शासन की शह पर चल रही शिक्षा की दुकानें

348 By 7newsindia.in Wed, Oct 10th 2018 / 12:32:08 मध्य प्रदेश     

 विद्यालयों में मध्य प्रदेश शासन की गाईड लाईन वेअसर

 
सीधी,
जिले में शिक्षा के क्षेत्र में जहॉ एक ओर विद्यार्थी लगातार मेहनत कर विगत कई वर्षो से लगातार राज्य स्तर पर जिले का नाम रोषन कर रहे हैं वहीं जिला शिक्षा केन्द्र के वरिष्ट अधिकारी कर्मचारियों द्वारा जिले में शिक्षा क्षेत्र की गरीमा मटिया मेट करने में तुले हुए है। विगत कई वर्षो से जिले में कुकरमुत्ते की भॉति निजी विद्यालय गली मोहल्ले में लगातार खुल रहे हैं। निजी विद्यालय संचालको को विना किसी मापदण्ड को पूरा किये बगैर चन्द रूपयों में एन०ओ०सी० प्राप्त हो जाती है जिससे जिला शिक्षा कार्यालय की काली करतूत  आम जन के सामने स्पष्ट उजागर हो रही है। सूत्रों की मानें तो जिला शिक्षा विभाग द्वारा हर वर्ष मान्यता रद्द करने का खेल खेला जाता है किन्तु निजी विद्यालयों द्वारा विना किसी निर्धारित मापदण्डों को पूरा किये बगैर सिर्फ बन्द कमरों में लिफाफा के खेल के चलते शिक्षा की दुकानें यथावत चलती रहती हैं। वर्तमान समय में जिला शिक्षा कार्यालय के क्रियाकलापों को देखने सूनने वाले कहने से नही चुकते है कि ये तो खुले आम भ्रष्टाचार की पराकाष्टा हो रही है एवं जिला प्रशासन मूक वधिर बना हुआ है, जो कि निन्दनीय है।
 
बात अगर सरकारी विद्यालयों की करें तो जिला कलेक्टर द्वारा नये शिक्षा सत्र का शुभारंभ बडे ही ताम झाम के साथ किया जा चुका है किन्तु अभी भी जिले के कई सरकारी विद्यालय के शिक्षकों की नींद नहीं खुली हुई है। सरकार की योजना स्कूल चले अभियान को कुछ नौकरशाहों के द्वारा खुलकर मखौल उडाया जा रहा है। ज्ञात हो कि आम जन एवं समाज के जागरूक व्यक्त्यिों द्वारा कई बार लिखित व मौखिक शिकायत करने के पश्चात मझौली विकास खंड के अन्तर्गत डीएईएवो सीधी के द्वारा स्कूलों का दौरा किया गया जिसमें पूर्व माध्यमिक विध्यालय परसिली जहां पर पदस्थ शिक्षक नेहरु टेकाम व पूर्व माध्यमिक विद्यालय नौढिया जहां पदस्थ शिक्षक महादेव सिंह व प्राथमिक शाला चफोदी जहां पदस्थ विजय बहादुर सिंह सहित कई स्कूल बन्द पाई गई । कुछ स्कूल खुली तो पाई गई पर चपरासी के अलावा कोई मौजूद नहीं पाये गये। स्कूलों की लचर व्यवस्था को देखते हुए डीएईएवोए पारसनाथ शुक्ला द्वारा विकास खंड मझौली के बत्तीस स्कूलों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। अब देखना यह है कि निरीक्षण के दौरान बंद पाई गई स्कूलों के शिक्षको को सिर्फ नोटिस देकर मामले को शांत कर दिया जायेगा या फिर कार्यवाही की जायेगी। किन्तु शिक्षा विभाग की वर्तमान छवि को देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि सारी कार्यवाही सिर्फ बन्द कमरे तक ही सीमित रह जायेगी।
 
मान्यता रिन्यूअल के नाम पर हो रही मोटी कमाई -
जिले में चल रही चर्चाओं पर अगर ध्यान दिया जाये तो स्पष्ट होता है कि शासन के नियम कायदा कानून  अपने आप मे मायने रखते है। जिन पर व्यवस्था का संचालन होता है, जो हमारे लिए नियम है। शासन के नुमाईन्दे उसे दीमक की तरह खा रहे है। हर साल जिले के निजी विद्यालयो को अपनी मान्यता नवीनीकरण कराने का नियम है। जैसे नवीन शिक्षण सत्र आरम्भ होते ही जिला शिक्षा अधीकारी व डीपीसी कुछ विद्यालयो की मान्यता समाप्ति कर नोटिस जारी करते है, और एक के बाद एक विद्यालय संचालक शिक्षा विभाग मे पहुच कर अपने फर्जी कागजात विभाग को सौपते है। और फिर सुरू होता है खरीद फरोख्त का शिलशिला अधिकारियों को मुह मागी रकम मिलने के बाद मान्यता रेन्यूअल हो जाती है। विद्यालय संचालक को सालभर अविभावको को लूटने का लाइसेंस दे दिया जाता है। जो शैक्षणिक संस्थान पात्रता रखते है वे भी इस व्यवस्था का विरोध नही करते वे भी विभाग के सामने नदमस्तक दिखते है। और फिर बिरोध के स्वर इस लिए भी नही उठते की विद्यालय संचालक छात्र अविभावको से ये राशि वसूल ली जाती है।

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