7 करोड़ पेनाल्टी लगी, भुगतान रुका तो टीसीएस ने कहा- पैसा नहीं तो काम नहीं

524 By 7newsindia.in Wed, Dec 20th 2017 / 18:01:49 प्रशासनिक     

 

प्रोजेक्ट में देरी पर सरकार ने पहले की सख्ती, बाद में बैकफुट पर आई, टीसीएस को ही वित्तीय मदद देकर कराया जा सकता है काम, कैबिनेट लेगी फैसला 

भोपाल : 8 लाख से अधिक पूर्व व वर्तमान कर्मचारियों-अधिकारियों के वेतन और पेंशन के भुगतान समेत तमाम व्यवस्थाओं के कंप्यूटराइजेशन का काम कर रही टीसीएस मप्र में यह कार्य बंद कर सकती है। इसके पीछे बड़ी वजह यह है कि राज्य सरकार ने टीसीएस पर सात करोड़ रुपए की पैनल्टी यह कहकर लगा दी कि वह समय से काम पूरा नहीं कर पाई। 

इसके साथ ही अनुबंध के मुताबिक भुगतान भी रोक दिया। सरकार के इस रुख के बाद टीसीएस ने कहा है कि कंप्यूटराइजेशन के काम में अब तक उसे 70 करोड़ रु. से अधिक का नुकसान हो चुका है। अब यदि सरकार वित्तीय मदद नहीं करती तो वह आगे काम नहीं कर पाएगी। आईटी सेक्टर की बड़ी कंपनी टीसीएस वही है, जो इस समय व्यापमं से हो रही पटवारी की परीक्षाओं को ऑनलाइन करवाकर सुर्खियों में आई है। 

इस परीक्षा में पहले ही दिन कई छात्र परीक्षा नहीं दे पाए थे। बहरहाल टीसीएस के इस अल्टीमेटम के बाद वित्त विभाग हरकत में आ गया है। चूंकि टीसीएस सिस्टम के कंप्यूटराइजेशन (आईएफएमआईएस या एकीकृत वित्तीय प्रबंधन सूचना प्रणाली) का काफी काम कर चुकी है। कुल 31 करोड़ रुपए का भुगतान भी टीसीएस को किया जा चुका है, इसलिए वित्त विभाग इस कोशिश में है कि टीसीएस को ही वित्तीय मदद देकर उससे काम करा लिया जाए। विभाग ने अपनी अनुशंसा के साथ कैबिनेट के लिए प्रेसी भेज दी है। अब यह फैसला कैबिनेट को लेना है। गौरतलब है कि कंप्यूटराइजेशन पर कुल 150 करोड़ रुपए का व्यय होना है। 

 

टीसीएस को अब तक 31 करोड़ रुपए का भुगतान कर चुकी है सरकार 

 

 

अनुबंध की शर्त : 2015 में पूरा होना था काम 

जुलाई 2010 में टीसीएस से अनुबंध हुआ। इसके अनुसार हार्डवेयर की डिलीवरी और उसे इंस्टाल करने पर हुई खर्च की राशि में से 80% का भुगतान तुरंत होगा। सॉफ्टवेयर बनाने और चालू होने पर 15% राशि का भुगतान टीसीएस को होगा। उसे डाटा सेंटर, डिजास्टर रिकवरी सेंटर के लिए हार्डवेयर व सॉफ्टवेयर न केवल इंस्टाल करना था, बल्कि उसे संचालित करने के लिए ट्रेनिंग के साथ संधारित भी करना था। टीसीएस को तीन सब सिस्टम मानव संसाधन, वित्तीय प्रबंधन व पेंशन के साथ 16 मॉड्यूल बनाने थे। इसमें वित्त विभाग की सभी गतििधियां हो जातीं। यह काम 2015 तक होना था। बाद में इसकी मियाद बढ़ाई गई। 

 

...तो वेतन बंद, डीबीटी ठप 

 

  • ट्रेजरी के 2003 से चल रहे कंप्यूटराइजेशन के काम पर प्रभाव पड़ेगा। केंद्र का साफ्टवेयर लोक वित्त प्रबंधन सिस्टम व राज्य लोक वित्त प्रबंधन, जीएसटी के साथ बजट के काम बंद हो जाएंगे। 
  • वेतन, पेंशन के भुगतान के साथ डीडीओ के काम मैनुअल करना पड़ा तो दिक्कत होगी। ई-भुगतान, डीबीटी और ऑनलाइन प्राप्तियां रुक जाएंगी। 

 

टीसीएस का दबाव 

 

  • नए काम का भी पैसा मिले। मूल काम करने वालों को विभाग पैसा दे। बाद में सिस्टम को चलाने के लिए टीसीएस के जितने भी रिसोर्स पर्सन लगें, उन्हें प्रति व्यक्ति के हिसाब से 1.50 लाख रुपए दिए जाएं। 
  • वित्तीय मदद देने के साथ प्रोजेक्ट की राशि का भुगतान करें। जैसे-जैसे काम होता जाए, राशि दी जाए। 

 

सरकार की मजबूरी 

 

  • टीसीएस काम बंद करती है तो 31 करोड़ बेकार हो जाएंगे। नए टेंडर में वक्त लगेगा। 
  • सितंबर 2015 से डाटा सेंटर और एक तिहाई अन्य सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल हो रहा है। 
  • टीसीएस को चरणबद्ध व सॉफ्टवेयर के हिसाब से मानकर काम करने दिया जाए। 
  • जीएसटी, सातवें वेतन आयोग, प्लान व नॉन प्लान की समाप्ति जैसे कई कार्य नई आवश्यकताओं को देखते हुए टीसीएस से कराए गए हैं। इसी वजह से देरी हुई। 

 

 

 

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