3 फैसलों पर अमल में देरी से पुनर्वास- विस्थापन में लग गए 11 साल
सरदार सरोवर डेम के डूब क्षेत्र में आने वाले मध्य प्रदेश के गांवों को खाली कराने के लिए पुनर्वास और विस्थापन करने में 11 साल लग गए। डेम की ऊंचाई 121.03 से बढ़ाकर 138.68 मीटर करने का काम तय समय सीमा में हो जाता तो गुजराज के अलावा मध्य प्रदेश को भी इसका फायदा मिलता। इससे पैदा होने वाली बिजली का 57 प्रतिशत हिस्सा मध्य प्रदेश को मिलना शुरु हो जाता। यानी मध्य प्रदेश को हर साल 228 करोड़ की 1300 मिलियन यूनिट अतिरिक्त बिजली मिलती। इसी तरह मध्य प्रदेश के डूब क्षेत्र में करीब 500 टन मछली का उत्पादन होने लगता। इसके साथ ही किसानों को सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता भी होती।
प्रभावित परिवारों को बांटी राशि
526 करोड़ रुपए भूअर्जन मुआवजा
188 करोड़ विशेष पुनर्वास अनुदान
900 करोड़ रुपए विशेष पैकेज
406 करोड़ 781 परिवारों को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर
80 करोड़ 943 परिवार, जो फर्जी रजिस्ट्री मामले में आरोपी हैंसरदार सरोवर बांध | वर्ष 2006 में राज्य सरकार ने केंद्र को भेजी थी पुनर्वास की एक्शन टेकन रिपोर्ट..
डेम की ऊंचाई तय समय सीमा में बढ़ती तो गुजरात के साथ मप्र को भी फायदा मिलताविस्थापित को मुआवजा एक मुश्त ना देकर किश्तों में भुगतान
सरदार सरोवर डेम के कैचमेंट एरिया में आने वाले 198 गांवों के 23 हजार से अधिक परिवारों को वर्ष 2006 में मुआवजा देने का निर्णय लिया गया था। जिसमें तय किया गया कि प्रभावित परिवारों को राशि एक मुश्त ना देकर किश्तों में दी जाए। क्योंकि एक मुश्त राशि दे दी गई तो प्रभावित पैसा खर्च कर देंगे। बाद में उन्हें विस्थापित करने में मुश्किल आएगी। ऐसे में तय किया गया कि आधी राशि तो प्रभावितों को तत्काल दे दी गई, लेकिन शेष राशि के भुगतान के लिए शर्त रखी गई कि वे किसी अन्य जगह जमीन खरीदने के प्रमाण दें। यही वजह है कि कई प्रभावितों ने जमीन की फर्जी रजिस्ट्री दिखा कर सरकार से शेष राशि ले ली। जब यह घोटाला सामने आया तो मामला हाईकोर्ट चला गया। हाईकोर्ट ने इसकी जांच के लिए आयोग बनाने के निर्देश सरकार को दिए।
झा आयोग को पुनर्वास स्थल खराब हैं, बताने में लग गए सात साल
वर्ष 2008 में बने झा आयोग को मात्र 943 फर्जी रजिस्ट्रियों की जांच करने के साथ-साथ पुनर्वास को लेकर एक रिपोर्ट भी अपने एक साल में तैयार करनी थी, लेकिन इसमें आठ साल लगा दिए। दिसंबर 2015 में आयोग ने कोर्ट में रिपोर्ट सौंपी। जिसमें कहा कि पुनर्वास स्थलों की स्थिति खराब है। इसके बाद राज्य सरकार ने जनवरी 2016 में पुनर्वास स्थलों का उन्नयन करने के आदेश जारी किए। लेकिन डेढ़ साल बाद भी यह काम पूरा नहीं हो पाया। इसकी वजह यह है कि अधिकांश प्रभावितों ने गांव खाली कर दिए थे। इसलिए पुनर्वास पर ज्यादा जोर नहीं दिया। जब सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2017 में इसके लिए 31 जुलाई की डेड लाइन तय कर दी, इसके बाद प्रक्रिया शुरु की गई।
यूपीए सरकार ने दबा रखी थी एक्शन टेकन रिपोर्ट
गुजरात के सरदार सरोवर डेम के कैचमेंट में आने वाले मध्य प्रदेश का जो हिस्सा डूब क्षेत्र घोषित किया गया है, वहां रहने वाले लोगों के पुनर्वास की एक्शन टेकन रिपोर्ट यूपीएस सरकार ने दो साल तक दबा कर रखी थी। वर्ष 2013 तक इसके मिनिट्स तक जारी नहीं हुए। जब मोदी सरकार सत्ता में आई तब नर्मदा कंट्रोल अथॉरिटी (एनसीए) ने पुनर्वास उप समिति को स्थल निरीक्षण कर रिपोर्ट शिकायत निवारण प्राधिकरण को देने को कहा। इस बीच केंद्र सरकार ने सरदार सरोवर डेम की ऊंचाई 121.03 से बढ़ाकर 138.68 मीटर करने के साथ डेम में गेट लगाने का निर्णय लिया। यह काम इसी साल फरवरी माह में पूरा हो चुका है।
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