दूसरी बार सेवा निवृत्त होगें सीधी डीईओ
सीधी । जिला शिक्षा अधिकारी एसएस ठाकुर द्वारा अपनी सेवा निवृत्ति के आदेश को निरस्त करने के लिये हाई कोर्ट जबलपुर में दायर की गई याचिका की सुनवाई करते हुये 27 जुलाई 2017 को पूर्व में दिये गये अंतिम आदेश को निरस्त करते ुहुये याचिका को रद्द करने का निर्णय सुनाया है। याचिका रद्द हो जाने के बाद डीईओ एसएस ठाकुर अब फिर से मध्यप्रदेश शासन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा दिये गये आदेश के अनुसार सेवा निवृत्त हो जायेगें। गौरतलब है कि जिला शिक्षा अधिकारी एसएस ठाकुर को विगत 30 जून 2016 को मध्यप्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा सेवा निवृत्त कर दिया गया था। सेवा निवृत्त का आदेश जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय सीधी में पहुंचते ही श्री ठाकुर ने स्कूल शिक्षा विभाग के आदेश के विरूद्ध हाई कोर्ट जबलपुर में याचिका क्रमांक 11477/2016 दायर की गई थी। जिस पर माननीय न्यायालय द्वारा अगली सुनवाई तक स्कूल शिक्षा विभाग भोपाल के आदेश पर रोंक लगा दिया गया था। इसके बाद श्री ठाकुर ने तत्कालीन कलेक्टर को गुमराह करते हुये फिर से जिला शिक्षा अधिकारी की कुर्सी में आसीन होकर अपनी मनमानी शुरू कर दिये। साथ ही हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान अपने अधिवक्ता के माध्यम से लगातार पेशी बढ़वाते रहे। 27 जुलाई को हाई कोर्ट के मु य न्यायाधीश हेमंत गुप्ता एवं न्यायाधीश विजय कुमार शुक्ल द्वारा याचिका की सुनवाई के दौरान आये साक्ष्यों के आधार पर डीईओ एसएस ठाकुर को न्यायालय द्वारा सेवानिवृत्त हेतु दिये गये अंतरिम आदेश को निरस्त करते हुये प्रस्तुत याचिका को रद्द कर दी। बतातें चलें कि डीईओ श्री ठाकुर के सेवा निवृत्त के बाद जिला शिक्षा अधिकारी पद पर पदासीन हुये थे। एस.एस.ठाकुर की सेवा पुस्तिका का रहस्य अभी भी बरकरार है। लोक शिक्षण भोपाल द्वारा रीवा, जबलपुर,होशंगाबाद संयुक्त संचालक शिक्षा को पत्र लिखकर डीईओ की सेवा पुस्तिका के संबंध में जानकारी चाही तो उक्त तीनो संयुक्त संचालकों ने अपने यहां सेवा पुस्तिका न होने की बात कही है। रीवा संयुक्त संचालक कार्यालय द्वारा जबलपुर संयुक्त संचालक से सेवा पुस्तिका के बारे में जानकारी चाही तो उनके द्वारा यह लेख किया गया कि एसएस ठाकुर की सेवा पुस्तिका हमारे कार्यालय को कभी भी प्राप्त ही नही हुई। जिला शिक्षा अधिकारी एसएस ठाकुर लंबे अर्से से होसंगाबाद एवं जबलपुर संभाग में अपनी सेवाएं दे चुके थे। किंतु उक्त संभागोंं में उनकी सेवा पुस्तिका न होने की बात कही जा रही है। आखिर एसएस ठाकुर की सेवा पुस्तिका कहां और कैसे गायब हुई इसका रहस्य बना हुआ है। हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान भी उनकी सेवा पुस्तिका के गायब होने का मामला अंत तक नही सुलझा। विभाग द्वारा काफी प्रयासों के बाद भी श्री ठाकुर की सेवा पुस्तिका के राज का पर्दा नही हट सका।
********20 वर्ष से गायब है सेवा पुस्तिका
जिला शिक्षा अधिकारी एस.एस. ठाकुर सं ावत: ऐेसे पहले बड़े अधिकारी है जिनकी सेवा पुस्तिका 20 वर्षो से गायब होने के बाद ाी पूरी संजीदगी के साथ वि ााग में सेवा करने के लिये डटे रहे। सेवा पुस्तिका गायब हो जाने से उन्हे इतने वर्षो में लाखों की वेतन चपत भी लग चुकी है। फिर भी उनके द्वारा गं ाीरता पूर्वक सालों तक विभाग के आला अधिकारियों से फरियाद करने की आवश्यकता तक नही समझी गई। पिछले वर्ष जब 60 वर्ष की उम्र पूर्ण होने पर उन्हे विभाग से सेवा निवृत्त करने का आदेश पहुंच गया तब उन्होने आनन-फानन में उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाते हुये वहां से अग्रिम आदेश तक के लिये स्थगन आदेश लाने के बाद वे फिर से जिला शिक्षा अधिकारी की कुर्सी में बड़े अधिकारियों को गुमराह करके बैठ गये।
