चीनी सामान के बहिष्कार नाम पर होरहा केवल छलावा - दीपक मिश्रा
सीधी। एन.एस.यू.आई अध्यक्ष दीपक मिश्रा ने जिले के छात्रों का अध्यन आध्यापन कार्य को वाधित कर भाजपा सरकार के इसारों पर हो राजनीति पर कडे शब्दों में निंदा करते हुए कहा कि ये बडे ही शर्म की बात है कि एक तरफ तो शिवराज सरकार द्वारा शिक्षा का स्तर बढाने हेतु दिखावा का कार्य किया जाता है वहीं दूसरी ओर जिले में संचालित विद्यालय, महाविद्यालय के तीमाही परिक्षा के समय शिक्षा वाधित कर छात्र छात्राओं को विद्यालय से निकालकर सडक पर राजनीति करायी जा रही है जो कि पूर्णत: सामाजिक व न्यायिक दृष्टिकोण से अनुचित है, अगर देखा जाये तो छात्रों के शिक्षा दिक्षा वाधित करने पर सभी दोषियों के विरूद्व सक्षम अधिकारी द्वारा जॉच कराकर उचित कार्यवाही न्याययोचित है।
दीपक मिश्रा ने कहा कि जिले में भाजपा केवल दिखावे की राजनीति तक सीमित रह गई है, हमेशा केवल मुख्य मुद्दो से भ्रमित करने का प्रयास सतत जारी रहता है, कभी कचरे के साथ अपनी फोटो शेयर कर तो कभी पूजन कर अपने आप को सच्चा भक्त प्रदर्शित करने पर तो कभी चीनी सामान का बहिष्कार करो, चीनी झालर का बहिष्कार करो, मिट्टी वाले दिया जलाओ, स्वदेशी अपनाओ विदेशी भगाओ आदि। पिछले कुछ सालों से इस तरह की राजनीति खूब चमकाई जा रही है। जैसे दीपावली आती है तो कुछ चीनी झालर का विरोध करने लगेंगे, होली के आते ही चीनी रंगों का विरोध करने लगेंगे, रक्षाबंधन के अवसर पर चीनी रक्षा बन्धन का विरोध करने लगेंगे। कभी कभार थोड़ी राष्ट्रभक्ति ज्यादा उमड पड़ी तो बच्चों के खेलने के लिए बनी चाइनीज टेडी बियर का विरोध करने लगेंगे। यह भारत के अनेक बडी बडी कंपनियों की साजिश है। वह यह बात समझने में असफल रहे हैं कि शोषक शोषक होता है चाहे वह देशी कंपनियां हो या विदेशी। दोनों ही स्थितियों में सच्चाई यह है कि गरीब मजदूर आम अवाम का शोषण हुआ। इनका असली मकसद देश की जनता को इस तरह की संवेदनात्मक मुद्दों में फंसाए रखें। जैसे ही आप बेरोजगारी पर बात करेंगे तो ये भारत माता की जय और वंदे मातरम के नाम पर राजनीति करना शुरु कर देंगे। जैसे ही आप गरीबी पर बात करेंगे तो ये राम मंदिर के नाम पर राजनीति चमकाने शुरू कर देंगे। जब आप सरकार से सीमा सुरक्षा और सैनिकों की सुरक्षा पर सवाल करेंगे तो स्वघोषित राष्ट्रभक्त लोग चन्द रुपए वाले चाइनीज झालर का विरोध करना शुरू कर देते हैं। इस तरह से जनता का ध्यान असली मुद्दों से बहुत ही आसानी से हटा दिया जाता है। राष्ट्रभक्ति अच्छी बात है लेकिन राष्ट्रभक्ति के नाम पर राष्ट्र को गुमराह करना एक साजिश का हिस्सा है। हमें इस तरह की साजिश से सतर्क रहना चाहिए।
चीन का भारत में बढ़ता हुआ निवेश
इस चकाचौंध भरे बाजार में अगर देश की बहुसंख्य जनता सस्ते सामान को प्राथमिकता न दे तो वह समाज से अलग.थलग पड़ जाएगा। भारत भी जब विदेश से कोई सामान आयात करता है तो जिस देश से उसे कम दाम पर अधिक गुणवत्तापरक सामान मिलता है वह उसी देश से आयात करता है। इस तरह से असली जिम्मेदारी सरकार की बनती है। सूत्रों की माने तो अगर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को आधार माना जाए तो चीन दिन.ब.