नीतीश सरकार ने जीता टेस्ट: NDA को 131, विपक्ष को 108 वोट मिले
बिहार विधानसभा में शुक्रवार को नीतीश कुमार ने फ्लोर टेस्ट में जीत हासिल की। एनडीए के पक्ष में 131 वोट पड़े, वहीं आरजेडी अलायंस को 108 वोट मिले। इससे पहले तेजस्वी ने अपने भाषण में कहा, "4 साल में 4 सरकार... बिहार को इसका जवाब चाहिए। नीतीशजी, आपको सुशील मोदीजी के साथ बैठने में शर्म नहीं आई।" नीतीश ने अपनी स्पीच में कहा कि सत्ता सेवा के लिए होती है, मेवा खाने के लिए नहीं। बिहार विधानसभा में कुल 243 विधायक हैं। विश्वासमत के मद्देनजर सभी दलों ने अपने-अपने विधायकों को व्हिप भी जारी किया था। विश्वास मत के बाद तेजस्वी ने कहा, "जिन लोगों ने बीजेपी के विरोध में वोट किया था, नीतीशजी ने उन्हें छला है। वो अपमानित महसूस कर रहे हैं। नीतीशजी बीजेपी की गोद में चले गए। हमने आज इतने सवाल पूछे, जिसका जवाब बीजेपी और नीतीश के पास नहीं था।" "4 साल में नीतीश ने 4 सरकारें क्यों बनाईं? बिहार को जो नुकसान हुआ, उसकी भरपाई कौन करेगा? आज जो हाउस में हुआ, हमने गुप्त मतदान की मांग की थी। उनके विधायकों ने कहा था कि गुप्त मतदान होगा तो हम आपको वोट देंगे। संविधान के हिसाब से सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने के लिए बुलाया जाता है। लेकिन ऐसा नहीं किया गया।" "जब ये हाउस में जवाब नहीं दे पाए तो जनता को क्या जवाब दे पाएंगे। तेजस्वी का बहाना बनाकर वो बीजेपी से मिल गए।"
- विधानसभा में नीतीश ने कहा- "सबको आईना दिखाऊंगा। बाहर भी, अंदर भी। वोट देने वाली जनता परेशानी हो रही थी। कुर्सी राजभाेग के लिए नहीं, सेवा करने के लिए होती है। सरकार आगे चलेगी। बिहार की खिदमत करेगी। भ्रष्टाचार और अन्याय को बर्दाश्त नहीं करेंगे।"
पिटीशन दायर, लेकिन सुनवाई सोमवार को
पटना हाईकोर्ट के वकील दिनेश खुर्पीवाला ने जनहित याचिका दायर की है। पिटीशन में कहा गया है कि नीतीश की नई सरकार बनवाने में राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी ने संविधान के निर्देशों का सही तरह से पालन नहीं किया। हालांकि, इस पिटीशन पर हाईकोर्ट में सोमवार को सुनवाई होगी।
कैसे शुरू हुआ विवाद?सीबीआई ने 5 जुलाई को लालू, राबड़ी और तेजस्वी यादव के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। 7 जुलाई को सुबह CBI ने लालू से जुड़े 12 ठिकानों पर छापे मारे। जांच एजेंसी के मुताबिक 2006 में जब लालू रेलमंत्री थे, तब रांची और पुरी में होटलों के टेंडर जारी करने में गड़बड़ी की गई।
- इसके बाद तेजस्वी के इस्तीफे की मांग उठने लगी। मामला तब गरमा गया जब नीतीश कुमार की अगुआई में इस मसले पर 11 जुलाई को जेडीयू की अहम बैठक हुई।
- इससे पहले मई से ही लालू और उनके परिवार के खिलाफ 1000 करोड़ की बेनामी प्रॉपर्टी के आरोपों की इनकम टैक्स डिपार्टमेंट जांच कर रहा था। मीसा और उनके पति के ठिकानों पर भी छापे मारे जा चुके थे।
जेडीयू ने कब रुख सख्त किया?
- तेजस्वी पर एफआईआर के बाद जेडीयू ने कहा कि जिन पर आरोप लगे हैं, वे जनता ले सामने फैक्ट्स के साथ जवाब दें। इस्तीफे के बाद भी नीतीश ने यही बात दोहराई कि उन्होंने तेजस्वी से इस्तीफा नहीं सिर्फ सफाई मांगी थी। जेडीयू ने कभी करप्शन के मामले में समझौता नहीं किया है। हमने तो इसकी मिसाल पेश की है। फिर चाहे वे जीतनराम मांझी का मामला हो या अनंत सिंह का। नीतीश कुमार अपनी छवि और भ्रष्टाचार की समस्या से समझौता नहीं करेंगे।
चार कारण: जिसकी वजह से खराब हो रही थी नीतीश की छवि, बदलना पड़ा सहयोगी
1) पेट्रोल पंप घोटाला:लालू यादव के बेटे तेज प्रताप पर धोखाधड़ी के जरिये पटना के नजदीक बेऊर पेट्रोल पंप हासिल करने का आरोप लगा। जब तेज प्रताप पेट्रोल पंप के लिए इंटरव्यू में बैठे, तब वे बेऊर की उस 43 डिसमिल जमीन के मालिक नहीं थे जिसका दावा किया था।
2) बेटियों के नाम शेल कंपनियां: तेजस्वी के खिलाफ बिहार के सबसे बड़े मॉल का प्रमोशन कर रही कंपनी में भारी शेयर रखने का आरोप है। लालू की तीन बेटियों के खिलाफ भी शेल कंपनियों में डायरेक्टर होने का आरोप हैं। लालू परिवार पर करोड़ों रुपए के भारी-भरकम फ्री गिफ्ट भी जांच के दायरे में है।
3) मनी लॉन्ड्रिंग केस: ईडी ने लालू की बेटी मीसा भारती की कंपनी से जुड़े एक चार्टर्ड एकाउंटेंट को गिरफ्तार किया। उस पर आठ हजार करोड़ रुपए की मनी लॉड्रिंग का आरोप। मीसा और उनके पति से लगातार पूछताछ की प्रक्रिया जारी है।
4) बेनामी संपत्ति जब्ती: 20 जून को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने लालू यादव के रिश्तेदारों की 12 संपत्तियां जब्त कीं। ये संपत्ति लालू की बेटी मीसा और उनके पति शैलेश कुमार की है। तेजस्वी और राबड़ी देवी, रागिनी और चंदना यादव की हैं। इन संपत्तियों का मार्केट वैल्यू 175 करोड़ से ज्यादा है।
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