MP : चार सौ से ज्यादा अध्यापक-शिक्षक सालों से लापता, फिर भी भरे मान रहा विभाग

706 By 7newsindia.in Fri, Sep 1st 2017 / 06:03:42 प्रशासनिक     

भोपाल। प्रदेश में चार सौ से ज्यादा अध्यापक व शिक्षक सालों से लापता हैं। उनके स्कूल नहीं आने की जानकारी भी स्थानीय अधिकारियों को है। इसके बावजूद इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। फिर भी स्कूल शिक्षा विभाग मौजूदा शिक्षकों को ही अतिशेष बता रहा है। इस मामले का खुलासा युक्तियुक्तकरण (समायोजन) प्रक्रिया के दौरान तब हुआ, जब अतिशेष बताकर हटाए जा रहे शिक्षकों ने गैरहाजिर रहने वालों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।

  • बात अफसरों तक पहुंची तो आनन-फानन में उन्हें अतिशेष की सूची से बाहर कर तबादले रोक दिए गए।
  • जिलों में 15 से 25 अध्यापक, शिक्षक गायब हैं
  • दो से छह महीने पहले ही गायब हुए अध्यापक और शिक्षकों का वेतन भी निकल रहा 
  • केस एक: आठ साल से गायब हैं, 
  • केस दो: चार साल से स्कूल नहीं आए


बात अफसरों तक पहुंची तो आनन-फानन में उन्हें अतिशेष की सूची से बाहर कर तबादले रोक दिए गए।
जबलपुर सहित आधा दर्जन जिलों में ऐसे मामलों में संशोधन किया गया है। अब दूसरे जिलों से भी मांग उठने लगी है। सूत्र बताते हैं कि लगभग सभी जिलों में 15 से 25 अध्यापक, शिक्षक गायब हैं।
इनमें से कुछ को गायब हुए पांच साल से ज्यादा हो गए हैं, तो कुछ छह महीने-सालभर से स्कूल नहीं आ रहे हैं। स्कूलों ने संकुल केंद्र और संकुल ने जिला शिक्षा अधिकारियों को सूचना देकर फाइलें अलमारियों में बंद कर दीं।
कुछ मामलों की सूचना लोक शिक्षण संचालनालय को भी दे दी गई है। फिर भी संबंधितों पर कार्रवाई शुरू नहीं हुई है। बल्कि विभाग इन पदों को भरा हुआ मान रहा है। इतना ही नहीं, अतिशेष की जो सूची तैयार हुई। उसमें उन शिक्षकों के नाम आ गए, जो स्कूल आ रहे हैं। इन शिक्षकों को वहां भी बचा लिया गया।
वेतन भी निकल रहा
सूत्र बताते हैं कि दो से छह महीने पहले ही गायब हुए अध्यापक और शिक्षकों का वेतन भी निकल रहा है। वेतन उन्हीं मामलों में रोका गया है, जो नजर में आ चुके हैं। इनमें से कुछ मामलों की शिकायत राज्य स्तर तक हो चुकी है।
पढ़ाई का भी नुकसान
गायब अध्यापक और शिक्षकों के कारण न सिर्फ सरकार को आर्थिक नुकसान हो रहा है। बल्कि उन स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को पढ़ाई का नुकसान हो रहा है। जिन विषयों के शिक्षक गायब हैं। वे विषय उनके दूसरे साथियों को पढ़ाना पड़ रहे हैं, जो कि कामचलाऊ व्यवस्था है।
उदाहरण जो बताते हैं हकीकत
केस एक: आठ साल से गायब हैं
संविदा शिक्षक वर्ग-तीन ममता परस्ते प्राइमरी स्कूल खापा ग्वारीटोला (जबलपुर) में पदस्थ हैं। ममता पिछले पौने आठ साल (7 नवंबर 2009) से गायब हैं। फिर भी उनका नाम अतिशेष की सूची में नहीं आया। विभाग ने इन्हें नोटिस तो भेजे हैं, लेकिन ठोस कार्रवाई नहीं की।
केस दो: चार साल से स्कूल नहीं आए
सहायक अध्यापक दिलीप सिंह ठाकुर प्राइमरी स्कूल धाना में पदस्थ हैं। ये 6 जनवरी 2014 से स्कूल नहीं पहुंचे, लेकिन इनके बजाय सहायक अध्यापक माधव पाण्डेय को अतिशेष मान लिया। ठाकुर को भी नोटिस भेजे गए, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।
निकायों को कार्रवाई के लिए लिख रहे
युक्तियुक्तकरण के दौरान मामला खुला है। करीब दो सौ कर्मचारियों का आंकड़ा सामने आ रहा है। जांच शुरू कर दी है। वहीं जिन कर्मचारियों के नाम सामने आ चुके हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए संबंधित निकाय और अफसरों को लिखा जा रहा है। 
                                                   - दीप्ति गौड़ मुकर्जी, प्रमुख सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग

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