दो दशक में राज्य ने 9 सीएम देखे, 3 बार राबड़ी और एक बार मांझी को मिली कुर्सी
बिहार विधान मंडल के अाधुनिक इतिहास के आईने में झांकें तो बीते दो दशक यानी 20 वर्षों में 9 मुख्यमंत्री बन चुके हैं। इनमें सबसे अधिक ‘रिकॉर्ड’ 5 बार नीतीश कुमार को सीएम का ताज मिला है। इस दौरान वर्ष 2000 में वे सबसे कम महज 7 दिनों के लिए मुख्यमंत्री बने थे। उस समय वे समता पार्टी के नेता थे। फिलहाल नीतीश जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। नीतीश कुमार के बाद राबड़ी देवी तीन बार सीएम रह चुकी हैं। इन दोनों के अलावा जीतन राम मांझी भी करीब नौ महीने तक (20 मई 2014 से 22 फरवरी 2015 तक) सीएम थे।
बीते 22 वर्षों में हुए राजनीतिक उतार-चढ़ाव के बीच बिहार में तीन बार करीब साढ़े 10 महीने के लिए राष्ट्रपति शासन लगा है।
वर्ष 1995 में महज 5 दिनों के लिए (28 मार्च से 4 अप्रैल) राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। बाद में लालू मुख्यमंत्री बने थे।
वर्ष 1999 में 11 फरवरी से 9 मार्च तक राष्ट्रपति शासन था। इसके बाद 7 मार्च 2005 से 24 नवंबर 2005 तक सूबे में राष्ट्रपति शासन का अपेक्षाकृत लंबा दौर था।
16 जून 2013 को भाजपा से अलग हुए, 26 जुलाई 2017 को फिर साथ
चार साल बाद ही जदयू फिर भाजपा के साथ हो गई। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और तत्कालीन जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने 16 जून 2013 को भाजपा से गठबंधन तोड़ने की घोषणा की थी। चार वर्ष 40 दिन भाजपा से अलग रहने के बाद फिर 26 जुलाई 2017 को साथ हो गई। एनडीए से अलग होने के वक्त नीतीश कुमार ने भाजपा में लालकृष्ण आडवाणी की जगह नरेंद्र मोदी को नेतृत्व दिए जाने का सवाल उठाया था। 2014 में लोकसभा चुनाव में जदयू ने भाकपा के साथ चुनाव लड़ा था और मात्र दो सीट ही जीत सकी। लोकसभा चुनाव में हार की जिम्मेदारी लेते हुए नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर जीतनराम मांझी को मुख्यमंत्री बनवा दिया था। बाद में जीतनराम मांझी को हटा कर कांग्रेस और राजद के समर्थन से फिर दोबारा 2014 में मुख्यमंत्री बने। राजद, जदयू और कांग्रेस ने मिल कर 2015 में विधानसभा चुनाव लड़ा। महा गठबंधन को सफलता मिली।
दिनभर मांझी देखते रहे अपने मन की सरकार का सपना
हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सीएम जीतनराम मांझी ने कहा कि पार्टी दलितों, अति पिछड़ों, अल्पसंख्यकों समेत सभी गरीबों के हक की लड़ाई को और तेज करेगी। अगले साल मार्च में पार्टी की ओर से गांधी मैदान में एक रैली का आयोजन किया जाएगा। बिहार का अगला मुख्यमंत्री कोई दलित ही होगा। दो उपमुख्यमंत्री के पदों में से एक अति पिछड़ा और दूसरा अल्पसंख्यक समाज का दिया जाएगा। वे बुधवार को अपने आवास पर समीक्षा बैठक को संबोधित कर रहे थे। मांझी ने कहा कि पार्टी में काम करने वालों को ही प्राथमिकता दी जाएगी। बैठक में संगठन के विस्तार पर चर्चा की गई। अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष वृशिण पटेल ने किया। बैठक में प्रदेश के सभी जिला अध्यक्ष, प्रकोष्ठ के सभी प्रदेश अध्यक्ष और प्रदेश कमेटी के सदस्यों के साथ पार्टी के वरिष्ठ नेता भी इसमें उपस्थित थे।
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