मेरा देश
मेरा देश
यह लोकतंत्र की जन्मभूमि है
देवों से वंदित यह कर्मभूमि है ,
करूणा का जल बरसाती है
सहिष्णुता जग में सरसाती है ।
तप - तपकर है यह स्वर्ण बनी
आहत विश्व को सदा हँसाया ,
जब कोई शरणागत है आया
अपने दामन में उसे बसाया ।
ऋषियों से वंदित रही सदा यह
शूरों से सेवित यह रही सदा ,
यह अन्नपूर्णा कितनी बेमिसाल है
क्षमा दुष्टों को भी किया सदा ।
हर धर्म यहाँ पुष्पित -पल्लवित
हर भाषा यहाँ प्रफुल्लित है ,
कण - कण में इसके झांको तो
दिव्यता बिखराती - सी रश्मि है ।
रत्नाकर जिसके चरणों में सदा
है अपने को शीश झुकाता ,
इसके मस्तक की शोभा बन
हिमवान है किरीट - सा भाता ।
पर आज विश्व में चारो ओर
फैल रहा कैसा यह अंधेरा है ,
अभिव्यक्ति पर लग रही बंदिशें
लग रहा साँसों पर भी पहरा है ।
लोकतंत्र के इस पावन पर्व में
इसकी महिमा का गान करें ,
संपूर्ण विश्व में हम सभी इसके
संदेशों का मिल प्रसार करें ।
डा.रेखा सिन्हा
राजगीर , नालन्दा (बिहार )
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