मानव श्रृंखला

552 By 7newsindia.in Sun, Jan 21st 2018 / 10:22:25 लेख- कविता     

गाँव शहर से नगर डगर तक

बहने लगी मस्त वयार है ,

मानव श्रृंखला की वजह से

अब लटकने लगी तलवार है ।

 

परिवर्तन की आँधी चलने दो

विद्रूप मानसिकता बदलने दो ,

इस बिहार के जर्रे - जर्रे से

कोढ़ दहेज का मिटने दो ।

 

स्रष्टा का वरदान है बेटी

हम सबका अभिमान है बेटी ,

द्रष्टा बन आँखें खोलो तो

उनके सपने को पलने दो ।

 

यह पुनीत यज्ञ है राज्य का

आहुति लालच की पड़ने दो ,

जर्रे -जर्रे से उठ रही आवाज है

बेटियों को आगे बढ़ने दो ।

 

लक्ष्मी दुर्गा की छाया है बेटी

सरस्वती की वाणी बनने दो ,

कभी कदम न उनका रोको

हर साँचे में ढ़लने दो ।

 

एक बेटी जब जलती है

हविष्य दहेज का बनती है ,

माँ - बाप की आँखों से तब

वह आँसू बनकर बहती है ।

 

बहू - बेटी में फर्क न करना

जीवन उनका वरदान समझना ,

धन - दौलत यहीं रह जायेगा

क्या साथ जगत से जायेगा ?

 

उनके पंखों को काटो मत 

उन्मुक्त गगन में उड़ने दो ,

कारवां जब बनता जाता है

माथे पर किरीट तब भाता है ।

 

               डा. रेखा सिन्हा

            राजगीर , नालंदा 

 

Similar Post You May Like

  • सिसकता है हिंदुस्तान

    सिसकता है हिंदुस्तान

    आपस में जब लड़ते यहां हिन्दू,सिख,इसाई और मुसलमान सिसकता है हिंदुस्तान।   दुश्मनों ने बार-बार हमपे वार किया और हमने सदा उनसे प्यार किया लेकिन जब घाटी होती है लहू-लुहान सिसकत&

  •   मेरा देश

    मेरा देश

       मेरा देश यह लोकतंत्र की जन्मभूमि है देवों से वंदित यह कर्मभूमि है , करूणा का जल बरसाती है सहिष्णुता जग में सरसाती है । तप - तपकर है यह स्वर्ण बनी आहत विश्व को सदा हँसाया , जब 

  • बात संजय सिंह की....

    बात संजय सिंह की....

    - नवल किशोर कुमारउन दिनों आज अखबार की तरफ से मुझे लोजपा की रिपोटिंग करने की जिम्मेवारी मिली ही थी। तब बहुत सारे चेहरे मैं जानता भी नहीं था। संजय सिंह तब लोजपा में थे और कमोबे

  • एक बहू की जिल्लत भरी जिंदगी की कहानी

    एक बहू की जिल्लत भरी जिंदगी की कहानी

    - सौरभ कुमार -  प्रिया अभी रसोई से अभी खाना लेकर खाने को बैठी ही थी , तभी उसकी सास ने उसे आवाज़ दी। घर वालों को खाना खिलाने में उसे तीन बज गए थे। प्रिया ने सुबह एक कप चाय पी थी और अब ती

  • वापस लौट आओ तुम ......

    वापस लौट आओ तुम ......

    मैं प्रिया खुश थी अपनी छोटी - सी दुनिया में, अपने पति, अपने घर- परिवार व अपने बच्चों के साथ। फिर न जाने क्यों, कब, कैसे राज अचानक मेरे अस्तित्व पर छाता गया और मैं उस के प्रेमजाल मे

ताज़ा खबर