हर वर्ष बढ़ेगी फीस, निजी विद्यालयो को मिलेगा कानूनी अधिकार
भोपाल। राज्य सरकार ने प्रदेश में निजी स्कूलों द्वारा बढ़ाई जाने वाली मनमानी फीस को नियंत्रण में रखने के लिए फीस नियंत्रण कानून का ड्राफ्ट कैबिनेट से मंजूर करा लिया है। जिसे विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा। खास बात यह है कि फीस नियंत्रण काननू में सरकार ने निजी स्कूलों के हितों का पूरा ध्यान रखा है। जो स्कूल फीस नहीं बढ़ाते थे, वे भी कानून का हवाला देकर हर साल 10 फीसदी तक फीस बढ़ा सकेंगे। इतना ही नहीं जिन निजी स्कूलों की मनमानी रोकने के लिए कानून बनाया जा रहा है, वे भी 15 फीसदी तक फीस बढ़ा सकेंगे।
सरकारी स्कूलों में नि:शुल्क शिक्षा देने का दावा करने वाली राज्य सरकार प्रदेश में शिक्षा के व्यावसायीकरण में किस तरह से भूमिका निभा रही है, इसका अंदाजा फीस नियंत्रण कानून के ड्राफ्ट से लगाया जा सकता है। सरकारी स्कूलों में न तो शिक्षक हैं और न ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलती है। ऐसे में अभिभावकों को मजबूरी में निजी स्कूलों में बच्चों को दाखिला दिलाना होता है। 80 फीसदी निजी स्कूल फीस वृद्धि सीमित करते हैं। लेकिन 20 फीसदी स्कूल ऐसे हैं, जो फीस वृद्धि के नाम पर मनमानी करते हैं। ये ऐसे स्कूल हंैं, जिनमें ज्यादातर समाज के धनाढय़ वर्ग के बच्चे पढ़ते हैं। इन स्कूलों के संचालक भी रसूखदार होते हैं, इस वजह से इनके खिलाफ न तो कोई कार्रवाई होती है और न ही कोई सरकारी नियंत्रण हो पाता है। सरकार ने फीस नियंत्रण का जो नया ड्राफ्ट तैयार किया है, उसमें ऐसे स्कूलों के लिए मनमानी तरीके से फीस बढ़ाने का विकल्प रखा है। जिसके तहत ये निजी स्कूल 15 फीसदी तक फीस बढ़ा सकते हैं। हालंाकि इसमें शर्त यह रखी है कि 10 से 15 फीसदी तक फीस वृद्धि कलेक्टर की अध्यक्षता वाल कमेटी की मंजूरी से कर सकेंगे। रसूखदारों द्वारा संचालित स्कूलों को कलेक्टर की कमेटी आसानी से इसकी मंजूरी दे देगी।
फीस वसूलने के छोड़े दूसरे रास्ते
स्कूल शिक्षा विभाग के एक अफसर के अनुसार कानून में शैक्षणिक कार्य एवं फिजिकल, खेलकूद को अलग-अलग परिभाषित किया है। साथ ही बस आदि भी अलग है। ऐसे में स्कूलों को यह अधिकार होंगे कि वे खेलकूद समेत अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों के नाम से छात्रों से अलग से फीस वसूल सकेंगे। जबकि वर्तमान में सभी तरह की फीस एक साथ ली जाती है। फीस नियंत्रण कानून सिर्फ शैक्षणिक कार्य के लिए वसूली जाने वाली फीस पर नियंत्रण करेगा। हालांकि अभी कानून पारित नहीं हुआ है। कानून बनने के बाद स्पष्ट होगा कि फीस नियंत्रण कानून निजी स्कूलों की मनमानी रोक पाता है या उन्हें संरक्षण देगा।
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