प्रशासन की शह पर मिलावटी खाद्य पदार्थो की विक्री जोरों पर

608 By 7newsindia.in Wed, Oct 10th 2018 / 12:32:08 मध्य प्रदेश     

प्रतिदिन सार्वजनिक स्थलों में दूध में पानी का होता है खेल, खाद्य एवं औषधि विभाग दायित्व निर्वहन में असफल
संजीव मिश्रा
सीधी l जिले में इन दिनों दूध से लेकर फल व सब्जी तक में रसायन का प्रयोग अब आम हो चुका है। कम मेहनत और अधिक लाभ के चक्कर में दूधिए से लेकर सब्जी व फल व्यवसायियों तक ने बेखौफ  रसायन का प्रयोग करना शुरू कर दिया है। धड़ल्ले से हो रहे रसायन प्रयोग ने एक तरफ  जानवरों व खेतों को नुकसान पहुंचाया है तो दूसरी तरफ  यह मनुष्य के शरीर को भी क्षति पहुंचा रहे हैं। जानकारों की मानें तो सब्जी मंडी के आस पास बने फल गोदामों में बेधड़क हो कर प्रतिदिन फलों व सब्जीयों में रसायन व मिलावट खोरी की जाती है, ऐसा भी नहीं कि जिला प्रशासन इन बातों अवगत नहीं है किन्तु फलों एवं सब्जी के गोदाम मालिक तथाकथित सत्ता धारी पार्टी का बहुत ही करीबी है शायद इसी कारणवश कार्यवाही हेतु प्रशासन हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। वहीं अगर बात दूध के व्यापारियों की करें तो खाद्य एवं औषधि विभाग की पंगु व्यवस्था के चलते इनके हौसले इतने बुलंद है कि प्रतिदिन निश्चित स्थल पर सार्वजनिक रूप से दूध में पानी एवं पानी में दूध का खेल खेला जाता है, वहॉ से निकलने वाले राहगीर भी किसी प्रकार की टीका टिप्पड़ी नहीं करते है क्यों कि शायद उनका सोचना है कि मुझे क्या मतलब। 

 
 
ऑक्सीटोसिन से हो रहा शारीरिक परिवर्तन -
फल, सब्जी, दूध व मांस मछली के प्रयोग पर अब आम आदमी को काफी सतर्कता बरतनी होगी क्योंकि वह जिसे पोषक व शरीर के लिए लाभदायक मानकर सेवन करने जा रहा है वह उनके शरीर को बेहद नुकसान भी पहुंचा सकता है बल्की यूॅ कहें कि आये दिन लोग परेशान होकर चिकित्सकीय परामर्श भी ले रहे हैं। बल्की दुषपरिणाम ऐसे भयावह देखने को मिल रहे हैं जिसकी आम जन कभी कल्पना भी नहीं की होगी। 
जिले के मेडिसीन एक्सपर्ट डाक्टरों की एक मत राय भी चौकानें वाली सामने आयी है कि ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन दुधारू मवेशियों को दी जाती है किन्तु उसका प्रभाव दूध में भी मौजूद रहता है। जिसका सीधा असर अजकल के बालक बालिकाओं एवं किशोरावस्था पर देखने को मिल रहा है कि लगातार इस प्रकार के दूध का उपयोग होने पर हारमोन्स में सीधा असर होता है और समय के पूर्व ही शरीर के अंगो में काफी परिवर्तन होना प्रारंभ हो जाता है। बल्की यॅू कहें कि ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का प्रयोग दुधारू मवेशियो पर होने के कारण बालिकायें शारीरिक रूप से समय के पूर्व जवान हो जाती है। कितने शर्म की बात है कि 
आज तक समाज के अग्रणी समाजिक संगठन या समाज सुधारकों द्वारा विरोध के स्वर प्रखर नहीं हो पायें।
 
 
जान के साथ खिलवाड़ बना पैसा कमाने का जरिया -
दूध हो या फिर हरी सब्जी अथवा मांस मछली सभी में आजकल ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का प्रयोग होने लगा है। किसान कम समय में अपने उपज को तैयार करने व लाभ कमाने के चक्कर में इसका प्रयोग कर रहा है तो दूधिया दूध निकालने में इसका प्रयोग धड़ल्ले से कर रहा है। ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का प्रयोग आमतौर पर गाय व भैंसों में बच्चा जनने के समय प्रयोग किया जाता है लेकिन दूध का व्यवसाय करने वाले दूधियों द्वारा अपने लाभ के लिए आज कल इसका धड़ल्ले से प्रयोग किया जा रहा है। दूधिए इसका प्रयोग तब करते हैं जब गाय अथवा भैंस व अन्य दुधारु पशु के बछड़े की मृत्यु हो जाती है। इसी तरह व्यावसायिक खेती करने वाले किसान भी ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का प्रयोग सब्जियों में कर रहे हैं। किसानों द्वारा लगभग अधिकांश सब्जियों में इसका प्रयोग हो किया जा रहा है। मनुष्य के शरीर पर इसके नुकसान का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसके प्रयोग से सब्जियां मात्र चार से पांच घंटों में ही बढ़ जाती हैं।
 
