बेरोजगार हो गये जिले के 600 प्रेरक
सीधी। देश के निरक्षरता रूपी कलंक को मिटाने के लिये शुरू की गई साक्षरता परियोजना के पहली अक्टूवर से बंद करने के जारी हुए आदेश ने सीधी जिले से साढ़े छ: सौ से ज्यादा प्रेरक व आधा दर्जन डाटा इंट्री आपरेटर की सेवाएं समाप्त हो गई है अव वे बेरोजगारी की कतार पर खड़े होकर रोजगार मागने को बिवस हो गये है बता दे कि पूरे देश की तरह सीधी जिले मे भी प्रौढ़ शिक्षा योजना के तहत साक्षरता योजना लागू की गई थी जिसमे निरूशुल्क शिक्षा देने का प्रावधान किया था किन्तु तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्बिजय सिंह ने प्रदेश के सभी साक्षरता कक्षाएं लगाने वाले स्वंय सेवी संस्थाओं को अधिकतम दो हजार रूपये देने की घोषणा कर खुद के हस्ताक्षर से प्रमाण पत्र जारी कर सवसे ज्यादा निरक्षरों को साक्षर करने वाले युवाओं को प्रेरक का दर्जा देकर हर ग्राम पंचायत मे पुस्तकालय एवं संस्कृत केन्द्र संचालित किया गया था प्रेरकों को 1हजार रूपये प्रतिमाहं देने की योजना बनाई गई थी जिले भर मे 6सौ से ज्यादा प्रेरक काम शुरू कि ये हुए थे लेकिन उन्हे 2009 तक सेवाए लेने के बाद बाहर का रास्ता दिखा दिया गया किन्तु प्रशासन द्वारा भेजे गये निरक्षरों की सूची के आधार पर अक्टूवर 2009 से पुनरू हर ग्राम पंचायत मे दो प्रेरक नियुक्त कर न केवल कक्षाए संचालित करा दी गई वल्की कक्षाओं के लगने के बाद साल मे दो वार परीक्षएं आयोजित कर उन्हे कक्षोन्नत तक दी जाती है। प्रशासनिक सूत्रों की माने तो दुवारा की जाने वाली नियुक्ति मे वर्ष 2001 में की गई जनगणना में जिन जिलों में महिलाओं की साक्षरता का प्रतिशत 50 से कम था वहां साक्षरता के प्रतिशत को बढ़ाने केन्द्र सरकार की ओर से साक्षर भारत योजना की शुरूआत की गई थी जिसके तहत सीधी जिले के 5 ब्लॉक में आठ वर्षों तक 611 प्रेरकों द्वारा 1 लाख 14हजार 5 सौ 86 निरक्षरों को साक्षर बनाने का लक्ष रखा गया था प्रशासन के अनुसार सभी प्रेरक निरक्षरता को दूर करने कक्षाए लगाते रहे है भले ही केवल परीक्षाओं मे बैठाया जाता रहा है पर कक्षाए लगाने का दावा किया जाता रहा अब यही प्रेरक केन्द्र सरकार को उपयुक्त नही लगे उनसे छरूमाह तक अतिरिक्त बिना बेतन के काम लेने के बाद अक्टूवर 2017 की पहली तारीख से सेवा से मुक्त कर दिया गया है जिसे लेकर शासन के पोर्टल में आदेश भी जारी कर दिया गया है। आदेश के मुताबिक संविदा सेवा दे रहे इन कर्मियों को योजना अवधि तक ही काम करने के लिए कहा गया था। जनगणना में आए आंकड़े के बाद केन्द्र सरकार द्वारा साक्षर भारत योजना लागू की गई थी। जिसके तहत संविदा स्तर पर प्रेरकों की नियुक्ति की गई थी। सूत्र बताते हैं कि इस अभियान के तहत राज्य शिक्षा केन्द्र द्वारा प्रौढ़ शिक्षा के तहत प्रेरकों की भर्ती की गई थी। उस दौरान भर्ती को लेकर निकाले गए खूव लेन देन भी किया गया था पुराने प्रेरको के बदलो नये को महत्व देकर जमकर वसूली की गई थी पर जो नियुक्ति का आदेश था उसमे साफ कर दिया गया था कि परियोजना निश्चित अवधि तक के लिये है साक्षरता की पूर्ति होते ही उन्हें काम पर नही रखा जाएगा।
