MP : विद्युत विभाग में 11 केव्ही के मेंटीनेंस का फर्जीवाड़ा
रीवा। विद्युत विभाग में मेटनेंस के नाम पर लाखों रुपए का घोटाला किया गया है। मेटनेंस के नाम पर आम उपभोक्ताओं को विद्युत वितरण कंपनी द्वारा धोखे में रखकर 30 सालों की पुरानी 11 केव्ही लाइन से ही सप्लाई की जा रही है। तार बदलने के लिए वर्कआर्डर तक जारी हुए, लेकिन हालात आज भी जस के तस है। हल्की आंधी और पानी में होने वाले फाल्ट इस मिलीभगत का नतीजा है।
मध्यप्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा घरेलू और कृषि लाइनों को अलग करने फीडर सेप्रेशन योजना चलाई गई थी। इस योजना में सिर्फ कृषि पंपों के कनेक्शन अलग किए गए घरेलू कनेक्शन के विद्युत सप्लाई जस की तस है। सब स्टेशन से ट्रांसफार्मर तक पहुंचने वाली 11 केव्ही लाइन की तार सड़ी गली हैं।
जिन्हें आज तक बदलने की प्रक्रिया नहीं अपनाई गई। जिले भर में यही हालात बने हुए हैं। कार्यपालन अभियंता कार्यालय से हर साल इन 11 केव्ही तारों का मेटनेंस तो कराया जाता है, लेकिन बदलने की कोशिश नहीं की जाती। इसके पीछे वजह मेटनेंस के नाम पर मिलने वाला लाखों, करोड़ों रुपए है। ठेकेदारों से सांठगांठ कर मेटनेंस की राशि हजम कर ली जाती है। 11 केव्ही लाइनें 30 साल पहले की है जो पुरानी हो चुकी है। उन्हें मेटनेंस के दौरान थोड़ी सी भी खींचने पर टूट जाती है। ऐसे में बारिश व आंधी में इन तारों का टिक पाना नामूमकिन है। यही वजह है कि इस भ्रष्टाचार की मार लोगों को झेलनी पड़ती है।
गरम होकर टूट जाते हैं तार
पुरानी लाइन होने के कारण ही अक्सर थोड़े से मौसम में आए उतार चढ़ाव से फाल्ट आ जाता है। तार गर्म होकर टूटने लगते हैं। पुराने तार गर्मी के दिनों में विद्युत सप्लाई की डिमांड को भी नहीं सह पाते। विद्युत विभाग तेजी से गर्मी के मौसम में प्री मानसून मेटनेंस में लग जाता है। इस दौरान सभी फीडरों में पुरानी तारों को ठीक करने का काम किया जाता है। काफी साल पुराने लूज तारों को खीचते ही जगह जगह टूट जाते हैं। कमीशन के लिए ठेकेदार और अधिकारी की जुगलबंदी से सड़े तार दुरुस्त किए जाते है।
नई लाइन खींचने में ज्यादा फायदा
विद्युत विभाग में काम सिर्फ कमीशन तक ही सिमट गया है। अधिकारी भी नए कामों को ज्यादा तवज्जो देते हैं। यही वजह है कि पुराने तारों को मेटनेंस के लिए छोड़ दिए हैं और नए कार्यों की तरफ इंट्रेस्ट ले रहे। नई लाइन खींचने में ठेकेदार के साथ ही अधिकारियों को भी फायदा पहुंचता है। नई लाइन में खंभे से लेकर तार, थ्री क्रास, इंन्सुलेटर एवं स्टे तक मिलता है। इस काम में करोड़ों रुपए का वारा न्यारा किया जाता है। वहीं पुराने तार बदलने में एक बार में ही सारी कमाई खत्म हो जाती है। सिर्फ नए तार के बदले पुराना तार ही मिल पाता है।
अब तक बदल जाती सारी लाइनें
विद्युत विभाग ने कमाई के फेर में 11 केव्ही की वर्षों पुरानी लाइनों को जस का तस बनाए रखा। इन तारों के मेटनेंस पर हर साल लाखों रुपए खर्च किए गए। यदि इन तारों को विभाग बदल देता तो मेटनेंस में खर्च की गई राशि से भी कम लागत आती। एक बार 11 केव्ही लाइन बदलने के बाद तार टूटने और फाल्ट जैसी समस्या भी खत्म हो जाती। हालांकि विभाग के अधिकारियों की मिली भगत से ऐसा नहीं किया जा सका। इस भ्रष्टाचार की सजा अब लोगों को उठानी पड़ रही।
जिले भर में है ऐसी हालत
घरेलू बिजली सप्लाई वाली 11 केव्ही लाइन की बुरी हालत जिले भर में है। सभी फीडरों में पुराने तारों को बदला नहीं गया है। गंगेव के पहरखा फीडर में 11 केव्ही लाइन वर्षों पुराना है। जहां मेटनेंस के दौरान ही कई बार तार टूट चुके हैं। इसके अलावा बैकुंठपुर में खैरा, रौरा, संसारपुर, बक्छेरा अंतर्गत पैपखरा, पड़रा, खरहरी, अमिलिया, छिउला, जोड़ौरी, लोहदवार शामिल हंै। इसी तरह नईगढ़ी, गुढ़, गोविंदगढ़, मऊगंज, देवतालाब, त्योंथर डिवीजन के गांवों की यही स्थिति है।
मेंटीनेंस के समय पुरानी लाइनों को नहीं सुधारा जाता है बल्कि फ्यूज कंडक्टर एवं अन्य ऐसे उपकरणों का मेंटीनेंस किया जाता है। जिसके चलते विद्युत प्रवाह बाधित न हो। लाइन के लिए अलग से पैसा आता है।
...अमित कुमार, ईई शहर संभाग
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