गर्भवती महिलाओं को प्रसव के समय दी जाती है दवा
गर्भवती महिलाओं को प्रसव के समय दिए जाने के कारण ऑक्सीटोसिस की बिक्री पर धारा 26 ए के तहत कोई प्रतिबंध नहीं है। दुधारू जानवरों से ज्यादा और जल्दी दूध निकालने के लिए किया जाने वाला इसका प्रयोग अवैध उपयोग के दायरे में आता है। इसकी रोकथाम के लिए ही क्रूरता एक्ट के तहत पशुपालन विभाग की शिकायत पर धरपकड़ की कार्रवाई फूड सेफ्टी एंड ड्रग अथॉरिटी ;एफएसडीएद्ध स्तर पर होती है। आक्सीटोसिस इंजेक्शन की बिक्री सिर्फ डिजिटल प्लास्टिक पैकिंग में किए जाने का प्रावधान है। एम्पल फार्म में बिकने वाले ऑक्सीटोसिस इंजेक्शन की रोकथाम को भी समय समय पर कार्रवाई की जाती है।
 
 
प्रतिबंधित है इंजेक्शन 
ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया गया है। इसकी बिक्री करने पर सजा का प्रावधान है। इंजेक्शन के दुरुपयोग को देखते हुए यह किया गया है। प्रतिबंध के चलते केमिस्टों ने इसे रखना बंद कर दिया लेकिन परचून की दुकानों पर इसकी सेल शुरू हो गई है। इसके अलावा दूध की डेयरियों पर भी यह इंजेक्शन उपलब्ध है। हैरानी की बात तो यह है कि इंजेक्शन वाइल प्लास्टिक में है और वाइल पर कोई रेपर नहीं है। ग्रामीण क्षेत्र में यह शीशी 30 रुपए में धड़ल्ले से बेची जा रही है। 
 
 
दूध में पानी या पानी में दूध -
जिलेवासी अगर दूधियों से दूध लेकर अपने बच्चों को हष्ट पुष्ट बनाने का सपना देख रहे हैं तो उनका यह सपना शायद ही पूरा हो पाए शहर में आधे से अधिक है जो दिए निर्धारित मानक से कम मानक का दूध शहरवासियों को उपलब्ध करवा रहे हैं शहर में आपूर्ति किए गए जाने वाले दूध का दूध शुद्ध नहीं रहा है शहर सहित गांव से साइकिल, मोटरसाइकिल, तिपहिया वाहन, और चौपहिया वाहन पर गली.गली दूध की आपूर्ति करते नजर आते हैं। इनमें से कई दूध वाले लोगों को निर्धारित से कम मानक दूध उपलब्ध करवा रहे हैं दूध में पानी मिलाकर उसकी आपूर्ति कर रहे हैं दूध में पानी की मिलावट का धंधा लंबे समय से चल रहा है। दूध ही अकेला ऐसा पदार्थ है जो लगभग हर घर में इस्तेमाल किया जाता है और जिसमे अकसर मिलावट होती है। ऐसे में दूध असली है या नकली कई बार इसे पहचानना मुश्किल हो जाता है। डेली यूज के लिए दूध हर घर की जरूरत है। यह हर घर में इस्तेमाल किया जाता हैए इसमें अक्सर मिलावट की शिकायतें आती रहती हैं। ऐसे में दूध असली है या नकली कई बार इसे पहचानना मुश्किल हो जाता है। पर कुछ ट्रिक्स हैं, जिनके जरिए कोई भी अपने घर में दूध में मिलावट का पता लगा सकता है। इन तीन तरीकों से तैयार होता है नकली दूध जैसे की दूध में खराब पानी मिलाकर, दूध में यूरिया जैसे नुकसानदेह केमिकल मिलाकर, सिंथेटिक और दूसरी चीजों से केमिकल दूध तैयार करना। 
 
कैसे बनाया जाता है सिंथेटिक दूध  
. सिंथेटिक दूध बनाने के लिए सबसे पहले उसमें यूरिया डालकर उसे हल्की आंच पर उबाला जाता है।
. इसके बाद इसमें कपड़े धोने वाला डिटर्जेंट, सोडा स्टार्चए फॉरेमैलिन और वाशिंग पाउडर मिलाया जाता है।
. इसके बाद इसमें थोड़ा असली दूध भी मिला दिया जाता है।
 
 
ऐसे करें असली और नकली में पहचान - 
. असली दूध स्टोर करने पर अपना रंग नहीं बदलता, नकली दूध कुछ वक्त के बाद ही पीला पडऩे लगता है
. अगर असली दूध में यूरिया भी हो तो ये हल्के पीले रंग का ही होता है। वहीं अगर सिंथेटिक दूध में यूरिया मिलाया जाए तो ये गाढ़े पीले रंग का दिखने लगता है। 
. असली दूध को हाथों के बीच रगडऩे पर कोई चिकनाहट महसूस नहीं होती। वहीं नकली दूध को अगर आप अपने हाथों के बीच रगड़ेंगे तो आपको डिटर्जेंट जैसी चिकनाहट महसूस होगी।

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