मेरा देश

953 By 7newsindia.in Fri, Jan 26th 2018 / 16:00:20 लेख- कविता     

   मेरा देश


यह लोकतंत्र की जन्मभूमि है

देवों से वंदित यह कर्मभूमि है ,

करूणा का जल बरसाती है

सहिष्णुता जग में सरसाती है ।


तप - तपकर है यह स्वर्ण बनी

आहत विश्व को सदा हँसाया ,

जब कोई शरणागत है आया

अपने दामन में उसे बसाया ।


ऋषियों से वंदित रही सदा यह

शूरों से सेवित यह रही सदा ,

यह अन्नपूर्णा कितनी बेमिसाल है

क्षमा दुष्टों को भी किया सदा ।


हर धर्म यहाँ पुष्पित -पल्लवित

हर भाषा यहाँ प्रफुल्लित है ,

कण - कण में इसके झांको तो

दिव्यता बिखराती - सी रश्मि है ।


रत्नाकर जिसके चरणों में सदा

है अपने  को शीश झुकाता ,

इसके मस्तक की शोभा बन

हिमवान है किरीट - सा भाता ।


पर आज विश्व में चारो ओर

फैल रहा कैसा यह अंधेरा है ,

अभिव्यक्ति पर लग रही बंदिशें

लग रहा साँसों पर भी पहरा है ।


लोकतंत्र के इस पावन पर्व में

इसकी महिमा का गान करें ,

संपूर्ण विश्व में हम सभी इसके

संदेशों का मिल प्रसार करें ।

             

                 डा.रेखा सिन्हा

             राजगीर , नालन्दा (बिहार ) 

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