मजदूरी कर परिवार का पेट पालने वाले दिनेश का हुआ अपना पक्का घर

457 By 7newsindia.in Tue, Dec 12th 2017 / 20:02:31 प्रशासनिक     

ग्वालियर | रामकिशन बरार एक कच्ची पाटौर में अपने परिवार के साथ रहते थे। ग्वालियर शहर की ढलाननुमा बस्ती गोल पहाड़िया क्षेत्र में यह पाटौर थी। इस क्षेत्र में बरसात के मौसम में पाटौरों के धसकने की दुर्घटनायें हो चुकी थीं। तेज बारिश में जब बिजली कड़कती तो रामकिशन दम्पत्ति अपने बच्चों को सीने से लगा लेते। इसके अलावा उनके पास चारा भी क्या था। हाथ ठेला श्रमिक रामकिशन के लिये खुद का मकान तो एक सपना भर था। मगर अब वो एक फ्लैट के मालिक बन गए हैं। 

   रोज सुबह 5 बजे रामकिशन अपना हाथ ठेला लेकर लक्ष्मीगंज सब्जीमंडी पहुँच जाते। दिन भर हाड़ तोड़ मेहनत कर कारोबारियों का माल इधर से उधर पहुँचाते। इससे जो मजदूरी मिलती उसी से परिवार का गुजारा चलता। रामकिशन दिन रात इसी उधेड़बुन में रहते कि कैसे भी एक मकान बन जाए। उन्होंने एक दिन टीवी पर मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के भाषण में सुना कि सरकार हर जरूरतमंद को मकान मालिक बनायेगी। यहीं से उनके मन में एक उम्मीद की किरण जागी।  

   रामकिशन ने नगर निगम कार्यालय पहुँचकर आवास के लिये आवेदन भर दिया। एकीकृत शहरी आवास एवं गंदी बस्ती विकास योजना के तहत उनका नाम पक्के आवास के लिये चयनित हुआ। इस योजना के तहत नगर निगम ने गेंडे वाली सड़क, बकरा मंडी में एक सर्वसुविधायुक्त मल्टी का निर्माण कराया। इसी मल्टी में रामकिशन को भी एक पक्का फ्लैट मिल गया। जब उन्हें मकान की चाबी मिली तो पूरे परिवार में खुशियाँ छा गईं। इस फ्लैट में एक बैडरूम, ड्राइंग रूम, शौचालय व रसोई सहित सभी बुनियादी सुविधायें उपलब्ध हैं। रामकिशन के बच्चों ने घर को सुंदर-सुंदर तस्वीरों से सजा लिया है। उनके बच्चे नजदीक के सरकारी स्कूल में पढ़ने जाते हैं। पाटौर का जितना किराया देते थे, उससे भी कम किस्त मकान के लिये उन्हें अदा करनी पड़ रही है। 

   घर की चिंता दूर हुई तो रामकिशन अब दूने उत्साह के साथ काम करते हैं। जाहिर है उनकी आमदनी भी बढ़ गई है। देर शाम जब वो घर लौटते हैं तो कुछ फल व मिठाईयाँ भी लेते आते हैं। परिवार के साथ जब अपने पक्के घर में एक साथ भोजन करने बैठते हैं तो सारी थकान हवा हो जाती है। रामकिशन दम्पत्ति प्रदेश सरकार को दुआयें देते नही थकते।  

मजदूरी कर परिवार का पेट पालने वाले दिनेश का हुआ अपना पक्का घर "सफलता की कहानी" 

 

प्रतिष्ठित परिवारों के आशियाना बनाने वाले दिनेश शाक्य का भी खुद का पक्का घर, बन गया है। बेलदारी कर अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले दिनेश शाक्य को जब अपना पक्का मकान उपलब्ध हुआ, तो उनके परिवार को ऐसा लगा जैसे उन्हें अनमोल उपहार मिल गया है।  दिनेश कहते हैं कि मैं प्रतिदिन महाराज बाडा ग्वालियर पर प्रातः 6 बजे मजदूरी की तलाश में पंहुचता था तथा यह सोचता था कि मुझे आज मजदूरी मिल जाए तो मैं अपने बच्चों के लिए खाने का सामान लेकर जाउंगा। अपने स्वयं के मकान के बारे में तो मैने कभी सोचा ही नहीं था। हां जब मैं दूसरों के मकान पर बेलदारी का काम करता था तब जरुर मुझे कभी-कभी ऐसा अहसास होता था कि क्या मैं भी कभी अपने बच्चों के लिए अपना पक्का घर बना पाउंगा। 

   मकान का सपना मेरा मध्य प्रदेश की सरकार ने शहरी एकीकृत आवास और स्लम विकास योजना के तहत गेंडेवाली सडक, बकरामंडी में सर्वसुविधायुक्त नवनिर्मित मल्टी में आवास आवंटित कर पूरा किया। आज मेरे मकान में पक्का शौचालय भी है। जिससे मेरे बच्चों को बाहर शौच के लिए नहीं जाना पडता है।

 

 

 

 

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