डसॉल्ट ने रक्षा मंत्री का झूठ उजागर किया, राफेल डील में हर प्लेन पर 1100Cr ज्यादा दिए: राहुल गांधी

653 By 7newsindia.in Sat, Mar 17th 2018 / 13:28:41 राजनीति     

नई दिल्ली. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर राफेल डील को लेकर सरकार पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस अध्यक्ष ने शुक्रवार को ट्वीट किया, "डसॉल्ट ने रक्षा मंत्री (निर्मला सीतारमण) का झूठ उजागर किया है। उसने एक रिपोर्ट में राफेल प्लेन के प्राइस के बारे में बताया है।' राहुल ने प्राइस टैली ट्वीट करते हुए बताया कि मोदी सरकार में हर प्लेन पर करीब 1100 करोड़ रुपए ज्यादा दिए गए। उन्होंने कहा कि डील के जरिए 36 हजार करोड़ जेब में डाल लिए गए। बता दें कि डसॉल्ट राफेल प्लेन बनाने वाली फ्रांसीसी कंपनी है। राहुल गांधी ने इसी कंपनी की 2016 की रिपोर्ट का हवाला दिया है। 

 


क्या लिखा राहुल गांधी ने ट्वीट में?
- राहुल गांधी ने ट्वीट में लिखा, "राफेल ने अपनी सालाना रिपोर्ट में राफेल प्लेन के दाम बताकर रक्षा मंत्री का झूठ बताया है।'
- राहुल ने राफेल के दाम भी ट्वीट किए। इनमें कतर के साथ डील में राफेल प्लेन का दाम 1319 करोड़ रुपए बताया गया है। मोदी सरकार से राफेल डील में प्लेन का दाम 1670 करोड़ रुपए बताया है। जबकि, मनमोहन सरकार में राहुल ने प्लेन का दाम 570 करोड़ रुपए तय होना बताया है।

रक्षा मंत्री पर क्या आरोप लगाए?

- राहुल ने अपने ट्वीट में रक्षा मंत्री को RM कहकर संबोधित किया है। उन्होंने मनमोहन सरकार के समय राफेल प्लेन के दामों की तुलना मोदी सरकार में की गई डील से करते हुए लिखा। हर प्लेन पर 1100 करोड़ रुपए यानी 36,000 करोड़ रुपए ज्यादा दिए गए, जो कि रक्षा बजट का 10% है। और, इसे जेब में डाल लिया गया। ऐसा तब है जब हमारी आर्मी सरकार से पैसे मांग रही है।

राफेल डील पर सरकार ने क्या कहा?
- राहुल गांधी और उनकी पार्टी के लीडर्स ने राफेल डील की शर्तें और दाम जाहिर करने की मांग की है। राहुल लगातार मोदी सरकार से इस डील पर सवाल पूछ रहे हैं और चुप रहने का आरोप लगा रहे हैं।
रक्षा मंत्री:निर्मला सीतारमण ने कहा था, "एयरफोर्स की अर्जेंट रिक्वायरमेंट को देखते हुए इस डील पर मुहर लगाना जरूरी था। सितंबर 2016 में इस डील के फाइनल एग्रीमेंट साइन किए गए। इससे पहले 5 राउंड की लंबी बातचीत भी फ्रांस के साथ हुई थी। इसके लिए कैबिनेट की सिक्युरिटी कमेटी का अप्रूवल भी लिया गया। इस डील पर आरोप लगाना भारतीय सेनाओं का अपमान है।"

वित्त मंत्री:अरुण जेटली ने बजट 2018-19 पर डिबेट के दौरान कहा था, "कांग्रेस इसे (राफेल डील की डिटेल) को जनता के बीच मुद्दा बनाकर गंभीर रूप से देश की सुरक्षा के साथ समझौता कर रही है। कांग्रेस प्रेसिडेंट प्रणब मुखर्जी के पास जाकर राष्ट्रीय सुरक्षा का पाठ सीखें।'


क्या है राफेल डील, क्या तैयारियां की गईं?
राफेल डील: 23 सितंबर, 2016 को फ्रांस के रक्षामंत्री ज्यां ईव द्रियां और भारत के रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने नई दिल्ली में राफेल सौदे पर साइन किए थे। भारत सरकार ने 59,000 करोड़ की फ्रांस से डील की थी। डील के तहत 36 राफेल फाइटर जेट विमान मिलने हैं। पहला विमान सितंबर 2019 तक मिलने की उम्मीद है और बाकी के विमान बीच-बीच में 2022 तक मिलने की उम्मीद है।

तैयारियां:राफेल के दो स्क्वॉड्रन के लिए वेस्ट में अंबाला और ईस्ट में प. बंगाल के हासीमारा एयरबेस को चुना गया है। इंडियन एयरफोर्स ने राफेल के लिए अपने फ्रंटलाइन एयरबेसेस के इन्फ्रास्ट्रक्चर में बड़े बदलाव की शुरुआत कर दी है। अंबाला और हासीमारा एयरबेस को राफेल जेट्स की पहली स्क्वॉड्रन के डिप्लॉयमेंट के हिसाब से अपग्रेड किया जाएगा। 78 साल पुराने अंबाला एयरबेस के अपग्रेडेशन के लिए सरकार ने पहले ही 220 करोड़ रुपए मंजूर कर दिए हैं। एयरबेस पर 14 शेल्टर बनाए जाएंगे, इसके अलावा हैंगर्स और मेटेंनेंस सुविधाएं भी मुहैया कराई जाएंगी। राफेल स्क्वॉड्रन को गोल्डन ऐरो कहा जाएगा।

राफेल की खासियत क्या है, IAF को जरूरत कितनी, कितने मिलेंगे?
खासियत:राफेल विमान फ्रांस की डेसाल्ट कंपनी द्वारा बनाया गया 2 इंजन वाला लड़ाकू विमान है। ये एक मिनट में 60,000 फीट की ऊंचाई तक पहुंच सकता है। इसकी रेंज 3700 किलोमीटर है। साथ ही यह 2200 से 2500 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है। सबसे खास बात ये है कि इसमें मॉडर्न ‘मिटिअर’ मिसाइल और इजरायली सिस्टम भी है।

जरूरत कितनी, कितने मिलेंगे: इंडियन एयरफोर्स के पास अभी 34 स्क्वॉड्रन हैं जबकि जरूरत 45 स्क्वॉड्रन की है। डील के तहत 36 राफेल फाइटर जेट विमान मिलने हैं। पहला विमान सितंबर 2019 तक मिलने की उम्मीद है और बाकी के विमान बीच-बीच में 2022 तक मिलने की उम्मीद है।

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