अप्रैल से हो रही है विपक्ष को तोड़ने की कोशिश, कहीं लालच तो कहीं डर ने किया काम
लखनऊ. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह जैसे ही शनिवार को लखनऊ पहुंचे वैसे ही विपक्ष का टूटना शुरू हो गया। हालांकि इसकी पटकथा कुछ महीने पहले लिख दी गयी थी। दरअसल, सरकार बनने के बाद बीजेपी को अपने 5 लोगों को किसी न किसी सदन का सदस्य बनाना था। तभी से बीजेपी कोई रास्ता तलाश रही थी। ऐसे में सपा एमएलसी यशवंत सिंह को सबसे पहले चुना गया।
यशवंत के करीबियों की माने तो बीते 17 अप्रैल को पूर्व पीएम चंद्रशेखर की जयंती के मौके पर एक पुस्तक विमोचन का कार्यक्रम रखा गया था, जिसके आयोजक सपा एमएलसी यशवंत सिंह थे। हालांकि यशवंत ने विधानसभा के सेन्ट्रल हॉल में आयोजित इस प्रोग्राम में अपने नेता अखिलेश यादव को न बुलाकर सीएम योगी आदित्यनाथ को मुख्य अतिथि बनाया था। इस कार्यक्रम का न्योता देने के लिए यशवंत पहले ही सीएम से मिल चुके थे।
ख़ास बातें....
- अभी 3 इस्तीफे ही क्यों?
- बीजेपी सूत्रों की माने तो अभी सरकार को 5 लोगों को सदन में लेकर आना है। इन 5 लोगों में सीएम योगी और डिप्टी सीएम केशव मौर्या ही हैं जो चुनाव लड़कर भी सदन में आ सकते हैं। इसमें भी योगी का चुनाव जीतना तय माना जा रहा है। ऐसे में चुनाव को लेकर केशव पर संशय है। जबकि सूत्र कह रहे हैं कि अगर केशव दिल्ली शिफ्ट होते हैं तो उन्हें चुनाव लड़ने की जरूरत नहीं है और ऐसे में फिर सभी सदस्य अपने अपने खांचे में फिट हो जाएंगे। सूत्रों की माने तो तभी से यशवंत योगी आदित्यनाथ से प्रभावित हो गए थे, लेकिन उन्हें राष्ट्रपति चुनाव तक रोक दिया गया था। अब जब राष्ट्रपति चुनाव ख़त्म हुए तो यशवंत सिंह खुलकर सामने आ गए। इस बीच यशवंत ने दिल्ली में पुस्तक भेंट करने के बहाने कई बड़े नेताओं से मुलाकात भी की। सूत्रों ने बताया कि यशवंत सिंह का कार्यकाल भी अभी लंबा बचा हुआ था। यशवंत का कार्यकाल 6 जुलाई 2022 में ख़त्म हो रहा है। ऐसे में इन्हें बीजेपी की तरफ से बोला गया है कि अभी आप सीट खाली करो हम आपको 2018 में फिर से एमएलसी बनाएंगे। सूत्रों की माने तो देर सबेर यशवंत को बड़ा फायदा सरकार से मिलेगा।
ठाकुर जयवीर सिंह को मनाया स्वामी प्रसाद मौर्य ने
सूत्र बताते हैं कि बसपा एमएलसी ठाकुर जयवीर सिंह को मनाने का जिम्मा स्वामी प्रसाद मौर्या को सौंपा गया था। दरअसल, नसीमुद्दीन सिद्दीकी के बसपा से बाहर होने पर कई कद्दावर नेता अपने लिए यह ठिकाना अब मुनासिब नहीं समझ रहे हैं। यही वजह है कि स्वामी के कहने पर ठाकुर जयवीर सिंह भी अपना इस्तीफा दे दिए। ठाकुर जयवीर सिंह का कार्यकाल 5 मई 2018 तक है। इन्हें 2018 में फिर से विधानपरिषद भेजने का वादा किया गया है। हालांकि सूत्र यह भी बताते हैं कि कई जांच ठाकुर जयवीर सिंह की दबी हुई है। चूंकि बसपा कार्यकाल में यह मायावती के काफी करीबी थे। उन जांचो का भी डर दिखाया गया है।
रिवर फ्रंट की सीबीआई जांच से डरे बुक्कल
सपा सूत्रों की माने तो बुक्कल नवाब बीजेपी के लिए बहुत ही सॉफ्ट टारगेट बन गए थे। दरअसल, इनका नाम रिवर फ्रंट में अधिग्रहित की गई जमीनों में घोटाले में आया है। अब सरकार मामले की सीबीआई जांच करवा रही है। कुछ दिन पहले तक सुप्रीमकोर्ट जाने की बात कहने वाले बुक्कल अब योगी सरकार के साथ आकर खड़े हो गए हैं।
एक्सपर्ट ने बताया- अभी और होंगे इस्तीफे
सीनियर जर्नलिस्ट रतन मणि लाल ने बताया कि अभी और भी इस्तीफे होने हैं, क्योंकि सपा और बसपा दोनों ऐसी पार्टियां हैं जहां पर असंतुष्ट लोग काफी ज्यादा है। यह असंतुष्टि किसी हार की वजह से नहीं बल्कि पार्टी में दो फाड़ की वजह है। उन्होंने बताया कि बसपा से टूट के ज्यादा चांसेज हैं। क्योंकि अगर भविष्य में सपा-बसपा-कांग्रेस का गठबंधन होता है तो बसपा में नंबर 2 और नंबर 3 की लाइन के नेता और नीचे चले जाएंगे। ऐसे में नेता सोच रहे हैं कि इससे बेहतर है कि हम अपना अलग रास्ता पकड़ ले। उन्होंने कहा बसपा के जो एक्टिव पॉलिटिशियन हैं वह अब लम्बे समय तक बसपा के साथ नहीं रहना चाहेंगे।
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