इस संबंध में राज्य शिक्षा केन्द्र भोपाल से एक पत्र कलेक्टर कार्यालय आया है जिसके मुताबिक राष्टकृीय साक्षरता मिशन प्राधिकरणए मानव विकास मंत्रालयए स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता मिशन व राज्य शिक्षा केन्द्र के तहत साक्षर भारत योजना को 30 सितम्बर तक की अवधि के लिए बढ़ाया गया था। इस योजना को दोबारा एक्सटेंशन नहीं मिल पाया है। लिहाजा दशहरा जैसे पर्व के ठीक बाद 611 प्रेरकों की सेवा समाप्त कर दी गई है सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक सत्र 2009ण्10 के तहत जिले में नियुक्त 611 प्रेरकों द्वारा 5 ब्लॉक में पिछले आठ साल वर्ष के दौरान 6ण्6 माह की अवधि में कक्षा लगाकर लोगों को साक्षर बनाने का काम किया गया था। इस अवधि के दौरान प्रेरकों द्वारा 1 लाख 15 हजार नव साक्षर तैयार किए गए थे। अब यही प्रेरक रविवार से सेवा से पृथक कर दिए गयेे। एक अन्य जानकारी के मुताबिक मार्च 2017 में इस योजना को समाप्त कर दिया जाना था लेकिन सर्वे के मुताबिक कुछ स्थानों पर प्रशिक्षण चल रहा था लिहाजा इसे 6 माह की अवधि के लिए बढ़ा दिया गया था। इतना ही नहीं इन प्रेरकों को मात्र 2 हजार रुपए मानदेय मिलता था। ये था दायित्व पौढ़ शिक्षा केन्द्र के हवाले किया गया था।
नये नाम से चल सकती है योजना
30 सितम्बर 17 से समाप्त हो चुकी साक्षर भारत योजना में अपनी सेवा देने वाले प्रेरकों के सामने एक नई समस्या उत्पन्न होने जा रही है। वहीं दूसरी तरफ ऐसा भी पता चला है कि केन्द्र सरकार द्वारा साक्षरता अभियान को गतिशील बनाए रखने के लिए मंथन चल रहा है। इस अभियान को अनवरत रखने के लिए जल्द ही नया प्रोजेक्ट लागू किए जाने की संभावना भी जताई जा रही है। इतना ही नहीं इस नए प्रोजेक्ट में उन प्रेरकों को अनुभव का लाभ दिया जाएगा जो पिछले पांच साल से इस अभियान से सीधे तौर पर जुड़े हुए थे।
दो हजार मे दूर कर रहे थे निरक्षता
भारत साक्षर योजना के तहत वर्ष 2009ण् 10 में राज्य शिक्षा केन्द्र के अंतर्गत प्रौढ़ शिक्षा द्वारा जिले में निरक्षरों को साक्षर बनाने का अभियान चलाया गया था। जिसमें छह ब्लॉक में 611 प्रेरकों की नियुक्ति की गई थी। इस अवधि के दौरान प्रेरक को मात्र 2 हजार रुपए मानदेय मिल पा रहा था। बताया जाता है कि महंगाई के अनुपात में मिल रहे मानदेय को प्रेरकों द्वारा काफी कम माना जा रहा था। इतना ही नहीं इसे लेकर कई बार मांग भी उठाई गई थी। बावजूद इसके प्रेरकों का मानदेय तो नहीं बढ़ा अलबत्ता 30 सितम्बर से उन्हें सेवा से पृथक कर दिए गये है।
हप्ते भर चला था वीथिका मे आन्दोलन
सरकार की योजना की भनक जिले के प्रेरकों को पहले हो गई थी जिसकों देखते हुए प्रेरकों ने कम्युनिष्ठों के बैनर तले अपनी मानदेय दिलाने के साथ साथ समय सीमा बढ़ाने की मांग को लेकर हफ्ते भर धरना प्रदर्शन कलेक्ट्रेट के सामने वीथिका भवन मे किया था जिसका असर यह हुआ की जिला प्रशासन ने नई परियोजना बनाकर साक्षरता की कक्षाएं संचालित करने का प्रस्ताव भेजा है पर सरकार ने फिलहाल योजना को बंद कर सभी प्रेरकों की नियुक्ति रद्द कर दिया है।
इनका कहना
महिलाओं के निरक्षरता की संख्या ज्यादा होने के कारण 2001 की जनगणना के आधार पर परियोजना लागू की गई थी परियोजना की समयावधि पूरी हो जाने के कारण आज से सभी की सेवाएं समाप्त कर दी गई है भविश्य मे योजना बनती है तो फिर से उन्हे मौका दिया जायेगा रही बात मान देय देने की तो हर मांह भुक्तान किया जाता रहा है। मार्च तक मे कुल परीक्षाएं हुई है उन सवका मानदेय दिया जा चुका है।
आर के तिवारी जिला पौढ़ शिक्षाधिकारी सीधी।
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