दिन भारत का प्रमुख निवेशक देश बनकर उभरा हुआ है। भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के मामले में चीन वर्ष 2011 के 35वें स्थान और 2014 के 28वें स्थान से ऊंची छलांग लगाते हुए दिसंबर 2016में 17वें स्थान पर आ गया है। अप्रैल से दिसंबर 2014 के बीच जिन्होंने भारत में 0ण्453 बिलियन डॉलर निवेश किया था जोकि दिसंबर 2017 में बढ़कर 1ण्61 बिलियन डॉलर हो गई है। गौरतलब है कि चीन द्वारा भारत में निवेश उसके कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का मात्र 0ण्5: हिस्सा है। 1ए500 करोड़ रुपए की लागत से बनाई जा रही भारत की पहली नागपुर मेट्रो रोलिंग स्?टॉक मैनुफैक्?चरिंग यूनिट का निर्माण चीनी कंपनी चाइनीज रेलवे स्?टॉक कॉर्पोरेशन के साथ एमओयू साइन किया है।;16 अक्टूबर2016 जनसत्ताद्ध स्टेचू ऑफ यूनिटी के निर्माण के लिए 3000 करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्?ट का ठेका लार्सनएंड टूब्रो ;एलएंडटीद्ध नामक विदेशी कंपनी को दिया गया है। मूर्ति के विभिन्न हिस्सो का निर्माण चीन में होगा।;20 अक्टूबर 2015 जनसत्ताद्ध ऑटोमोबाइल और स्मार्टफोन के क्षेत्र में भी चाइनीस कंपनियों का बोलबाला है। लेनेवो, श्योमी, अप्पो, वीवो, हायर, जिओनी आदि। इन कंपनियों के गुणवत्ता ने यह सिद्ध कर दिया है कि चाइना के ऊपर लगाया जा रहा कटाक्ष लोकल चाइनीज माल पूर्णत: बेदम है। नोटबंदी के दौरान जब सरकार के इस निरंकुश फैसले ने डेढ़ सौ से अधिक लोगों की जान ले ली थी उस वक्त भारत को बडी तादाद में पॉइंट ऑफ सेल मशीन के लिए चीन के भरोसे ही टिकना पडा था। यहां तक कि भारत सरकार ने आयात शुल्क हटा दिया था। तब सस्ते सामानों का बहिष्कार करने वाले कहां थेघ्
जनता बॉर्डर क्रॉस करके चीन नही जाती है
आम जनता को बोला जाता है चीनी सामान का बहिष्कार करो लेकिन कोई ये बताएगा की ये सामान देश में ला कौन रहा है, असली सवाल पर चोट कब मारा जाएग। हम भारतीय तो बॉर्डर क्रॉस करके चीनी सामान खरीदने चीन नही जाते हैं। अगर सच में चीनी सामान का विरोध करना है तो असली जड चीनी निवेश का विरोध करना चाहिए क्योंकि पत्ते तोडऩे से पेड़ नहीं सूखते हैं। क्या चीनी निवेश का बहिष्कार भारत सरकार कर सकती है। क्या चाइनीज चिप्स और नूडल्स का विरोध करने वाले चीनी निवेश का बहिष्कार करने के लिए केंद्र सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरेंगे।
सच्चाई छुपाई जा सकती है पर छुप नहीं सकती -
उपभोक्ता तो विवेकशील होता है, प्रत्येक उपभोक्ता कम दाम पर अधिक संतुष्टि प्राप्त करना चाहता है। उसे जो सामान जहां सस्ता मिलता है वह खरीदता है। भारत की बहुसंख्यक जनता वैसे ही आर्थिक कंगाली में जी रही है। ऐसे में सरकार और मीडिया का यह फर्ज बनता है कि वह देश को गुमराह करने के बजाय भारतीय सीमा और सैनिकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करे। चीन के साथ भारत का व्यापार भारत के पक्ष में नहीं है तो इसे भारत अपने द्विपक्षीय स्तर पर बातचीत करके व्यापारिक संतुलन को स्थापित करे। देश की प्रमुख समस्या जातिवाद, पाखंडवाद, गरीबी, बेरोजगारी, महिला उत्पीडऩ को खत्म करने पर ध्यान दे। देशभक्ति के आड़ में जनता को गुमराह करने का खेल ज्यादा दिन नहीं चलेगा क्योंकि सच्चाई छुपाई जा सकती है पर छुप नहीं सकती
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