सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा के चार करोड़ से अधिक के फंड ट्रांसर्फर आर्डर (एफटीओ) फेल

444 By 7newsindia.in Thu, Aug 31st 2017 / 15:47:12 प्रशासनिक     

रीवा. सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा के चार करोड़ से अधिक के फंड ट्रांसर्फर आर्डर (एफटीओ) फेल हो गए हैं। चालू वित्तीय वर्ष 2017-18 में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब बजट के अभाव में सामग्री से लेकर मजदूरी का भुगतान नहीं हो पा रहा है। मनरेगा के आंकड़े की माने तो पिछले चार माह से लेकर अब तक तीन करोड़ रुपए से ज्यादा सामग्री और 86 लाख रुपए मजदूरी का भुगतान नहीं हो पाया है।

  • सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा खजाने में बजट खत्म, पंचायतों में काम-काज ठप-पंचायत से लेकर जनपद कार्यालय तक मजदूरी के लिए बिलबिला रहे मजदूर

पिछले चार माह से भटक रहा

जिले के बड़ा गांव निवासी मजदूर सियाराम साकेत मजदूरी के लिए पिछले चार माह से सरपंच से लेकर अधिकारियों की चौखट पर भटक रहा है। बजट के अभाव में मनरेगा का काम भी गांव में बंद है। मजदूरी का भुगतान नहीं होने से सियाराम कर्ज लेकर बच्चों का पेट पालने को विवश है। ये कहानी अकेले बड़ा गांव की नहीं बल्कि जिले की अस्सी फीसदी पंचायतों के सैकड़ों मजदूरों का हाल है। दूसरी ओर सामग्री के भुगतान को लेकर सैकड़ों संविदाकार जनपद से लेकर पंचायतों का चक्कर काट रहे हैं। संविदाकार कुशल सिंह ने बताया कि बिल लगाया गया है, लेकिन लंबे समय से भुगतान नहीं हो रहा है।

बजट खर्च करने में अनुपात की अनदेखी

जिले के ज्यादातर जनपदों में मनरेगा के नियम-कायदे को दरकिनार कर राशि खर्च करने में अनुपात की अनदेखी की जा रही है। उदाहारण के तौर पर हनुमना जनपद में चालू वित्तीय वर्ष में अब तक 406 लाख रुपए मजदूरी और 603 लाख रुपए सामग्री पर व्यय किया गया है। मनरेगा में नियम है कि साठ प्रतिशत राशि मजदूरी और 40 प्रतिशत राशि सामग्री पर खर्च की जाएगी। इस तरह से त्योंथर, रीवा, जनपद में भी पैसे खर्च करने के अनुपात की अनदेखी की गई है।

पंजीयन कर अधिकारी भूल गए

पैसे खत्म होने के बाद जहां कामबंद हो गया है वहीं, जिले में 36000 से ज्यादा कार्य प्रभावित हो गए हैं। इतना ही नहीं करीब 24000 कायों का पंजीयन कर अधिकारी भूल गए। आधा वित्तीय वर्ष बीतने के बाद भी कार्यों को शुरू नहीं कराया गया।

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