यूपी : ये है 64 लोगों की मौत की जिम्मेदार गैस कंपनी....
लखनऊ: गोरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज अस्पताल में आॅक्सीजन की कमी से 64 लोगों की मौत हो गई है। ऑक्सीजन सप्लाई रोकने की वजह से इतनी मौतें होने का यह देश का पहला मामला है। अस्पताल को पुष्पा सेल्स नाम की कंपनी ऑक्सीजन सप्लाई करती है। जिसने 63 लाख रुपए का भुगतान न होने की वजह से सप्लाई रोक दी। कंपनी का निदेशक है मनीष भंडारी। उसे ही इस घटना का जिम्मेदार माना जा रहा है भास्कर संवाददाता जब इस बारे में बात करने इनके लखनऊ स्थित ऑफिस में पहुंचा तो इनके कई कर्मचारी काम कर रहे थे लेकिन मनीष के बारे में किसी के पास ठोस जानकारी नहीं थी। किसी ने कहा कि वो गोरखपुर गए हैं, तो किसी ने कहा कि उनका मोबाइल स्विच ऑफ है। इस कंपनी की बेस वैल्यू 21 करोड़ रुपए है और वर्ष 2010-11 में कंपनी का टर्नओवर 250 करोड़ रुपए रहा था। इतनी बड़ी कंपनी होने और वर्षों से काम करते रहने के बावजूद 63 लाख रुपए के लिए मनीष ने ऑक्सीजन की सप्लाई रोक दी थी। कंपनी ने 2014 में इस अस्पताल में सप्लाई शुरू की थी। पेमेंट का यह झगड़ा 23 नवंबर 2016 से शुरू हुआ।
मनीष भंडारी : इसने पैसों के लिए सांसें ही रोक दीं
ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी पुष्पा सेल्स का निदेशक।ढाई अरब टर्नओवर वाली कंपनी ने 63 लाख रुपए के लिए कर दी बच्चों की ऑक्सीजन बंद, अब गायब
पुष्पा सेल्स कंपनी की शुरुआत मनीष के पिता चंद्रशेखर भंडारी ने 1985 में की थी। इनका हेड ऑफिस लखनऊ में और कॉर्पोरेट ऑफिस नई दिल्ली में है। कंपनी में पांच लोगों को डायरेक्टर बनाया गया है। इस समूह की एक और कंपनी पुष्पा हेल्थकेयर सर्विसेज भी है। 2003 में शुरू हुई यह कंपनी ऑपरेशन थिएटर को हाईटेक बनाने के इक्यूपमेंट, ऑपरेशन थिएटर की एलईडी लाइट आदि बनाने का काम करती है। कंपनी में अभी 200 कर्मचारी काम करते हैं। चंद्रशेखर भंडारी की कुल 5 कंपनियां हैं, जिनमें सभी में इनके बेटे, बहू, पत्नी और समधी डायरेक्टर बिजनेस पार्टनर के रूप में हैं। इसके अलावा इनका गाड़ियों का शोरूम भी है। मनीष ने लखनऊ यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है। वो लखनऊ के हाई प्रोफाइल ला मार्टीनियर स्कूल में पढ़ता था। उसकी शादी लखनऊ की ही साक्षी भसीन से हुई है।
एक अगस्त 2017 को लिखे पत्र में खुद कंपनी ने कहा है कि 63 लाख रुपए बकाया है इसलिए अब वो सिलेंडर की सप्लाई नहीं कर सकती। मनीष भंडारी के कई रिश्तेदार लखनऊ में रहते हैं। पुष्पा सेल्स के एडवोकेट विवेक गुप्ता ने भास्कर को बताया कि कंपनी की तरफ से पेंडिंग पेमेंट के भुगतान के लिए बीआरडी कॉलेज को 14 रिमाइंडर भेजे गए। इसके बाद भी पेमेंट नहीं मिला। इस वजह से 4 अगस्त को आखिरी बार टैंकर भेजा गया और सप्लाई बंद कर दी गई। कंपनी ने लीगल नोटिस भी भेजा था। वहीं दूसरी तरफ जब हमने इस कंपनी के बारे में जानकारी जुटाई तो पता चला कि यह पहले भी विवादित रही है। