संभाग से तहसील तक ई- कोर्ट सुविधा नाम की, जमीन और विवादों के केस सुलझे नहीं
बिलासपुर । प्रदेश और जिले की जनता को सुविधा प्रदान करने के लिए सरकार ने नौ करोड़ खर्च कर ई-कोर्ट शुरू करने की योजना बनाई है। तहसील, एसडीएम और आयुक्त दफ्तर को ऑनलाइन करने के निर्देश जारी किए जा चुके हैं। इसके उलट बिलासपुर में इसकी स्थिति खराब है। अभी अधिकारियों को ही नहीं पता है कि इसे अमल में कैसे लाना है।
दावा है कि दो दिन बाद कलेक्टोरेट के मंथन कक्ष में अफसरों को इसकी ट्रेनिंग मिलेगी। तमाम सुविधाओं के बाद तहसील और दूसरे कोर्ट में लोगों को कब्जे, नामांतरण और विवादों के मामलों को सुलझाने के लिए भटकना पड़ रहा है। कई चक्करों के बाद उनका काम नहीं हो पा रहा। यही वजह है कि उनके आक्रोश है। सरकार ने पब्लिक को अवैध वसूली और सरकारी अधिकारियों की बेरूखी का सामना न करना पड़े ये सोचकर सारे दस्तावेजों को ऑनलाइन करने की योजना बनाई है। इसकी जिम्मेदारी जिला प्रशासन और राजस्व विभाग के अफसरों को सौंपी गई है। इसके बावजूद गुजरे महीनों में कोई खासा सुधार नहीं हुआ है। इसलिए मिसल बंदोबस्त, बी-वन, खसरा और भूमि से संबंधित दूसरे अहम दस्तावेजों के लिए भटकने की स्थिति है। कमिनश्नरी, तहसील, कलेक्टोरेट और अन्य विभागों में जमीन से संबंधित दस्तावेज हासिल करने के लिए पब्लिक परेशान होती है। उन्हें रुपए चुकाने पड़ते हैं। गंभीर बात यह कि कई दफ्तरों में दस्तावेज और फाइलों को सहेजा नहीं जा रहा है। इसलिए लोग परेशान हैं।
ये है सरकार की योजना,
नकल आवेदन निकालने में झेल रहे दिक्कत रिकॉर्ड को ऑनलाइन करने का फायदा यह होगा कि भू-अभिलेख विभाग के सभी दस्तावेज ऑनलाइन हो जाएंगे, जिससे रिकॉर्ड को संभालने की झंझट व उसके खराब होने की परेशानी से छुटकारा मिल जाएगा। सभी रिकॉर्ड ऑनलाइन होने से उन्हें तलाशने में भी मशक्कत नहीं करना पड़ेगी। हाल यह है कि पूर्व का रिकॉर्ड ढूंढने के लिए सभी दस्तावेजों को खंगालना पड़ता है। इस योजना के तहत जाति व मूल निवासी प्रमाण-पत्रों को भी लेमिनेशन कर ऑनलाइन किया जाएगा। इससे इनके भी खराब होने का भय नहीं रहेगा। जमीनों के खसरा बीवन की जरूरत किसानों को अधिक होती है। नकल प्राप्त करने के लिए किसानों को करीब एक सप्ताह लग जाता है। योजना को अमल में लाने के बाद इस झंझट से मुक्ति मिलेगी और किसानों को करीब एक-दो घंटे में रिकॉर्ड उपलब्ध हो जाएगा।
रिकॉर्ड रूम में वसूली आम, शिकायतों के बाद ध्यान नहीं देते अफसर कलेक्टाेरेट के कई दफ्तरों में दस्तावेजों के बदले सरकारी और निजी लोगों के पैसे मांगने की बात आम हैं। सबसे ज्यादा बुरी स्थिति लैंड रिकॉर्ड रूम की है। जमीन के पुराने प्रकरणों की नकल के लिए लोगों को खासी दिक्कत होती है। यहां पदस्थ भीतर का कर्मचारी जरूरत के मुताबिक दस्तावेज का आवेदन करने पर प्रकरण गुम होने तक बात कह देता है। जब तक इसके बदले पैसे नहीं मिलते तब तक वह नकल के लिए चक्कर लगवाता है। यहीं आसपास बाहर के लोग भी सक्रिय होते हैं जो रुपयों के बदले चंद मिनटाें में दस्तावेज दिलाने की बात कहते हैं। दावा करते हैं कि उनकी भीतर के लोगांे से तगड़ी सेटिंग है।कुछ लोगों ने इसी फेर में इन्हें पैसे दिए और उन्हें नकल नहीं मिला। इसकी शिकायत तत्कालीन कलेक्टर से हुई थी।
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