राज्यसभा चुनाव: अहमद पटेल जीते, अमित शाह-स्मृति ईरानी भी जीतीं

538 By 7newsindia.in Wed, Aug 9th 2017 / 05:40:17 राजनीति     

गुजरात की तीन राज्यसभा सीटों पर मंगलवार को चुनाव हुए। वोटिंग विवाद पर करीब 8 घंटे तक काउंटिंग रुकी रही। देर रात इलेक्शन कमीशन ने कांग्रेस की मांग पर कांग्रेस के दो एमएलए के वोट रद्द कर दिए, जिसके बाद फिर काउंटिंग शुरू हुई। कांग्रेस के अहमद पटेल अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे। बीजेपी प्रेसिडेंट अमित शाह और स्मृति ईरानी भी राज्यसभा के लिए चुनी गईं। पटेल ने बीजेपी कैंडिडेट बलवंत सिंह को मात दी। पटेल को 44 तो बलवंत सिंह राजपूत को 38 वोट मिले। वहीं, शाह और ईरानी को 46-46 वोट मिले।

कैसे आसान हुई अहमद पटेल की जीत ?

मंगलवार को 176 विधायकों ने वोट डाले। इस हिसाब से अहमद पटेल को जीत के लिए 45 वोट चाहिए थे। रात को कांग्रेस की शिकायत के बाद इलेक्शन कमीशन ने कांग्रेस के दो विधायकों के वोट रद्द कर दिए। 

इसके बाद कुल विधायकों की संख्या घटकर 174 हो गई। अब जीत के लिए अहमद पटेल को 44 वोट की जरूरत थी, जो उन्हें मिल गए। नियमों के मुताबिक एक कैंडिडेट को जीत के लिए कुल वोट का एक चौथाई वोट जरूरी होता है।

पहले विधायकों का यह समीकरण था- गुजरात असेंबली में कुल 182 सीटें हैं। 6 विधायकों ने कांग्रेस छोड़ी है। सभी विधानसभा से भी इस्तीफा दे चुके हैं। इसके बाद असेंबली में 176 MLA बचे । बीजेपी के 121 विधायक हैं। वहीं, कांग्रेस के पास 51 विधायक हैं। इनमें से 6 विधायक बागी हो गए थे।

कांग्रेस के दो विधायकों के वोट रद्द क्यों हुए? 

कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि शंकर सिंह वाघेला गुट के दो विधायक राघवजी पटेल और भोलाभाई गोहिल ने अपना वोट डालते वक्त उन्हें बीजेपी एजेंट को दिखाया। इस पर कांग्रेस ने आपत्ति जताई और वोट कैंसल करने की मांग की। 

नियम क्या कहता है? 

द कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स 1961 का रूल 39 कहता है कि वोट देने वाले के लिए पोलिंग स्टेशन पर सीक्रेसी रखनी जरूरी है। अगर कोई इसका वॉयलेशन करता है तो प्रिसाइडिंग ऑफिसर या पोलिंग ऑफिसर उस वोटर से बैलेट पेपर वापस ले लेता है। चुनाव आयोग शिकायत और साक्ष्य होने पर रद्द भी कर सकता है। 

कितने घंटे रुकी रही वोटिंग? 

वोटिंग मंगलवार की सुबह 9 बजे शुरू हुई, लेकिन 2 बजे के करीब खत्म हो गई। काउंटिंग शाम 4 बजे से शुरू होनी थी, लेकिन कांग्रेस वोटिंग विवाद पर शाम 6:30 बजे इलेक्शन कमीशन पहुंच गई। इसके बाद काउंटिंग करीब 8 घंंटे तक रुकी रही। बाद में रात करीब 1:30 बजे फिर शुरू हुई। 

कितने विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की? 

कांग्रेस के 7 विधायकोंं ने क्रॉस वोटिंग की। इनमें एक विधायक वो भी था जिसे 44 विधायकों के साथ कुछ दिन के लिए बेंगलुरु शिफ्ट किया गया था। जिन दो विधायकों के वोट रद्द हुए हैं वे इन्हीं विधायकों में शामिल हैं। 

कांग्रेस के इन ने क्रॉस वोटिंग की। 1) राघवजी पटेल, 2) भोलाभाई गोहिल, 3) धमेंद्र सिंह जडेजा, 4) करम सिंह पटेल, 5) महेंद्र सिंह वाघेला, 6) सीके रावल, 7) अमित चौधरी। 

बीजेपी ने भी काउंटिंग नहीं होने दी? 

