Live murder : गोली मारने वाले को छोड़ा, अफसरों पर मुकदमा चलाने का निर्देश

507 By 7newsindia.in Thu, Feb 22nd 2018 / 13:53:21 कानून-अपराध     

रीवा में तृतीय अपर सत्र न्यायालय ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला, हत्या होने की प्रमुख वजह निगम अधिकारियों और तत्कालीन सीएसपी को माना
रीवा. शहर के ढेकहा मोहल्ले के चर्चित राजललन सिंह हत्याकांड में अदालत ने फैसला सुना दिया। मामले में हत्या के आरोपियों को कोर्ट ने दोषमुक्त करते हुए हत्या जैसी वारदात होने की प्रमुख वजह नगर निगम के अधिकारियों और तत्कालीन सीएसपी को माना है। अदालत ने निगम के तत्कालीन प्रभारी आयुक्त शैलेन्द्र शुक्ला, सहायक यंत्री आनंद सिंह, तत्कालीन सीएसपी आशुतोष पाण्डेय के साथ ही मृतक के पक्ष से बुलाए गए भाड़े के गुंडों पर भी केस चलाने का निर्देश दिया है।

रिटायर्ड फौजी ने भाई को मारी थी गोली

यह मामला 26 जुलाई 2014 का है। शहर के ढेकहा मोहल्ले में रिटायर्ड फौजी राजभान सिंह और उनके भाई राजललन सिंह के बीच भवन के स्वामित्व को लेकर विवाद चल रहा था। इसी बीच मामला नगर निगम अधिकारियों के पास पहुंचा। जिन्होंने साजिश के तहत भवन को जर्जर घोषित कर उसे गिराने का आदेश जारी कर दिया। 26 जुलाई 2014 को दोपहर 12 बजे नगर निगम की टीम पहुंची और पूर्व से जर्जर घोषित किए गए भवन को ढहा दिया।

पुलिस ने भी एक पक्ष के लिए किया काम 

पुलिस अधिकारियों की भूमिका पर भी अदालत ने सवाल उठाया है। जब निगम के अधिकारी भवन गिराने गए थे उस दौरान राजभान को पुलिस के अधिकारियों ने जांच का बहाना बनाकर थाने में बैठा लिया था। भवन गिरने के बाद छोड़ा तो वह पहुंचे और निगम की कार्रवाई का विरोध किया। इस बीच सतना से बुलाए गए भाड़े के गुंडे सुनील यादव, रामप्रकाश, अज्जू सोनी, सतेन्द्र सिंह, धीरू सिंह आदि ने मारपीट भी की। इससे आक्रोश में आए राजभान सिंह ने लाइसेंसी बंदूक से फायर कर दिया जिसमें उनके भाई राजललन की मौके पर मौत हो गई और पुत्र नीरज गंभीर रूप से घायल हो गया।

पिता-पुत्र पर दर्ज हुआ था हत्या का मामला

इस घटना के बाद पुलिस ने राजभान और उनके पुत्र रणवीर सिंह पर हत्या का प्रकरण दर्ज कर गिरफ्तार किया था। अदालत में आरोपियों की ओर से अधिवक्ता अखंड प्रताप सिंह, देशराज सिंह, विक्रम सिंह, रमेश पटेल एवं कृष्णम शुक्ला ने पक्ष रखा। जिसमें तर्क दिया गया कि नगर निगम प्रशासन की एक पक्ष को लाभ पहुंचाने वाली कार्रवाई की वजह से यह घटना हुई है। वहीं अतिरिक्त लोक अभियोजक नीलग्रीव पाण्डेय का कहना है कि इस फैसले के विरुद्ध वह सक्षम न्यायालय में अपील करेंगे।

नगर निगम प्रशासन भवन की राशि का करेगा भुगतान

तृतीय अपर सत्र न्यायालय ने हत्याकांड पर फैसला सुनाते हुए कहा है कि साजिश के तहत नगर निगम के अधिकारियों ने भवन को जर्जर घोषित कर उसे गिरा दिया है। इस कारण नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव को निर्णय की प्रति भेजी जाएगी, ताकि वह विभागीय जांच कराए जाने के बाद क्षतिपूर्ति का आकलन कराएं। भवन की कीमत दोषी अधिकारियों से वसूलने के लिए कहा गया है।

इन पर केस चलाने का निर्देश

न्यायालय ने कहा है कि नगर निगम के तत्कालीन प्रभारी आयुक्त शैलेन्द्र शुक्ला, सहायक यंत्री आनंद सिंह, तत्कालीन सीएसपी आशुतोष पाण्डेय के साथ ही नीरज सिंह, सुनील यादव, रामप्रकाश यादव, सतेन्द्र सिंह के विरुद्ध भादवि की धारा 120बी, 109, 452, 429, 325 तथा 119 के तहत प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना के लिए पुलिस महानिरीक्षक को प्रति भेजी जाए।

निगम अधिकारी पर अदालत ने लिया था संज्ञान

पुलिस ने हत्याकांड की विवेचना में नगर निगम के अधिकारियों की भूमिका पर परीक्षण नहीं किया था। जिस पर सुनवाई के दौरान ही सहायक यंत्री आनंद सिंह की भूमिका संदिग्ध मानते हुए कोर्ट ने 120 बी का आरोपी बनाते हुए जेल भेज दिया था। जिस पर हाईकोर्ट से राहत मिली थी।

लाइव मर्डर का वीडियो हुआ था वायरल

शहर के ढेकहा मोहल्ले में जिस दौरान राजललन की गोली मारकर रिटायर्ड फौजी ने हत्या की थी, उस दौरान मीडियाकर्मी भी मौके पर मौजूद रहे। इस हत्याकांड की सीधी तस्वीरें कैमरे पर कैद की गई थी। वीडियो टीवी चैनलों और सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।

अदालत ने यह भी कमेंट किया-

1- हमला करने की पूर्व से तैयारी थी, इसी कारण बाहर से लोगों को बुलाया गया था। घर के भीतर घुसकर सामग्री फेंकने और धमकाने पर धारा 452, 429 का आरोप पाया जाता है।

2- मारपीट की तैयारी से आए लोगों ने राजभान सिंह के साथ मारपीट कर हड्डियां तोड़ दी, जिससे धारा 325 का प्रकरण चलेगा।

3-लोक सेवक रहते सहायक यंत्री आनंद सिंह और प्रभारी आयुक्त शैलेन्द्र शुक्ला ने विधि विरुद्ध कार्य कराया। घटना की वास्तविकता मालूम थी तब भी सीएसपी आशुतोष पाण्डेय ने बल उपलब्ध कराया। 

4- घटना में आरोपी बनाए गए राजभान सिंह और उनके पुुत्र रणवीर सिंह ने शरीर और संपत्ति की रक्षा के लिए वारदात किया। इस कारण धारा 100 एवं 103 के तहत आपराधिक कृत्य से मुक्त पाए जाते हैं।

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