा करता है 
 सरलता से समाचार प्रदान करता है। सभी वर्गों के लिए है, जैसे कि शिक्षित वर्ग हो या अशिक्षित वर्ग  यहां किसी प्रकार से कोई भी व्यक्ति किसी भी कंटेंट का मालिक नहीं होता है।
सोशल मीडिया का दुष्प्रभाव की अगर बात करें तो  यह बहुत सारी जानकारी प्रदान करता है जिनमें से बहुत सी जानकारी भ्रामक भी होती है। जानकारी को किसी भी प्रकार से तोड़.मरोड़कर पेश किया जा सकता है।
किसी भी जानकारी का स्वरूप बदलकर वह उकसावे वाली बनाई जा सकती है जिसका वास्तविकता से कोई लेना.देना नहीं होता। यहां कंटेंट का कोई मालिक न होने से मूल स्रोत का अभाव होना। प्राइवेसी पूर्णत: भंग हो जाती है। सायबर अपराध सोशल मीडिया से जुड़ी सबसे बड़ी समस्या है।

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