देर रात इलेक्शन कमीशन ने काउंटिंग शुरू करने के आदेश तो दिए लेकिन बीजेपी ने आपत्ति जताई। पार्टी का आरोप है कि कांग्रेस नेता शक्ति सिंह गोहिल ने वोटर्स पर दबाव डाला था। कांग्रेस नेता अर्जुन मोढवाडिया ने मंगलवार और बुधवार की दरमियानी रात 1.10 बजे कहा- बीजेपी काउंटिंग शुरू नहीं होने दे रही। 

दोनों पार्टी तीन-तीन बार इलेक्शन कमीशन के ऑफिस पहुंची

वोटिंग पर विवाद बढ़ने के बाद कांग्रेस और बीजेपी के नेता तीन-तीन बार इलेक्शन कमीशन के ऑफिस पहुंचे।कांग्रेस का मोर्चा पी चिदंबरम, रणदीप सुरजेवाला, राजीव शुक्ला, आरपीएन सिंह और अशोक गहलोत ने संभाला।  

बीजेपी के 6 मंत्रियों ने इलेक्शन कमीशन से मुलाकात की। इनमें अरुण जेटली, रविशंकर प्रसाद, एमए नकवी, निर्मला सीतारमण, पीयूष गोयल और धर्मेंद्र प्रधान शामिल थे। 

कांग्रेस दो विधायकों के वोट रद्द करने की मांग कर रही थी जबकि बीजेपी फौरन काउंटिंग शुरू करने की मांग पर अड़ी थी।

एनसीपी के एक विधायक ने बीजेपी और दूसरे ने कांग्रेस को वोट दिया

नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने प्रेस नोट जारी कर कहा कि राज्य में पार्टी के दो विधायक थे। इनमें से एक ने कांग्रेस को और दूसरे ने बीजेपी को वोट दिया है। इसमें बताया गया कि पार्टी ने व्हिप जारी कर कहा था कि अहमद पटेल को वोट दें। लेकिन एक विधायक ने इसे नहीं माना। 

बता दें कि एनसीपी के दो विधायक जयंत पटेल और कंधाल जाडेजा हैं। जेडीयू के एक विधायक ने पटेल को वोट दिया।

कांग्रेस को वोट देने का मतलब ही नहीं- वाघेला

वोटिंग के बाद वाघेला ने कहा था, " जब कांग्रेस जीतने वाली ही नहीं है तो बिना मतलब कांग्रेस को वोट देने का मतलब ही नहीं है। हमने अहमद पटेल को वोट नहीं दिया। बीजेपी के तीनों कैंडिडेट जीतेंगे, कांग्रेस के कैंडिडेट की संभावना नहीं है।अपनी पुरानी पार्टी (कांग्रेस) को बहुत समझाया था और 21 जुलाई को अपने जन्मदिन पर इसे मुक्त भी कर दिया था। मैंने अपना वोट अपने अजीज अहमद भाई को नहीं दिया। इसका मुझे अफसोस है, क्योंकि उनके समर्थन में 40 विधायक भी नहीं है। जो 44 लोग उनके साथ थे, उनमें भी 4-5 उन्हें वोट नहीं करने वाले। कांग्रेस को पटेल जैसे बड़े नेता की प्रतिष्ठा के साथ मजाक नहीं करना चाहिए था।"

कांग्रेस विधायक राघवजी पटेल ने कहा था, "मैंने बलवंत सिंह राजपूत को वोट किया। मैं राजनीति में तो रहना चाहूंगा लेकिन कांग्रेस में नहीं। गुजरात में 2 पार्टियां हैं- बीजेपी और कांग्रेस। अगर मैं कांग्रेस में नहीं हूं तो आप समझ सकते हैं कि किस पार्टी में हूं।"

कांग्रेस के धर्मेंद्र जाडेजा ने कहा था, "कांग्रेस ने एक साल से हमारी बात नहीं सुनी। हमने बलवंत सिंह को वोट किया है।"

इलेक्शन में हुआ नोटा का इस्तेमाल

इलेक्शन कमीशन के नोटिफिकेशन के मुताबिक, इस बार राज्यसभा इलेक्शन में बैलेट पेपर में NOTA ऑप्शन का इस्तेमाल हुआ। कांग्रेस इसे हटवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी, लेकिन कोर्ट ने नोटिफिकेशन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। कांग्रेस से 6 विधायकों के इस्तीफे के बाद पार्टी के पास 57 की जगह 51 विधायक बचे थे। फूट के बाद पार्टी को अपने 44 विधायकों को बेंगलुरु शिफ्ट करना पड़ा था।

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