भाजपा शासनकाल में भी व्यथा रो रहा गोपालदास मार्ग

344 By 7newsindia.in Wed, Oct 10th 2018 / 12:32:08 मध्य प्रदेश     

चार वर्षो से स्थिति गंभीर,  जल्द सुधार के नहीं हैं आसार
सीधी । शहर के हृदय स्थल में स्थिति गोपालदास मार्ग जो कि पुराने बस स्टैंड से नये बस स्टैंड पहुॅच मार्ग के साथ साथ मार्ग में कई विद्यालय संचालित हैं, जिस पर प्रतिदिन हजारों की संख्या में लोगों का पैदल एवं वाहनों से आना जाना होता है किन्तु विगत चार वर्षो से सूखा नाला पुल सहित गोपालदास मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वारा अपनी व्यथा रो रहा है।  फिर चाहे बात साफ सफाई की करें या फिर सुगम मार्ग की हर क्षेत्र में भाजपा सरकार नाकाम प्रतीत होती दिख रही है। विगत समय की बात अगर देखी जाये तो नपा प्रशासन द्वारा राज्य सरकार का दुखडा रोकर अपने आप को सुरक्षित घेरे में लिया जाता था, किन्तु सीधी की जनता ने नगर पालिका एवं राज्य में एक साथ भाजपा प्रतिनिध को चुनकर कुर्सी पर बिठाया है वो भी यह सोचकर कि शायद ये सरकार जनता की भावनाओं को समझने में सफल होगी किन्तु जिले वासियों के आस्था का केन्द्र गोपाल दास मंदिर व पहुॅच मार्ग, साफ सफाई, नवीन पुल निर्माण, विद्युत व्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था, नाली का अभाव जैसी समस्यायें जस की तस बनी हुई हैं।   

 
 
आये दिन होती है दुर्घटनायें -
नपा प्रशासन द्वारा गोपालदास मार्ग के निर्माण कार्य को आधा अधुरा ही छोड दिया गया है जिसके चलते लोगों की समस्यायें और अधिक बढ़ गई हैं खासतौर से गोपालदास मंदिर के समीप दोनो ओर मुख्य सड़क   पर बना खाई नूमा गड्ढा जानलेवा साबित हो रहा है। जब कोई नये वाहन चालक पुराने बस स्टैंड से नये बस स्टैंड की ओर जाते है तो सूखा नाले के समीप पहुॅचने पर अचानक रोड खत्म दिखती है तब तक दो पहिया वाहन चालक द्वारा संतुलन बना पाना संभव नहीं रह जाता है जिसके चलते आये दिन दुर्घटनायें हो रही हैं। यही स्थिति सड़क के दोनो ओर देखने को मिल रही है। नवीन सड़क एवं कार्य करने के लिये छोडी गयी सड़क के बीच में खाई नूमा गड्ढा पैदल यात्रा करने वालों के साथ साथ दो पहिया वाहन, तीन पहिया वाहनों में आये दिन दुर्घटनायें देखने को मिल रही हैं।
 
 
भूमिका एवं कार्य -
नगर पालिका राज्य सरकार के साथ विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए समन्वय से काम करता है। नगर पालिका के सभी अधिनियम पालिका के कार्यों, शक्तियों और जिम्मेदारियों को दो श्रेणियों में विभाजित करते हैं। अनिवार्य एवं विवेकाधीन किन्तु जो कार्य अनिवार्य हैं उनकी पूर्ति भी होती नहीं दिख रही है, अगर बात अनिवार्य कार्यो की जाये तो पालिका का दायित्व बनता है कि शुद्ध और पौष्टिक पानी की आपूर्ति, निर्माण और सार्वजनिक सड़कों का रखरखाव, प्रकाश और सार्वजनिक सड़कों का पानी, सार्वजनिक सड़कों, स्थानों और नाली की सफाई, आक्रामक खतरनाक एवं अप्रिय ट्रेडों और आजीविकाओं या व्यवहारों का नियमन, प्राथमिक स्कूलों की स्थापना एवं रखरखावय सार्वजनिक अस्पतालों का रखरखाव या समर्थन, जन्म व मृत्यु का पंजीकरणय सार्वजनिक गलियों, पुलों एवं अन्य स्थानों पर अवरोधों को दूर करना, सड़कों का नामकरण एवं मकानों का क्रमांकन सहित अन्य मूल भूत दायित्वों का भी निर्वहन हो किन्तु ये सारे नियम तो नियमावलि में ही शुसोभित होते हैं जिनका वास्तविकता से कोई विशेष सरोकार नहीं दिखता है। 
 
बात अगर विवेकाधीन कार्यो की करें तो सार्वजनिक पार्कों, बागीचों, पुस्तकालयों, संग्रहालयों, आराम घर, कुष्ठरोगी घर, अनाथालयों, महिलाओं के लिए वृद्धाश्रमों व बचाव घरों का निर्माण एवं रखरखाव, सड़क के रखरखाव के साथ उसके किनारों व अन्य स्थानों पर पेड़ों का रोपण, निम्न आय वर्ग के लिए आवास, सर्वेक्षणों का आयोजन, सार्वजनिक स्वागत, सार्वजनिक प्रदर्शनियों एवं सार्वजनिक मनोरंजन का आयोजन, नगर पालिका द्वारा परिवहन सुविधाओं का प्रावधान,नगर निगम कर्मचारियों के कल्याण के लिए संवर्धन भी आवश्यक माना गया है किन्तु सीधी नगर पालिका क्षेत्र में इनका भी अभाव प्रतीत होता है
अवारा मवेशी बढा रहे परेशानीयॉ -
वारिष का सीजन प्रारम्भ होते ही शहर में पशुओं की समस्या जानलेवा साबित हो रही है। लाख दावों और कोशिशों के बावजूद नगर पालिका समस्या का समाधान करने में असफल साबित हो रही है, जिसका खामियाजा सीधे तौर पर शहर के बेकसूर नागरिकों को भुगतना पड रहा है।  नागरिकों की सुरक्षा और मूलभूत सुविधा मुहैया कराने का दायित्व जिला, पुलिस व नगर पालिका प्रशासन का है, लेकिन आवारा पशुओं की समस्या से निजात दिलाने में तीनों विभाग हाथ टेक चुके हैं। नपा के रिकॉर्ड पर निगाह दौडाएं तो शहर में आवारा मवेशियों के उपर नकेल कसने हेतु विभाग कई वार प्रयात्नशील हुआ किन्तु स्थिति जस की तस बनी हुई है। जिले में आवारा मवेशियों के चलते  आए दिन दुर्घटनाएं होती हैं। कई लोग घायल होते हैं। इतना ही नहीं, कुछ लोग जान तक गवां चुके हैं। बावजूद समस्या के समाधान के लिए नपा में सिर्फ कागजी कार्रवाई चल रही है। लाख दावों, कोशिश और अभियान के बावजूद शहर में आवारा पशुओं की समस्या दिनोंदिन विकराल रूप लेती जा रही है।  खासतौर से आवारा पशुओं से दुर्घटना की आशंका बढ जाती है एवं यातायात बाधित होता है। शहर में गंदगी और अन्य समस्या रहती है। शहर के सुंदरता प्रभावित होती है। जहां.तहां पशुओं का जमावडा रहता है। अब देखना यह होगा कि आम जन को शहर की मुख्य समस्याओं से निजात वर्तमान सरकार दे पाती है या फिर अन्य सरकार बनने तक इन्तजार की करना पडेगा।

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