प्रणब बोले- सहिष्णुता हमें शक्ति देती है, लेकिन आसपास बढ़ती हिंसा देखकर दुख होता है

306 By 7newsindia.in Tue, Jul 25th 2017 / 08:16:18 राष्ट्रीय समाचार     

राष्ट्रपति के तौर पर प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को देश के नाम अंतिम संबोधन दिया। इस दौरान उन्होंने सहिष्णुता, बहुलतावाद और अहिंसा की शक्ति की बात की। प्रणब ने कहा कि भारत की आत्मा बहुलतावाद और सहिष्णुता में बसती है। हम एक-दूसरे से तर्क-वितर्क कर सकते हैं। सहमत-असहमत हो सकते हैं। लेकिन विविध विचारों को नकार नहीं सकते। उन्होंने कहा कि सहिष्णुता से हमें शक्ति प्राप्त होती है। लेकिन रोज हम आसपास बढ़ती हिंसा देखते हैं तो दुख होता है। हमें इसकी निंदा करनी चाहिए। हमें अहिंसा की शक्ति जगानी होगी। महात्मा गांधी भारत को एक ऐसे राष्ट्र के रूप में देखते थे, जहां समावेशी माहौल हो। 

जिम्मेदारों को सीख| राष्ट्रपति के तौर पर देश के नाम दिया आखिरी संदेश

उन्होंने कहा, "मुखर्जी ने कहा", 'मैं भारत के लोगों का सदैव ऋणी रहूंगा। जब मैं 5 साल पहले राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी तो संविधान की रक्षा का भी शपथ लिया था। पिछले 5 सालों में मैंने देश के संविधान की रक्षा के लिए हरसंभव कोशिश की। मैं अपने कार्यकाल के दौरान कई जगहों की यात्रा की। बुद्धिजीवियों, छात्रों से मिला और उनसे काफी कुछ सीखा। मैंने बतौर राष्ट्रपति खूब प्रयास किए। मैं अपने प्रयासों में कितना सफल हो पाया यह तो अब इतिहास में ही परखा जाएगा। संविधान मेरा पवित्र ग्रंथ रहा है। भारत की जनता की सेवा मेरी अभिलाषा रही है।'उन्होंने मंगलवार को शपथ लेने जा रहे नए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को बधाई भी दी। 
जलवायु परिवर्तन पर भी जताई चिंता 
2012 की बात फिर दोहराई 
राष्ट्रपति ने साथ ही बदलते जलवायु परिवर्तन पर चिंता भी जताई। उन्होंने कहा, 'पर्यावरण में बदलाव के कारण कृषि पर असर पड़ा है। हम सबको मिलकर काम करना होगा। शिक्षा और शिक्षण संस्थानों को विश्व स्तर का बनाना होगा। तभी हम तरक्की हासिल कर सकते हैं।' राष्ट्रपति ने कहा, 'मैंने पिछले 5 सालों में अच्छा माहौल बनाने की कोशिश की। अब में विदा हो रहा हूं। वर्ष 2012 के स्वतंत्रता दिवस के अवसर में जो मैंने कहा था वह एकबार फिर दोहरा रहा हूं। लोकतंत्र का सबसे बड़ा सम्मान मातृभूमि का नागरिक होने में है। हम सभी भारत मां के बच्चे हैं। हमें जो भी जिम्मेदारी मिले, हम सब उसको पूरी निष्ठा के साथ निभाएं। कल मैं जब आपसे बात कर रहा होऊंगा तो मैं भारत का राष्ट्रपति नहीं बल्कि एक आम नागरिक रहूंगा। देश की उन्नति ही हमारा ध्येय होना चाहिए।' मुखर्जी का बतौर राष्ट्रपति सोमवार को आखिरी दिन था। मंगलवार को कोविंद देश के 14वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेंगे। शपथ ग्रहण समारोह दोपहर सवा 12 बजे होना है। 


 

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