60 वर्ष पूर्ण होने पर हुये थे सेवानिवृत्त
म.प्र.शासन स्कूल शिक्षा विभाग मंत्रालय बल्लभ भवन भोपाल ने पत्र क्रमांक-1638 दिनांक 27 सितंबर 2016 में आयुक्त लोक शिक्षण मप्र भोपाल को कहा था कि एसएस ठाकुर जिला शिक्षा अधिकारी के संचनालय के प्रस्ताव दिनांक 30 जून 2016 के अनुक्रम में उनकी जन्मतिथि 10.06.1956 शैक्षणिक कार्यवधि 20 वर्ष से कम होने के फलस्वरूप शासकीय सेवक अधिवार्षिकी आयु द्वितीय संसोधन नियम 98 के तहत विभाग के आदेश दिनांक 30 जून 2016 में 60 वर्ष पूर्ण होने पर सेवा निवृत्त किया गया था। माननीय उच्च न्यायालय ने उक्त आदेश को स्थगित करते हुये 62 वर्ष तक अथवा उच्च न्यायालय द्वारा इस विषय पर कोई संसोधित आदेश जारी होने तक निरंतर सेवा में रहने की अनुमति प्रदान की थी। न्यायालय के उक्त आदेश के अनुपालन में एसएस ठाकुर को उपस्थित कराने एवं आगामी आदेश तक कार्य कराने की अनुमति प्रदान हुई थी।
वरिष्ठ अध्यापक के समकक्ष मिल रहा था वेतन
जिला शिक्षा अधिकारी एस एस ठाकुर प्रथम श्रेणी अधिकारी होने के बाद भी काफी कम वेतन सालों से पा रहे थे। करीब 20 वर्ष से उनकी गायब सेवा पुस्तिका के न मिलने से उन्हे 20 वेतनवृद्धि से वंचित होना पड़ा । जिसके चलते उन्हे वर्तमान में करीब 51 हजार रूपये वेतन मिल रहा था। जबकि वरिष्ठ अध्यापकों का वेतन 50 हजार रूपये है। हायर सेकण्ड्री के प्राचार्यो का वेतन इस समय 79 हजार रूपये है। फिर भी श्री ठाकुर वरिष्ठ अध्यापक के समकक्ष वेतन पर सहर्ष कार्य करने को तैयार रहे। इनका 6 वें वेतनमान का फिक्शेसन तक नही हुआ था। श्री ठाकुर को वेतन में सालों से हो रहे नुकशान के बाद भी वह पूरी तरह से निश्चिंत थे। उनके द्वारा इसे कभी गंभीरता से नही लिया गया और न ही वरिष्ठ अधिकारियों के यहां वेतनबृद्धि न होने के संबंध में सार्थक पहल की गई। जबकि सामान्यत: मामलों में यदि किसी भी कर्मचारी को समय पर एक भी वेेतनबृद्धि का लाभ नही मिलता तो वह वरिष्ठ अधिकारियों के पास आवेदन लेकर पहुंचना शुरू कर देता है।
शिक्षकों के स्थानांतरण की तैयार है लंबी सूची
नये शैक्षणिक सत्र के आगाज के बाद विद्यालयों की शैक्षणिक व्यवस्थाएं बनाने के नाम पर जिला शिक्षा अधिकारी एसएस ठाकुर द्वारा शिक्षकों के स्थानांतरण की लंबी सूची तैयार कराई गई है। जिसे वह जल्द से जल्द जारी कराने के लिये कलेक्टर दिलीप कुमार के पास दौड़ धूप कर रहे थे। विभागीय सूत्रों का कहना है कि श्री ठाकुर द्वारा शिक्षकों के स्थानांतरण के नाम पर अपने कथित दलालों के माध्यम से लंबी राशि वसूल कराई गई है। जिसके चलते वह पूरी कोशिष में थे कि हाई कोर्ट जबलपुर का निर्णय आने से पहले ही शिक्षकों के स्थानांतरण की सूची जारी करा दी जाय। लाखों की अवैध वसूली के चलते श्री ठाकुर द्वारा शिक्षकों की स्थानांतरण सूची को कलेक्टर के समक्ष अनुमोदन के लिये अभी प्रस्तुत किया गया था। किंतु स्थानांतरण सूची में जिन शिक्षकों का नाम शामिल है उसमें कलेक्टर द्वारा शिक्षकों की विद्यालय में पदस्थापना तिथि का भी उल्लेख करने की आपत्ति लगा दी गई। जिसके चलते पूरी स्थानांतरण सूची को ही रातों रात तैयार कराने के लिये श्री ठाकुर अपने खास लोगों के साथ मुस्तैद हो गयेे। शिक्षकों के स्थानांतरण सूची जारी होने की खबर आग की तरह जिले भर में फैलते ही शिक्षकों की भीड़ भी जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में लगी हुई है। कई शिक्षक इस प्रयास में है कि स्थानांतरण सूची से उनका नाम हट जाय। वहीं जो शिक्षक अपनी सुविधाजनक स्कूलों में पदस्थापना चाहते थे उन्हे इस बात की जल्दी है कि स्थानांतरण सूची जारी हो जाय। उधर डीईओ की याचिका हाई कोर्ट में निरस्त हो जाने की खबर फैलते ही वह शिक्षक सबसे ज्यादा तनाव में दिखे जिनके द्वारा अपने स्थानांतरण के लिये भारी रकम दी गई है।
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