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के शताब्दी फेज-दो अस्पताल में ऑक्सीजन पाइप लाइन बिछाने का काम पुष्पा कंपनी को दिया गया था। आरोप है कि तीन करोड़ के टेंडर इस कंपनी को महज 80 लाख रुपए में ही दे दिए गए। कंपनी को नियमों की अनदेखी कर टेंडर देने का आरोप लगा था। इस कंपनी पर सुस्त रफ्तार से पाइप लाइन बिछाने का भी आरोप लगा था। बाद में ठेका रद्द कर दिया गया था। इसी तरह पुष्पा सेल्स ने 2013 में लखनऊ के पीजीआई के न्यूरो डिपार्टमेंट में आॅक्सीजन पाइपलाइन बिछाने के लिए एग्रीमेंट किया था। जून 2014 तक न्यूरो डिपार्टमेंट में पाइप लाइन बिछाने का काम पूरा होना था लेकिन 2015 तक काम पूरा नहीं हुआ। जिसके बाद कंपनी के अधिकारियों को पीजीआई प्रशासन ने फटकार लगाई थी। 2016 में जैसे तैसे कंपनी ने अपना काम पूरा किया था। इसपर सुस्त रफ्तार से काम करने का आरोप लगा था।
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और दूसरा जिम्मेदार प्रिंसिपल, पत्नी के जरिए घूस का आरोप
गोरखपुर: ऑक्सीजन बंद होने के मामले में मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डाॅ. राजीव मिश्रा की भूमिका सबसे संदिग्ध है। भास्कर ने जब अस्पताल के लोगों से बात की तो नाम न छापने की शर्त पर वहां काम करने वाले लोगों ने बताया कि डाॅ. राजीव ने कमीशन के चक्कर में पुष्पा सेल्स कंपनी का पेमेंट रोक रखा था। सूत्रों के मुताबिक डॉ. राजीव अपनी पत्नी के माध्यम से कमीशन की डिमांड करता था। इनकी पत्नी इसी अस्पताल में ही आयुष डॉक्टर है।
आरोप है कि पत्नी ने पुष्पा सेल्स से 2 लाख और पहले सिलेंडर सप्लाई करने वाली कंपनी से 50 हजार रु. कमीशन की मांग की थी। जिसे न देने पर इनका पेमेन्ट रोक दिया। चौंकाने वाली बात यह है कि 9 अगस्त 2017 और इससे ठीक एक महीने पहले 9 जुलाई को जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अस्पताल का दौरा किया तो दोनों बार 2-2 घंटे की मीटिंग प्रबंधन से हुई थी। इसमें प्रिंसिपल ने अस्पताल के 400 कर्मचारियों का पेमेन्ट न मिलने, नियुक्तियों और निर्माण संबंधी समस्याओं पर बात की, लेकिन ऑक्सीजन और पेमेंट संबंधी चर्चा छिपा ले गया। जबकि जुलाई से सितंबर माह के बीच में गैस की खपत ज्यादा होती है। क्योंकि इंसेप्लाइटिस की बीमारी इस सीजन में बढ़ जाती है।
डॉ. राजीव मिश्रा : इसने कंपनी के पत्रों के बावजूद पेमेंट रोका
मेडिकल कॉलेज का प्रिंसिपल। ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी कई बार पत्र भेज चुकी थी। इसनेे पेमेंट रोके रखा। शनिवार को निलंबित हु
चौंकाने वाली एक बात यह भी है कि 31 मार्च 2017 को मोदी केमिकल्स प्राइवेट लिमिटेड का एग्रींमेन्ट कैंसल कर दिया गया था। इसके बाद इलाहाबाद की कंपनी इम्पीरियल से सिलेन्डर लेना शुरू कर दिया। पुष्पा लिक्विड ऑक्सीजन सप्लाई करती है जबकि इम्पीरियल सिलेंडर देती है। कहा जा रहा है कि इम्पीरियल भी ब्लैक लिस्टेड है। नियम के मुताबिक टेंडर करवाकर किसी को सिलेंडर का ठेका देना चाहिए था, लेकिन सिर्फ कागज पर इलाहाबाद की कंपनी से टाइअप कर लिया।यह जानकारी भी आ रही है कि डॉ. राजीव ने 02 अगस्त को पुष्पा सेल्स के बकाया 63 लाख रु. और मोदी केमिकल्स का बकाया 20 लाख रु. के भुगतान के लिए डीजीएमई (डायरेक्टर जनरल मेडिकल एजुकेशन) लखनऊ को लेटर भेजा था, इसके बाद 05 अगस्त को 22 लाख रुपए प्रिंसिपल के अंकाउंट में आ भी गए थे। बावजूद इसके उसने पेमेंट नहीं किया। अब उसका कहना है कि मुझे 07 अगस्त को पेमेन्ट आया। हालांकि यह हादसा होने और विवाद खड़ा हो जाने के बाद 11 अगस्त को 22 लाख रु. पुष्पा सेल्स एंड प्राइवेट लिमिटेड को दिए गए।
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