निजी विद्यालय वाहनों में पहली वार कसी गई नकेल, पुलिस द्वारा सात स्कूली वाहनो के विरूद्व की गई कार्यवाही
सीधी: जिला मुख्यालय सहित ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित निजी विद्यालय की मनमानी चरम पर पहुॅचती जा रहीं है विद्यालयों तक छात्र छात्राओं के आने जाने के लिये लगी बसों में यह साफ तौर पर झलकता है कि विद्यालय संचालक छात्रों की सुविधा के लिये नहीं बल्कि मोटी कमाई के लिये बसों का संचालन कर रहे हैं, छमता से अधिक छात्रों को बैठाने के अलावा पुराने कन्डम वाहनों को सडकों पर दौडाने का शौक सा हो गया ह ैइस पर अकुश लगाने के लिये पुलिस विभाग द्वारा बुधवार को सुबह के समय कई स्कूली वाहनों की जॉच की गई एवं लापरवाहों को सुधार लाने के लिये निर्देशित भी किया गया है।
उल्लेखनीय है कि अभी तक जिले में पुलिस द्वारा अवैध करोबार पर नकेल कसने के लिये अभियान शुरू किया गया था जिसमें जिला मुख्यालय सहित ग्रामीण क्षेत्रों के चौकियों के अन्तर्गत आने वाले ग्रामों में अवैध कारोबार में लिप्त रहने वाले माफियाओं पर ताबडतोड़ कार्यवाही की गई किन्तु अब जो कार्य शुरू किया गया है वह निश्चित ही काफी वेहतर है, निजी स्कूल संचालकों की मनमानी पर अभी तक कोई भी अधिकारी कर्मचारी या विभाग नकेल कसने के लिये आगे नहीं आ रहा था किन्तु अब स्कूल में अध्यनरत मासूम बच्चों की सुरक्षा का जिम्मा पुलिस ने उठाया है। हालाकि रीवा रेन्ज के आई जी अशुंमान यादव द्वारा पहले ही निर्देष जारी किये गये थें जिसका पालन सब से पहले जिले में कोतवाली पुलिस द्वारा की गई है, बुधवार के दिन शहर के मुख्य मार्ग पूजा पार्क के सामने दर्जनों स्कूली बसों, मैजिक, आटो सहित अन्य वाहनों को रोक कर बच्चों के बैठने की स्थिति देखी गई एवं सभी वाहनों के फिटनेश बीमा व रजिस्ट्रेशन को भी खगांला गया जहॉ लापरवाही उजागर हुई है। लापरवाहों पर कुछ कार्यवाही भी की गई है।
बस के भीतर जाकर की बच्चों से बात
नगर निरीक्षक कोतवाली अनिल उपाध्याय ने न सिर्फ स्कूली बसों के दस्तावेजों की जॉच की बल्की वो स्वयं स्टाप के साथ बस के भीतर जाकर बच्चों के बैठने के तरीके को देखा और बच्चों से खुलकर बात भी किये। आज पहली बार जब पुलिस के अधिकारी व बल बसों के भीतर जाकर बच्चों से बातचीत किये साथ ही बच्चों को चाकलेट भी वितरित किया गया तो माहौल कुछ अलग सा दिखा बच्चे भी काफी प्रशन्न दिखें वहीं बस चालक व परिचालक, मालिकों के होश उडते दिखे कारण यह कि अभी तक बगैर पडताल के ही बसें छमता से अधिक बच्चों को बिठाकर सरपट दौड़ती रहीं पर पहली वार अब नकेल की स्थिति दिखी है।
छोटे वाहनों में सर्वाधिक गड़बड़ी
स्कूली बच्चों को घर से स्कूलों तक ले जाने एवं वापस घर तक लाने के लिये दौडने वाले वाहनों में छोटे बाहन आटो व मैजिक में सर्वाधिक गडवडी दिखाई देती है, मैजिक एवं आटो में बच्चों को ठूस ठूस कर बैठाया जाता है, और उनके बैग को इधर उधर रस्यिों के सहारे बॉधा जाता है यह देखकर आश्चर्य होता है कि परिजन भी कितने वेपरवाह हैं जो कि बच्चों को ऐसे वाहनों में भेजते हैं, और हर माह खासा पैसा भी बतौर किराया देतें हैं, यही नहीं ये वाहन इतने खटारा दिखते हैं कि कहीं भी दुर्घटनाग्रस्त हो सकते हैं खासतौर पर चालकों की उम्र और अनुभव पर भी सीधे सवाल खड़े होते हैं। इसके अलावा लापरवाही की हद तब पार हो जाती है जब ये बस चालक परिचालक बच्चेंा को सड़क के किनारे उतार कर चले जाते हैं और सड़क पार करते हुए बच्च्ेा डरे सहमें दिखते हैं कई बार दर्दनाक घटनायें भी देखने को मिलती रहती है।
जी०पी०एस० सिस्टम की दरकार
स्कूली बसों एवं अन्य वाहनों में जीपीएस सिस्टम नहीं लग सके है जबकि आई जी रीवा का शक्त निर्देष रहा है कि होने वाली घटनाओं अकुश लगाने के लिये सभी विद्यालय संचालक वाहनों में जीपीएस सिस्टम लगायें इसके लिये जिले में अभी तक सार्थक प्रयास शुरू नहीं हुयें हैं। अब पुलिस के प्रयास से यदि बसों में सिस्टम लग जाये तो यह बडी बात है इससे निश्चित तौर पर बच्चों की सुरक्षा बढेगी और घटना कारित करने वाले आरोपी भी पकड़ मे रहेगें।
इनका कहना है -
जिला पुलिस अधीक्षक के निर्देष पर स्कूली बसों एवं अन्य स्कूली वाहनों की जॉच की गई। लापरवाही पर सात वाहनों विरूद्व चालानी कार्यवाही की गई है, वाहनों में स्पीड गर्वनर, जीपीएस सिस्टम लगा होना अनिवार्य है सोमवार को स्कूल संचालकों की बैठक बुलाकर अन्य आवश्यक निर्देष दिये जायेंगें।
अनिल उपाध्याय
नगर निरीक्षक कोतवाली सीधी
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